फ्रॉड में फंसे रूपाणी, RaGa बोले- यही है 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' की कहानी

गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा है। शेयर बाजार नियामक सेबी ने गुजरात के सीएम विजय रूपाणी के हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) अकाउंट सहित 22 संस्थाओं और व्यक्तियों को सारंग केमिकल्स कंपनी के साथ 'व्यापार में हेरफेर' का दोषी ठहराया है।

Update: 2017-11-09 14:43 GMT
फ्रॉड में फंसे रूपाणी, RaGa बोले- यही है 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' की कहानी

गांधीनगर : गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका लगा है। शेयर बाजार नियामक सेबी ने गुजरात के सीएम विजय रूपाणी के हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) अकाउंट सहित 22 संस्थाओं और व्यक्तियों को सारंग केमिकल्स कंपनी के साथ 'व्यापार में हेरफेर' का दोषी ठहराया है। इन सभी पर कुल 6.9 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। विजय रूपाणी के एचयूएफ पर 15 लाख रुपए का जुर्माना लगा है। सेबी का कहना है कि जुर्माने की राशि 'उल्लंघन के अनुरूप' है।

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इस मामले पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विजय रूपाणी को घेरने का मौक़ा नहीं छोड़ा। राहुल ने ट्वीट कर कहा, "न खाऊंगा, न खाने दूंगा की कहानी शाह-जादा, शौर्य और अब विजय रूपाणी।" बता दें, कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बीजेपी सरकार आने पर 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा'।

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क्या है पूरा मामला ?

3 जनवरी 2011 से 8 जून 2011 तक सांरग केमिकल्स के शेयरों की जांच सेबी ने की। 13 जुलाई, 2011 को सेबी ने कार्यवाही शुरू की। 6 मई, 2016 को विजय रूपाणी के एचयूएफ सहित सभी 22 संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसका उन्होंने जवाब नहीं दिया। 27 अक्टूबर, 2017 को सेबी ने 22 संस्थाओं के खिलाफ 6.9 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। जिनमें विजय रूपानी के एचयूएफ पर 15 लाख रुपए का जुर्माना ठोंका गया।

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क्या होता है एचयूएफ?

-हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) एचयूएफ बनाने के लिए परिवार के मुखिया के नाम पर एक बैंक अकाउंट खुलवाया जाता है।

-इस खाते में मुखिया के नाम के आगे एचयूएफ शब्द जोड़ दिया जाता है।

-इस खाते के बाद एचयूएफ के नाम एक नया पैन कार्ड बनवाया जाता है।

-जिसमें मुखिया के नाम के आगे एचयूएफ लगा रहता है।

क्या है इसका फायदा ?

-इनकम टैक्स रूल्स के मुताबिक, किसी हिन्दू परिवार में पिता अथवा वरिष्ठ पुरुष सदस्य को एचयूएफ का मुखिया बनाया जाता है।

-यह मुखिया एचयूएफ में बतौर मैनेजर परिवार की अगुवाई करता है।

-परिवार के अन्य सदस्य आपस में पार्टनर की भूमिका में रहते हैं।

-इस तरह बने एचयूएफ को किसी आम आदमी की तरह टैक्स में लाभ मिलता है।

-वहीं वसीयत में मिली बड़ी संपत्ति को एचयूएफ के जरिए रखने पर भी बड़ा लाभ उठाया जा सकता है।

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विजय रूपाणी ने पेश की सफाई

विजय रूपाणी के मुताबिक, फर्जीवाड़े के तथाकथित मामले में जांच के दौरान उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। विजय रुपाणी ने लिखित बयान जारी करते हुए कहा है कि सारंग केमिकल्स के शेयर्स ट्रांजैक्शन में फर्जीवाड़े के सेबी के फैसले को सिक्योरिटीज एपीलेट ट्रिब्यूनल ने रद्द कर दिया है। रुपाणी के बयान के मुताबिक उनके एचयूएफ अकाउंट से सारंग केमिकल्स के शेयर्स में टोटल ट्रांजेक्शन महज 0.1 फीसदी का है। वहीं इस ट्रांजैक्शन में उनके एचयूएफ अकाउंट में कोई बड़ा मुनाफा नहीं दर्ज है।

विजय रुपाणी के मुताबिक, साल 2009 में उनके एचयूएफ ने महज 63,000 रुपए के शेयर्स खरीदे थे और 2011 में उन्हें 35,000 रुपए में बेच दिया था। इसमें उन्हें कुल 28,000 रुपए का घाटा हुआ। रूपाणी ने कहा कि 'जिस शेयर का सट्टा होता हो उसमें करोडो रुपए का ट्रांजैक्शन किया जाता है। लेकिन, उनके ट्रांजैक्शन में किसी तगड़े मुनाफे का हवाला नहीं है।

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रुपाणी के मुताबिक, उनके एचयूएफ ने स्टॉक एक्सचेंज से डिलीवरी लेकर अपने डीमेट अकाउंट में पूरा ट्रांजैक्शन टैक्स भरते हुए शेयर की खरीदारी की। रूपाणी ने कहा कि उनके एचयूएफ द्वारा किसी प्रकार से ना तो कोई गैरकानूनी ट्रांजैक्शन हुआ और ना ही सेबी के गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया।

रूपाणी ने अपनी सफाई में यह भी दावा किया है कि 6 साल बाद सेबी के एक अधिकारी ने उनके अलावा अन्य लोगों को सुनवाई का मौका दिए बिना एकतरफा आदेश जारी कर यह पेनाल्टी लगाई। इसके खिलाफ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाने के बाद उन्हें राहत मिली है। क्योंकि ट्रिब्यूनल ने सेबी के आदेश को रद्द कर दिया है।

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