नई दिल्लीः 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के ऐलान के साथ ही पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि 11 नवंबर से लोग हर रोज एटीएम से 2000 रुपए निकाल सकेंगे। लेकिन शुक्रवार को जब लोग एटीएम पहुंचे, तो उनमें नोट नहीं निकल रहे थे। कई जगह एटीएम में रकम भी नहीं डाली गई थी। देशभर में ज्यादातर एटीएम में झल्लाए लोगों की कतारें देखने को मिलीं। अब इसकी हकीकत सामने आई है। एक अमेरिकी कंपनी ने भारतीय कंपनी को दिया लाइसेंस रद्द कर दिया। एटीएम इसी वजह से ठप पड़ गए।
क्या है मामला?
अमेरिकी कंपनी एसीआई वर्ल्ड वाइड ने एटीएम के प्रबंधन का जिम्मा संभाल रही चेन्नै की निजी कंपनी फाइनेंशियल सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स (एफएसएस) को लाइसेंस दे रखा था। देशभर में करीब 40 हजार एटीएम को यही कंपनी नियंत्रित कर रही थी। अमेरिकी कंपनी ने एफएसएस को दिया लाइसेंस रद्द कर दिया। इस वजह से इन 40 हजार एटीएम में भी नकदी का लेन-देन रुक गया। जब दिल्ली समेत कई शहरों में एटीएम ठप होने की खबर वित्त मंत्रालय तक पहुंची, तो उसने जानकारी जुटाई। तब ये मामला सामने आया।
क्यों रद्द किया लाइसेंस?
अमेरिकी कंपनी फ्लोरिडा की है। वह 1975 में बनी थी। कंपनी के मुंबई दफ्तर के जनरल मैनेजर ने शुक्रवार को प्रेस को बताया कि उनकी कंपनी ने चेन्नै की कंपनी से करार खत्म कर लिया है। ये करार 1 नवंबर को ही खत्म हो गया था। अमेरिकी कंपनी ने भारतीय बैंकों को आगाह किया है कि वे चेन्नै की कंपनी से ताल्लुक न रखें। अमेरिकी कंपनी ने इसी साल 2 अगस्त को ही एग्रीमेंट खत्म करने का नोटिस दे दिया था। उसका कहना है कि एफएसएस ने समझौते का उल्लंघन किया। हिदायत न मानने पर करार खत्म किया गया।
लोगों को हो रही मुश्किल
अमेरिकी कंपनी की ओर से लाइसेंस रद्द होने के बाद इन 40 हजार एटीएम से नोट निकलने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। रिजर्व बैंक के वादे की पोल चेन्नै की निजी कंपनी ने पूरा मामला छिपाकर खोल दी है। रिजर्व बैंक ने कहा था कि 18 नवंबर तक हर रोज 2000 और उसके बाद हर रोज 4000 रुपए लोग निकाल सकेंगे, लेकिन 40 हजार एटीएम चलेंगे ही नहीं, तो भला लोगों को रकम मिलेगी कैसे?