Nawaz Sharif Ka Jivan Parichay: पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का राजनीति से लेकर जेल तक का सफर
Pakistan Ke Nawaz Sharif Kaun The: नवाज शरीफ का राजनीति में आगमन 1980 के दशक के मध्य में हुआ। पाकिस्तान के उस समय के सैन्य शासक जनरल जिया उल हक के शासन में नवाज शरीफ को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार मिला।
Nawaz Sharif Wikipedia in Hindi: नवाज शरीफ का जन्म 25 दिसंबर, 1949 को पाकिस्तान के लाहौर शहर में हुआ था। वह मुहम्मद शरीफ के परिवार से थे, जो एक व्यापारी थे और पाकिस्तान के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक माने जाते थे। नवाज शरीफ का परिवार पाकिस्तानी राजनीति में एक बड़ा नाम था। नवाज शरीफ को शुरू से ही समाज के उच्च वर्ग के संपर्क में लाया।
नवाज शरीफ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट एंथोनी हाई स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी (GCU), लाहौर से कला और व्यवसाय में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। फिर पंजाब विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की। उनके पास एक बिजनेस बैकग्राउंड था। लेकिन राजनीति में उनका कदम एक नई दिशा में था। 1970 में नवाज शरीफ का विवाह कुलसुम नवाज से हुआ। उनके चार बच्चे हैं। उनकी पत्नी कुलसुम नवाज का 2018 में निधन हो गया। नवाज शरीफ ने कभी भी राजनीतिक जीवन में आने की योजना नहीं बनाई थी। लेकिन 1980 के दशक में पाकिस्तान की राजनीति में उनका नाम उभरकर सामने आया।पाकिस्तान के चुनाव आयोग के अनुसार, नवाज शरीफ पाकिस्तान के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं।
राजनीतिक करियर की शुरुआत-
नवाज शरीफ का राजनीति में आगमन 1980 के दशक के मध्य में हुआ। पाकिस्तान के उस समय के सैन्य शासक जनरल जिया उल हक के शासन में नवाज शरीफ को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार मिला। उस समय पाकिस्तान में सैन्य शासन था और जनरल जिया उल हक ने राजनीतिक हस्तक्षेप करने के बावजूद नवाज शरीफ को एक प्रमुख नेता के रूप में उभरने का मौका दिया।
1985 में नवाज शरीफ ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग का नेतृत्व करना शुरू किया और जल्द ही उनकी पार्टी का राजनीतिक प्रभाव बढ़ने लगा। उनके नेतृत्व में, पाकिस्तान में विभिन्न औद्योगिक सुधार और आर्थिक योजनाओं की शुरुआत हुई। 1988 में जनरल जिया उल हक की मृत्यु के बाद, नवाज शरीफ की राजनीतिक यात्रा ने और अधिक गति पकड़ी और वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार हुए।
प्रधानमंत्री बनने का पहला मौका-
नवाज शरीफ ने 1990 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम लीग (Nawaz) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी पार्टी को सफलता मिली। वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1990 से 1993 तक था। उनकी सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण था पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना। उन्होंने औद्योगिक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विकास और कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए। हालांकि, उनका यह कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। उन्हें और उनके सरकार को भ्रष्टाचार और सत्ता के केंद्रीकरण का आरोप झेलना पड़ा।
1993 में, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत पद से इस्तीफा देने का आदेश दिया। इसके बाद पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बनी। उनके विरोधी नेताओं ने इस निर्णय को सही ठहराया। इसके बावजूद, नवाज शरीफ की राजनीतिक यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने अगले चुनावों में वापसी की योजना बनाई।
प्रधानमंत्री बनने का दूसरा मौका और विवाद-
