नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने वाली केंद्र की मोदी सरकार के लिए अब एक और बुरी खबर सामने आई है। दरअसल, पहले ही आम जनता के सवालों से घिरी नई कर प्रणाली अब वैश्विक वित्तीय संस्था विश्व बैंक के गंभीर सवालों का भी सामना कर रही है।
जी हां दरअसल, विश्व बैंक ने जीएसटी को काफी जटिल टैक्स प्रणाली बताया है। साथ ही बैंक का कहना है कि, भारत में लागू टैक्स स्लैब 115 देशों में दूसरा सबसे ज्यादा है।
रिपोर्टों के आधार पर किया तय-
दरअसल, विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उसने उन देशों के टैक्स रेट और स्लैब की तुलना की है। इस रिपोर्ट में कुल 115 देश शामिल हैं, जहां जीएसटी लागू है। बता दें, मोदी सरकार ने 1 जुलाई से जीएसटी लागू किया था। भारत में लागू जीएसटी में 5 टैक्स स्लैब हैं। इसमें 0, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18% और 28 फीसदी है।
अन्य देशों की अपेक्षा ज्यादा हैं टैक्स स्लैब-
बता दें कि, भारत में जहां 5 टैक्स स्लैब हैं। वहीं, दुनियाभर के 49 देशों में एक ही जीएसटी रेट है । यानी की 28 देशों में 2 टैक्स स्लैब इस्तेमाल किए जाते हैं। वहीं, भारत समेत 5 ऐसे देश हैं, जहां 4 टैक्स टैक्स स्लैब प्रभावी हैं। 4 और इससे ज्यादा जीएसटी टैक्स स्लैब लागू करने वाले देशों में इटली, लग्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना है। यह डाटा रिपोर्ट के आधार पर तय किये गए हैं।
ये उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर-
जीएसटी के दायरे से फिलहाल पेट्रोल और डीजल सहित कई उत्पादों को बाहर रखा गया है, उन पर पहले की कर व्यवस्था के हिसाब से ही टैक्स लगता है।
रिफंड को लेकर भी बैंक ने उठाये सवाल-
रिपोर्ट में बैंक ने कहा है कि, जीएसटी लागू होने के शुरुआती दिनों में काफी दिक्कतें सामने आई थीं। विश्व बैंक ने जीएसटी के बाद रिफंड की रफ्तार धीमी होने को लेकर भी चिंता जताई है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, रिफंड फंसने से इसका सीधा असर कारोबारियों की पूंजी पर पड़ता है। इसकी वजह से उनका कारोबार प्रभावित होता है।
विश्व बैंक का सुझाव-
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को लागू करने के लिए किए गए खर्च को लेकर भी सवाल उठाया है। वैश्विक वित्तीय संस्था ने अपनी रिपोर्ट में भविष्य में इसमें जरूरतमंद बदलाव करने का सुझाव दिया है और आगे चलकर इसमें पॉजिटिव बदलाव की उम्मीद भी जताई है। रिपोर्ट में टैक्स स्लैब की संख्या कम करने और जीएसटी प्रक्रिया को आसान बनाने की एडवाइज भी दी गई है।
उधर, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी जीएसटी टैक्स स्लैब को 5 से घटाकर 2 ही स्लैब रखने का सुझाव दिया था। उन्होंने संकेत दिया था कि, जीएसटी टैक्स स्लैब्स को सिर्फ 12 फीसदी और 18 फीसदी ही रखा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा था कि जैसे ही कर पारदर्शिता और इससे हासिल होने वाले राजस्व में स्थिरता आ जाएगी, वैसे ही इसको लेकर विचार किया जाएगा।