लखनऊ : यूपी में यूपीकोका लाए जाने का बसपा सुप्रीमों मायावती ने विरोध दर्ज कराते हुए उसके वापसी की मांग की है। उनका कहना है कि बीजेपी राज्यों में कानून का गलत इस्तेमाल जनता के सिरदर्द बनता जा रहा है। ऐसे में प्रदेश में इस एक्ट का इस्तेमाल भी दलितों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के दमन के लिए ही होगा।
उन्होंने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर पार्टी इस कानून का गलत इस्तेमाल नहीं रोकगी तो बसपा को कठोर रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
उन्होंने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा है कि अपराधी व माफियाओं को चिन्हित करने के काम में भी ज्यादातर कमजोर वर्ग के लोगों को ही सूचीबद्ध किया गया है। इससे सरकार की असली मंशा बेनकाब हो जाती है और यह आशंका प्रबल होती है कि यूपीकोका का अनुचित व राजनीतिक इस्तेमाल अवश्य ही किया जायेगा।
मायावती ने कहा है कि वर्तमान सरकार में कानून का दुरूपयोग कर दलितों, पिछड़ों व अकलियतों को सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है। यहां तक कि उर्दू, जो कि हिन्दी के बाद इस राज्य की दूसरी सरकारी भाषा है, इस भाषा में शपथ ग्रहण करने पर बीएसपी के अलीगढ़ पार्षद पर साम्प्रदायिक भावना भड़काने का गलत आरोप लगाकर उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है,यह सरासर अन्याय है।
उन्होंने कहा है कि भाजपा सिर्फ जाति व सम्प्रदाय विशेष के लोगों को ही अपना शिकार बना रही है। जबकि कानून हाथ में ले रहे बीजेपी नेताओं को सरकारी संरक्षण दिया जा रहा है। अपनी आशंका जाहिर करते हुए कहा है कि यह कानून अकलियतों के लिए ही दमन का हथियार साबित होगा।
मायावती ने कहा है पार्टी की चार हुकूमतों में कानून का सही तौर पर सख्ती से इस्तेमाल किया गया था। वह भी बिना किसी पक्षपात के, इसे लोगों ने देखा और महससू किया। मौजूदा बीजेपी सरकार में सब कुछ उल्टा हो रहा है। जनता को मामूली राहत मिलना भी मुश्किल हो गया है। भाजपा का कोई भी व्यक्ति अपनी नफरत, राजनीतिक व जातिगत दवेष के कारण थाने चला जाता है तो पुलिस मजबूरी में गलत मुकदमा कायम कर लोगों को हर प्रकार से जुल्म व ज्यादती का शिकार बना रही है।