नई दिल्ली: इन्सान ने चित्र बनाना हज़ारों साल पहले शुरू कर दिया था। प्राचीन काल की गुफाओं में मानव द्वारा बनाए गए भित्ति चित्र इस बात के गवाह हैं। दरअसल चित्र बनाना इन्सान के लिए अपनी रचनात्मकता की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम रहा है। बाद में जब कैमरे का आविष्कार हुआ, तो फोटोग्राफी भी इन्सान के लिए अपनी क्रिएटिविटी का प्रदर्शन करने का एक ज़रिया बन गया।
कैमरे के कृत्रिम लैंस से चित्र बनाने में मनुष्य को मिली सफलता का जश्न अब सारी दुनिया में विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के तमाम फोटोग्राफरों ने फोटोग्राफी की दुनिया में अपना एक अलग मुकाम बनाया है और उन्हें इसके लिए धन और शोहरत दोनों खूब मिले।
19 अगस्त को ही क्यों मनाते हैं विश्व फोटोग्राफी दिवस
- आज फोटोग्राफी को जो मुकाम हासिल है, उसमें फांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेक्स और मेंडे डाग्युरे का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने ही सबसे पहले सन 1839 में फोटो तत्व की खोज की थी।
2. ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस का आविष्कार किया और सन 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर की खोज करके खींची गई फोटो को स्थाई रूप में रखने में मदद की।
3. फ्रांसीसी वैज्ञानिक आर्गो की फ्रेंच अकादमी ऑफ साइंस के लिए लिखी गई एक रिपोर्ट को तत्कालीन फ्रांस सरकार ने खरीदकर 19 अगस्त 1939 को आम लोगों के लिए फ्री घोषित कर दिया था। इसी दिन को आगे चलकर विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
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