नई दिल्लीः नोटबंदी पर सरकार के रुख से खफा सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। क्या केंद्र सड़कों पर दंगे होने का इंतजार कर रहा है। सरकार ने कोर्ट से नोटबंदी पर याचिकाएं न सुनने को कहा था। इस पर कोर्ट ने कहा, "बैंकों और पोस्ट ऑफिसों के बाहर लंबी कतारें हैं। लोग हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। इससे उनकी परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है। अदालतों के दरवाजे बंद नहीं किए जा सकते। दंगे भड़क सकते हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार किया कि किसी भी कोर्ट में 500- 1000 के नोट बंद करने के लिए लगाई अर्जी पर सुनवाई नहीं होगी।
कोर्ट ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एआर दवे की बेंच ने कहा कि बैंकों-पोस्ट ऑफिसों के बाहर लंबी लाइनें लगी हैं। ये गंभीर मुद्दा है। अदालत ने कहा कि लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उनको हाईकोर्ट जाना पड़ रहा रहा है। अगर हम हाईकोर्ट के दरवाजे लोगों के लिए बंद कर देंगे तो समस्या की गंभीरता का पता कैसे चलेगा?
सरकार से क्या पूछा?
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा, "पिछली बार आपने कहा था कि लोगों को जल्दी राहत मिलेगी, लेकिन आपने नोट बदलवाने की सीमा घटाकर 2000 रुपए कर दी। आखिर परेशानी क्या है?" इस पर अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि नोटों को देश के कई हिस्सों में भेजना पड़ता है। एटीएम में भी बदलाव किए जा रहे हैं। पैसे की कोई दिक्कत नहीं है।
कोर्ट ने और क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने रोहतगी से ये भी कहा कि लोगों को परेशानी है। क्या आप इससे असहमत हैं? इस पर रोहतगी ने कहा कि वह बिल्कुल असहमत नहीं हैं, लेकिन बैंकों में लाइन छोटी हुई हैं। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि मैं चीफ जस्टिस से ये भी कहना चाहूंगा कि लंच टाइम में बाहर जाएं और खुद कतार की स्थिति देखें।
सिब्बल-रोहतगी में हुई बहस
सुप्रीम कोर्ट में मुकुल रोहतगी और कपिल सिब्बल के बीच तीखी बहस भी हुई। रोहतगी ने कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल से कहा, "कोर्ट में मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। मैंने आपकी प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी थी। आप कोर्ट में किसी राजनीतिक की तरफ से नहीं, बल्कि वकील के नाते आए हैं। आपने सुप्रीम कोर्ट को पॉलिटिकल प्लेटफॉर्म बना दिया है।"
इस पर सिब्बल ने कहा, "दिक्कत नोट छपवाने में है। 23 लाख करोड़ नोट छापने की जरूरत है, लेकिन उनके पास इतनी कैपेसिटी ही नहीं है।" सिब्बल ने ये भी आरोप लगाया कि सरकार को उन लोगों की फिक्र नहीं है जो हिमाचल प्रदेश, नॉर्थ-ईस्ट और बस्तर के दूरदराज के गांवों में रह रहे हैं।