कोच्चि : प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विद्रोही रुख अख्तियार करने वाले चार न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने शनिवार को कहा कि शीर्ष न्यायालय में कोई भी संवैधानिक संकट नहीं है और जो मुद्दे उन लोगों ने उठाए हैं वह सुलझते दिख रहे हैं।
न्यायामूर्ति जोसेफ ने कहा, "हमने एक उद्देश्य के लिए ऐसा किया था और मेरे विचार से यह मुद्दा सुलझता दिख रहा है। यह किसी के खिलाफ नहीं था और न ही इसमें हमारा कुछ निजी स्वार्थ था। यह सर्वोच्च न्यायालय में ज्यादा पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किया गया था।"
उन्होंने हालांकि इस बारे में विस्तार से नहीं बताया।
ये भी देखें :जानें कौन हैं ये चार जज जिन्होंने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मचाई खलबली
इससे एक दिन पहले भारतीय न्यायिक इतिहास में एक आश्चर्यजनक घटना के अंतर्गत, न्यायमूर्ति जोसेफ के साथ शीर्ष न्यायालय के तीन और न्यायाधीशों ने प्रधान न्यायाधीश की कार्यप्रणाली के खिलाफ दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन किया था।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने यहां पत्रकारों से कहा, "किसी भी प्रकार का संवैधानिक संकट नहीं है और केवल प्रकिया में समस्या है जिसे सही कर लिया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों ने शुक्रवार को जारी पत्र में सबकुछ लिख दिया था और इस पत्र को उन्होंने एक माह पहले ही न्यायमूर्ति मिश्रा को भेज दिया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि न्यायाधीशों को अपनी शिकायत इस तरह सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए थी, पर उन्होंने कहा, "कोई समस्या है, कोई भी दोनों पक्षों को देख सकता है। हमें जो भी कहना था हमने पत्र में लिख दिया था।"
इस मुद्दे से राष्ट्रपति को अवगत नहीं कराए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति केवल नियुक्ति अधिकारी (अपाइंटिंग अथॉरिटी) हैं।"