13-14 January ke Mukhya Tyohar: भारत के हर राज्य में 13 और 14 जनवरी को मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार
13-14 January ke Mukhya Tyohar: भारत के हर क्षेत्र में अलग तरह की संस्कृति देखने को मिलती है ऐसे में 13 और 14 जनवरी की तिथियां काफी मुख्य है इन दिनों पूरे देश में अलग अलग त्यौहार मनाये जाते हैं आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।;
13-14 January ke Mukhya Tyohar: भारत विविधता और परंपराओं का देश है, जहां हर राज्य की अपनी अनूठी संस्कृति और त्योहार हैं। 13 और 14 जनवरी का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फसल कटाई, ऋतु परिवर्तन और सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का उत्सव है। इस समय देशभर में विभिन्न नामों और रीति-रिवाजों के साथ त्योहार मनाए जाते हैं। आइए भारत के हर राज्य में मनाए जाने वाले त्योहारों और उनकी परंपराओं को विस्तार से समझते हैं।
पोंगल (Pongal)
तमिलनाडु में पोंगल सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो चार दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित है और फसल कटाई के बाद किसानों के आभार प्रकट करने का प्रतीक है। पहले दिन को भोगी के नाम से जाना जाता है, जिसमें लोग पुराने सामानों को त्यागकर नए जीवन की शुरुआत करते हैं। दूसरे दिन को थाई पोंगल कहते हैं, जब चावल, दूध और गुड़ से विशेष पकवान तैयार किया जाता है। तीसरे दिन मट्टू पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जब गायों और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। चौथे दिन को कानुम पोंगल कहते हैं, जो परिवार और समाज के साथ मेलजोल का दिन होता है।
लोहड़ी (Lohri)
पंजाब में 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। यह रबी फसल की कटाई का उत्सव है और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। इस दिन लोग अलाव के आसपास इकट्ठा होते हैं, मूंगफली, तिल और गजक चढ़ाते हैं। पारंपरिक भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं। लोहड़ी की रात को गाए जाने वाले लोकगीत इस त्योहार को और खास बनाते हैं। पंजाब के साथ-साथ हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
उत्तरायण (Uttrayan)
गुजरात में 14 जनवरी को उत्तरायण का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है, जो इस त्योहार को अनोखा बनाती है। सुबह से शाम तक आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। लोग तिल और गुड़ से बने व्यंजनों का आनंद लेते हैं। उत्तरायण सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और दिन की लंबाई बढ़ने का प्रतीक है, जो सकारात्मकता और नई शुरुआत का संदेश देता है।
माघ बिहू (Magh Bihu)
असम में 13 और 14 जनवरी को भोगाली बिहू या माघ बिहू का त्योहार मनाया जाता है। यह फसल कटाई के बाद का उत्सव है और इसे भोजन का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन लोग पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं, सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और बोनफायर के आसपास नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं। यह त्योहार सामुदायिक एकता और खुशी का प्रतीक है।
बंगाल में इस समय को पौष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार तिल-गुड़ से बने पिठे और मिठाइयों के साथ मनाया जाता है। लोग गंगा स्नान करते हैं और दान-पुण्य में भाग लेते हैं। पौष संक्रांति का मुख्य उद्देश्य नई फसल के आगमन और सूर्य की पूजा के प्रति आभार प्रकट करना है।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti)
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन "तिलगुड़ घ्या, गोड गोड बोला" की परंपरा निभाई जाती है, जिसका अर्थ है "तिलगुड़ लो और मीठा बोलो।" लोग तिलगुड़ से बने लड्डू और अन्य मिठाइयां बनाते हैं और उन्हें दोस्तों और परिवार के साथ बांटते हैं। यह त्योहार प्रेम, एकता और शुद्धता का प्रतीक है।
खिचड़ी पर्व (Khichdi Parv)
उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन खिचड़ी बनाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं और गंगा स्नान कर दान-पुण्य करते हैं। यह पर्व पवित्रता और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
पतंगबाजी (Patangbaji)
राजस्थान में मकर संक्रांति का उत्सव पतंगबाजी के साथ मनाया जाता है। लोग सुबह से शाम तक छतों पर इकट्ठा होकर पतंग उड़ाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ के व्यंजन बनाए जाते हैं और धार्मिक आयोजनों में भाग लिया जाता है। पतंगबाजी इस त्योहार को खास बनाती है और यह लोगों को एक साथ लाने का माध्यम है।
संक्रांति (Sankaranti)
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस त्योहार को संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। लोग रंगोली बनाते हैं, गायों और बैलों को सजाते हैं और तिल और गुड़ के व्यंजनों का आनंद लेते हैं। यह त्योहार नई फसल और प्राकृतिक बदलावों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
"एलु-बेलु" (Elu-Belu)
कर्नाटक में मकर संक्रांति को "एलु-बेलु" की परंपरा के साथ मनाया जाता है। लोग तिल, गुड़, नारियल और मूंगफली का मिश्रण बनाकर एक-दूसरे को भेंट करते हैं। इस दिन गायों की पूजा की जाती है और रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया जाता है।
मकर विलक्कु (Vilakku)
केरल में मकर संक्रांति को मकर विलक्कु के नाम से मनाया जाता है। यह सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा के साथ मनाया जाने वाला धार्मिक त्योहार है। इस दिन भक्त सबरीमाला की यात्रा करते हैं और विशेष अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
उत्तरायणी (Uttranyani)
जम्मू और कश्मीर में इसे उत्तरायणी के नाम से मनाया जाता है। लोग इस दिन धार्मिक पूजा करते हैं और तिल और गुड़ का सेवन करते हैं। यह त्योहार प्रकृति के प्रति आभार और सूर्य देव की पूजा का प्रतीक है।
मकर मेला (Makar Mela)
ओडिशा में मकर संक्रांति को मकर मेला के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धार्मिक मेले का आयोजन होता है, तिल और गुड़ के व्यंजन बनाए जाते हैं, और स्नान और पूजा की जाती है। यह त्योहार सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा के साथ मनाया जाता है।
त्रिपुरा और मणिपुर में भी मकर संक्रांति बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यहां पारंपरिक नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है। लोग भोजन का आनंद लेते हैं और सामुदायिक उत्सवों में भाग लेते हैं। यह त्योहार समुदाय और प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक है।
13 और 14 जनवरी का समय भारत के हर राज्य में फसल, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन के प्रति आभार प्रकट करने का समय है। यह त्योहार न केवल सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है, बल्कि पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधता है। चाहे वह तमिलनाडु का पोंगल हो, पंजाब की लोहड़ी, या गुजरात का उत्तरायण, हर राज्य में इन त्योहारों को अपनी अनूठी शैली में मनाया जाता है।