कावेरी विवाद पर 'सुप्रीम' फैसला, कोर्ट ने कहा- नदी का पानी राष्ट्रीय संपत्ति
नई दिल्ली: तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर शुक्रवार (16 फ़रवरी) को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को तमिलनाडु को कावेरी नदी का 177 टीएमसी पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा, कि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी अतिरिक्त पानी मिलेगा। कोर्ट ने तमिलनाड़ु को मिलने वाले पानी को घटाया है। कावेरी नदी के पानी के विवाद में फैसले को सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा है, कि कोई भी राज्य एक नदी के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता है। कोर्ट ने पहले दिए आदेशों को ना मानने के लिए कर्नाटक को लताड़ लगायी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़़ की पीठ ने शुक्रवार को ये फैसला सुनाया। बता दें कि कोर्ट ने इस विवाद पर पिछले साल 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
'हमारा आवंटन बढ़ा है'
सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के वकील बृजेश कालप्पा का कहना था कि कर्नाटक के पानी के आवंटन में वृद्धि हुई है। वह कहते हैं कि हमारा आवंटन काफी बढ़ा है, और हमें 14 टीएमसी अतिरिक्त पानी मिल जाएगा। बेंगलुरु शहर, जो पानी की कमी का सामना कर रहा था, उसे अकेले 4.7 टीएमसी पानी मिल जाएगा। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में बेंगलुरु का 11 शहरों की सूची में दूसरा स्थान आया है, जो पानी के आसन्न खतरे का सामना कर रहे हैं।
फैसले को दी थी चुनौती
दरअसल, तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी। दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कोवरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था। फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया था, कर्नाटक को 270 टीएमसीफुट, केरल को 30 टीएमसीफुट और पुंडुचेरी को सात टीएमसीफुट पानी आवंटित किया गया था। अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है।
फैसले पर सियासत शुरू
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया ने संतुष्टि जाहिर की, कहा ये फैसला राज्य के लिए राहत भरा है। हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उनकी वजह से ये फैसला आया है। गौरतलब है, कि आगामी महीनों में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए सिद्धरमैया के बयान को उससे जोड़कर देखा जा रहा है।