1997 में, नवाज शरीफ ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पदवी प्राप्त की। इस बार उनका कार्यकाल पहले से कहीं ज्यादा निर्णायक था। उन्होंने पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जो पाकिस्तान के विकास में मील का पत्थर साबित हुए। उनके दूसरे कार्यकाल में कुछ प्रमुख सुधार और फैसले हुए, जिनका प्रभाव आज भी पाकिस्तान पर देखा जा सकता है।
आर्थिक सुधार और विकास: नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई योजनाएं बनाई। उन्होंने बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया, जिसमें नए हाइवे, जल विद्युत परियोजनाएं और थर्मल पावर परियोजनाएं शामिल थीं। इन परियोजनाओं ने पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन किया और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक स्थिर किया।
विदेश नीति और पाकिस्तान की इज्जत: नवाज शरीफ ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त आवाज देने की कोशिश की। उन्होंने पाकिस्तान के रिश्तों को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य मुस्लिम देशों से मजबूत किया। उन्होंने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर प्रमुख स्थान दिलवाने के लिए काम किया और पाकिस्तान की छवि को सुधारने की कोशिश की।
कश्मीर मुद्दा: कश्मीर विवाद पर उनका रुख हमेशा मजबूत रहा। उन्होंने पाकिस्तान के अधिकारों की रक्षा के लिए कश्मीर मुद्दे पर कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट की। हालांकि 1999 में पाकिस्तान और भारत के बीच कारगिल युद्ध हुआ, नवाज शरीफ ने युद्ध को रोकने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए, जिसे कई जगह सराहा गया।
दुबई निर्वासन और राजनीतिक वापसी-
जनरल मुशर्रफ द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद, नवाज शरीफ ने पाकिस्तान छोड़ दिया और दुबई में निर्वासित हो गए। लेकिन 2007 में, नवाज शरीफ ने पाकिस्तान लौटने का निर्णय लिया। इस कदम को लेकर पाकिस्तान में राजनीतिक और सैन्य संस्थाओं में गहरी असहमति थी।
नवाज शरीफ की वापसी पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आई। उनके समर्थकों ने उन्हें ‘देश का नायक’ मानते हुए उनका स्वागत किया, जबकि उनके विरोधियों ने इसे एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा। नवाज शरीफ ने अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (Nawaz) के माध्यम से पाकिस्तान की राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति फिर से दर्ज कराई।
उन्होंने राजनीतिक वापसी के बाद पाकिस्तान के चुनावों में भाग लिया और सत्ता में वापसी की।
नवाज शरीफ के शासकीय समय के दौरान पाकिस्तान की स्थिति-
नवाज शरीफ के शासनकाल में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कई सुधार हुए। उन्होंने बुनियादी ढांचे में निवेश किया, जैसे कि सड़क, बिजली और जल परियोजनाओं की शुरुआत। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हुआ और देश में विदेशी निवेश बढ़ा।
हालांकि, उनके शासन के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए और कई राजनीतिक विरोधी नेताओं ने उन्हें सत्ता के केंद्रीकरण का आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निष्कासन और राजनीति में उतार-चढ़ाव-
2017 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को ‘पनामा पेपर’ घोटाले में दोषी ठहराया। इसके परिणामस्वरूप, नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें राजनीति से दूर कर दिया गया। यह पाकिस्तान की राजनीति का एक अहम मोड़ था और नवाज शरीफ ने इसे एक राजनीतिक उत्पीड़न के रूप में देखा।
नवाज शरीफ की छवि और सम्मान-
नवाज शरीफ को उनके समर्थकों द्वारा एक सशक्त नेता के रूप में देखा जाता है, जो हमेशा अपने लोगों के लिए संघर्ष करता है। उन्हें एक अच्छे इंसान और नेता के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनके विरोधी उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा हुआ नेता मानते हैं।
