नई दिल्ली, ब्यूरो: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को कहा, कि 'नोटबंदी व जीएसटी के कारण अर्थव्यवस्था पर व्याप्त संकट पर लेख लिखने के कारण उन्हें अगर पार्टी से निकाला जाता है, तो वह दिन उनके जीवन का सबसे बड़ा खुशी का दिन होगा।'
उन्होंने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को मौजूदा आर्थिक मंदी के लिए पूरी तरह जिम्मेदार माना तथा कहा कि 'प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री मौजूदा हालात के लिए संयुक्त रूप से दोषी हैं।'
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'दुर्योधन' और 'दुःशासन' कौन?
एक पुस्तक विमोचन समारोह में अपने भाषण में यशवंत सिन्हा ने कहा, कि 'जैसे महाभारत की लड़ाई में कौरवों के 100 भाईयों का नाम लोगों को याद नहीं होते, ठीक वैसे ही हालात इस वक्त देश में हैं। इस कारण लोगों की जुबान पर इस दौर में कौरवों के दो ही भाईयों दुर्योधन और दुःशासन के नाम याद हैं।' उन्होंने किसी का नाम लिए बिना यह सब बोला।
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लेख में लिखी बात पर अब भी कायम
एक अंग्रेज़ी अखबार में अपने लेख में लिखी बातों को पूरी तरह सही ठहराते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा, कि जब उनकी बातों की काट के लिए कोई उपाय नहीं सूझा तो उनके पुत्र जयंत को आगे किया गया। सिन्हा बोले, 'मेरी बातों का खंडन करने की कोशिश की गई लेकिन जब वह चाल भी नहीं चली, तो दो दिन बाद वित्त मंत्री जेटली ने मुझ पर आरोप लगा दिया कि मैं 80 साल की उम्र में कोई नौकरी की तलाश में था तथा किसी बैंक का चेयरमैन होने की लाईन में था।'
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क्या, इन छोटे पदों के लिए हाथ पसारूंगा?
सिन्हा ने इस आरोप को पूरी तरह शरारतपूर्ण बताते हुए कहा, कि 'जो व्यक्ति विदेश मंत्री व वित्त मंत्री रह चुका हो वह इतने छोटे पद के लिए हाथ पसारेगा, यह हास्यास्पद और बेहूदा आरोप है।' उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, कि हां मामला विश्व बैंक या आईएमएफ के चेयरमैन पद या संयुक्त राष्ट्र महासचिव का होता तो मुमकिन है कि मैं तैयार होता।
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जवाब में इरादा जाहिर किया
80 बरस की उम्र को उन्होंने बहुत ही अहम मानते हुए बिहार की मिसाल दी जहां एक स्वतंत्रता सेनानी ने 80 बरस की उम्र में 1857 की लड़ाई में भाग लिया था। यह मिसाल देने का उनका आशय यह था कि वे सार्वजनिक जीवन में अभी भी सक्रिय रहने का इरादा रखते हैं।
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चंद्रशेखर-वाजपेयी-आडवाणी प्रेरणा स्रोत
यशवंत सिन्हा ने यह भी कहा, कि राजनीति व सार्वजनिक जीवन में विरोधी दल के नेताओं से मतभेद के बावजूद निजी संबंध अच्छे रखने वाले चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी उनके प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वे खुद भी संसद के भीतर चर्चा के दौरान वाद-विवाद होने के बावजूद विपक्ष के साथियों के साथ मिल बैठकर चाय-कॉफी पीते थे।
जो डरकर रहेंगे, उन्हें टिकट मिलेगा
उनका कहना था आज बीजेपी में आंतरिक तौर पर सांसदों व नेताओं में इस तरह का खतरा पैदा हो गया है कि डरे हुए हैं। उन्हें असली डर इस बात का है कि कुछ भी मुंह खोलने पर 20 माह बाद जो चुनाव होने वाला है उसमें उनका टिकट कट जाएगा। सिन्हा ने कहा, कि बीजेपी में हालात ये हैं कि जो डरकर रहेंगे उन्हें ही टिकट मिलेगा, बाकी को नहीं।
दिल्ली में आयोजित जिस कार्यक्रम में यशवंत सिन्हा मौजूद थे उसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे। कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी पुस्तक के बारे में अपने विचार रखे।