क्या NDA में इतिहास दोहराया जाएगा? अब TDP ने दिए अलग जाने के इशारे

Update:2018-02-02 13:41 IST
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विनोद कपूर

लखनऊ: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा? सामने आ रही घटनाओं से तो ऐेसे ही संकेत मिल रहे हैं। केंद्र सरकार में सहयोगी और एनडीए में शामिल शिवसेना के बाद अब एक अन्य सहयोगी तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने भी बीजेपी से किनारा करने की धमकी दी है।

दूसरी ओर, यूपी में सहयोगी भारतीय समाज पार्टी (भासपा) ने भी अपनी ही सरकार को आंखें दिखानी शुरू की दी है।

दरअसल, साल 2004 में जब लोकसभा के चुनाव हुए थे तब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी राजग की सरकार में सहयोगी दल एक साल पहले ठीक इसी तरह अलग होने शुरू हो गए थे।

नायडू ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग

आम बजट में आंध्र प्रदेश की उपेक्षा और अपेक्षित फंड नहीं मिलने से आहत तेलुगू देशम पार्टी ने सहयोगी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार (02 फरवरी) को पार्टी की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। दूसरी तरफ, पार्टी के एक सांसद ने बीजेपी के खिलाफ 'वॉर' छेड़ने की घोषणा कर दी। नायडू की बैठक में यह तय होगा कि केंद्र और राज्य में एनडीए के साथ गठबंधन जारी रखा जाए या फिर तोड़ दिया जाए। पहले ही चंद्रबाबू नायडू यह संकेत दे चुके हैं कि वह एनडीए से दोस्ती खत्म कर सकते हैं।

चंद्रबाबू नायडू ने इस मीटिंग को लेकर दिल्ली में गुरुवार को अपने सांसदों से टेलिकॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत की। रविवार को टीडीपी के संसदीय बोर्ड की मीटिंग भी होनी है।

टीडीपी के पास तीन विकल्प

टीडीपी के सांसद टीजी वेंकटेश ने शुक्रवार को कहा, कि 'हम बीजेपी के खिलाफ वॉर की घोषणा करने जा रहे हैं। हमारे पास तीन ही विकल्प हैं। पहला, एनडीए के साथ बने रहें, दूसरा हमारे सांसद इस्तीफा दें और तीसरा गठबंधन से बाहर निकल जाएं। हम रविवार को सीएम नाडयू के साथ बैठक में फैसला करेंगे।'

राजभर भी दे रहे घुड़की

बता दें, कि कुछ दिन पहले एनडीए और बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना ने भी 2019 का आम चुनाव अलग लड़ने की घोषणा कर चुकी है। इसके अलावा यूपी में सरकार में शामिल भासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर अपनी ही सरकार को खुली चुनौती दे रहे हैं। उनका कहना है कि बीजेपी की उन्हें जरूरत नहीं, बीजेपी को उनकी जरूरत है। वो बीजेपी के पास नहीं गए थे, बीजेपी के बड़े नेता हाथ मिलाने उनके पास आए थे।'

क्या इतिहास दोहराएगा?

उल्लेखनीय है, कि अटल बिहारी वाजपेयी ने लगभग 20 दलों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई थी, जिसमें वो सभी दल शामिल थे जो आज केंद्र सरकार में हैं। लेकिन सरकार का साथ सबसे पहले लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने 2003 में छोड़ा था जिसका नेतृत्व अभी भी रामविलास पासवान करते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे अन्य दल किनारा करते गए और 2004 के लोेकसभा चुनाव में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी।

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