लेकिन यह भी सच है कि नवाज शरीफ पाकिस्तान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम रहे हैं। उनके योगदान को पाकिस्तान की राजनीतिक और आर्थिक यात्रा में याद रखा जाएगा।
नवाज शरीफ का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और इज्जत-
नवाज शरीफ का पाकिस्तान के बाहर भी एक सम्मानजनक स्थान है। उन्हें संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों में सम्मान प्राप्त है। उनकी विदेश नीति और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करने के लिए उनके प्रयासों को सराहा गया।
भारत के साथ संबंध और विवाद-
नवाज शरीफ के कार्यकाल में भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध उतार-चढ़ाव से भरे रहे। कारगिल युद्ध (1999) पाकिस्तान और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ था। हालांकि, नवाज शरीफ ने युद्ध के बाद भारत के साथ शांति बहाल करने के प्रयास किए। 1997 में भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लाहौर यात्रा पर बातचीत हुई, जिसे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण माना गया।
इस बैठक के बाद, दोनों देशों ने विश्वास बहाली उपायों पर सहमति व्यक्त की और सीमा पर संघर्ष को कम करने के प्रयास किए।हालांकि, युद्ध के बाद पाकिस्तान और भारत के संबंध तनावपूर्ण रहे। पाकिस्तान की सेना के साथ नवाज शरीफ के रिश्ते में खटास आ गई, और 1999 में जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट किया, तो नवाज शरीफ को सत्ता से हटा दिया गया।
भ्रष्टाचार के आरोप-
2007 में पाकिस्तान लौटने के बाद, उन्होंने विपक्ष में रहते हुए धैर्य से समय बिताया। उनकी पार्टी, पीएमएल-एन ने 2008 के चुनावों में संसद की सीटों का लगभग एक चौथाई हिस्सा जीता।2013 के चुनावों में जीत की संभावना से उन्हें लेकर बहुत से लोग अचंभित थे। लेकिन उन्होंने बड़े पैमाने पर विजय हासिल की। उन्होंने पाकिस्तान के राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी की ओर से कड़ी चुनौती को परास्त किया, जिनका बाद में प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ।लेकिन 2013 में सत्ता संभालने के बाद, शरीफ को इमरान खान की पीटीआई पार्टी द्वारा इस्लामाबाद का छह महीने का घेराव झेलना पड़ा, जिन्होंने आरोप लगाया था कि चुनावों में धांधली की गई थी।यह आरोप भी लगे थे कि इस घेराव को पाकिस्तान के सैन्य के ख्याति प्राप्त खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (ISI) के कुछ अधिकारियों के इशारे पर शुरू किया गया था। विश्लेषकों का मानना था कि सैन्य प्रतिष्ठान शरीफ पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा था ताकि वह भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को विस्तार न दे, जो पिछली सरकार के तहत शुरू हुआ था।
हालांकि, 6 जुलाई, 2018 को पाकिस्तान की एक अदालत ने उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी पाया और उन्हें - अनुपस्थित रहते हुए - 10 साल की सजा सुनाई। जब यह सजा सुनाई गई, तब वह लंदन में अपनी पत्नी के इलाज के लिए मौजूद थे, जो गंभीर रूप से बीमार थीं।शरीफ की बेटी और दामाद को भी दोषी ठहराया गया।
नवाज शरीफ 2021 से लंदन में रह रहे हैं, जहां वह चिकित्सा उपचार ले रहे हैं। पाकिस्तान में उन्हें कई समर्थकों द्वारा एक संघर्षशील नेता और देश के विकास में योगदान देने वाले राजनेता के रूप में देखा जाता है, हालांकि उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी हैं।
नवाज शरीफ का जीवन और राजनीति की यात्रा एक संघर्ष और समृद्धि का मिश्रण है। उनके कार्यकाल में पाकिस्तान के लिए कई अच्छे फैसले हुए। लेकिन साथ ही कुछ विवाद भी सामने आए। पाकिस्तान-भारत संबंधों में उनके प्रयासों को सराहा गया, हालांकि कुछ विवादों के कारण उनका शासन समाप्त हुआ। नवाज शरीफ को पाकिस्तान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल है, और उनकी नीतियों का प्रभाव आज भी पाकिस्तान में देखा जा सकता है।