आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने खुद को मारी गोली, इंदौर के बॉम्बे अस्पताल में मौत

Update: 2018-06-12 10:00 GMT

इंदौर: संत भय्यूजी महाराज (उदयसिंह देशमुख) ने मंगलवार को अपने खंडवा रोड स्थित आवास पर खुद को गोली मार ली है। उन्हें गंभीर हालत में यहां बाम्बे अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी मौत हो गई। उन्होंने खुद को गोली क्यों मारी, इसका अभी पता नहीं चल पाया है। पहली पत्नी की मौत के बाद पिछले साल ही उन्होंने दूसरी शादी की थी।

अस्पताल में जुटे समर्थक

भय्यूजी महाराज का सभी राजनीतिक दलों में दखल रहा है। कांग्रेस और संघ के लोगों से उनके करीबी रिश्ते रहे हैं। वे लगातार समाज के लिए कई प्रकल्प चला रहे हैं। अभी पता नहीं चल सका है कि भय्यूजी ने यह कदम किन परिस्थितियों में उठाया। अस्पताल में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। बता दें कि भय्यूजी राजनीति में गहरी पैठ रखते थे।

हरदोई: दो पक्षों में जमीनी विवाद, चली गोली, पुत्र की मौत, पिता की हालत गम्भीर

मिला था राज्यमंत्री का दर्जा

हाल ही में शिवराज सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था । हालांकि उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि संतों के लिए पद का महत्व नहीं होता। उन्होंने कहा था कि हमारे लिए लोगों की सेवा का महत्व है।

अन्ना आंदोलन में रहे सक्रिय

भय्यूजी महाराज को राजनीतिक रूप से ताकतवर संतों में गिना जाता था। उनका असली नाम उदयसिंह देशमुख था और उनके पिता महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। उनका नाम तब चर्चा में आया था, जब भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना हजारे को मनाने के लिए यूपीए सरकार ने उनसे संपर्क किया था।

पति के लिए काल बना पत्नी का जन्मदिन, केक की जगह कटा सिर

मॉडल से संत तक का सफर

जवानी के दिनों में सियाराम शूटिंग शर्टिंग के लिए पोस्टर मॉडलिंग करने वाले संत भय्यूजी तलवारबाजी, घुड़सवारी और खेती का काम भी करते थे। मजेदार यह है कि वह फेस रीडर भी थे। उनके भीतर एक आकर्षण था, जो सभी मिलने वालों को आकर्षित करता था।

गृहस्थ संत से लेकर राजनीतिक जीवन

भय्यूजी महाराज गृहस्थ जीवन में रहने के बावजूद संत-सी जिंदगी जीते थे। उनकी वाणी में ओज तो चेहरे पर काफी तेज रहता था। उनकी एक बेटी कुहू है। वह कभी ट्रैक सूट में लोगों का मन मोह लेते थे तो कभी पैंट-शर्ट में भी नजर आ जाते थे इतना ही नहीं बल्कि कभी-कभी वह किसानों की तरह अपने खेतों को भी जोतते-बोते थे उन्हें घुड़सवारी और तलवारबाजी में उनकी महारत हासिल थी साथ ही कविताएं लिखने का शौक भी रखते थे। ख़ास बात तो यह थी कि उन्होनें जवानी में सियाराम शूटिंग शर्टिंग के लिए पोस्टर मॉडलिंग भी की है।

मध्यप्रदेश में जन्म

29 अप्रैल 1968 में मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में जन्मे भय्यूजी के चहेतों के बीच धारणा है कि उन्हें भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद हासिल था। महाराष्ट्र में उन्हें राष्ट्र संत का दर्जा मिला है। वह सूर्य की उपासना करते थे। उन्हें घंटों जल समाधि करने का अनुभव भी प्राप्त था

Tags:    

Similar News