अध्ययन: महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है शराब की लत
न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं में पुरुषों की तुलना में नशे की लत का खतरा अधिक होता है। अपने देश में महिलाओं का नशे के प्रति रुझान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। महिलाओं का शराब के प्रति रुझान तो उतना तेज नहीं बढ़ा है चूंकि भारतीय परिवेश में सामान्य घरों की महिलाएं खुलेआम शराब नहीं पी सकती हैं।
न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं में पुरुषों की तुलना में नशे की लत का खतरा अधिक होता है। अपने देश में महिलाओं का नशे के प्रति रुझान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। महिलाओं का शराब के प्रति रुझान तो उतना तेज नहीं बढ़ा है चूंकि भारतीय परिवेश में सामान्य घरों की महिलाएं खुलेआम शराब नहीं पी सकती हैं। लेकिन महिलाओं में बाम या थिनर के नशे का प्रयोग बहुत कामन पाया जाता है। बहुत बड़ी तादाद में आधी आबादी इसकी चपेट में है।
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ऐसा नहीं है कि शराबी महिलाओं की संख्या नहीं बढ़ रही है। चिंता की बात ही यह है कि हाल के सालों में महिलाओं में पीने की लत तेजी से बढ़ी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, 2005-06 में महिलाओं में शराब पीने का प्रतिशत 0.4 था, जो 2015-16 में बढ़कर 0.7 प्रतिशत तक हो गया है। और वर्तमान समय में 11 फीसदी महिलाएं शराब के नशे की चपेट में हैं।
‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अल्कोहल एब्यूज एंड अल्कोहल’ की एक रिसर्च के अनुसार, महिलाओं के लिए शराब से ज्यादा खतरनाक शराब पीने के बाद होश गंवाने पर आबरू बचाना कठिन हो जाता है। इसीलिए डेट रेप ड्रग यानी नशीली दवाओं को शराब या कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर परोसना लड़कियों के शोषण का एक कामन हथियार बन गया है। इसके जरिए महिलाओं को आसानी से यौन शोषण का शिकार बना लिया जाता है। चुपके से पीने वाले के जाम में मिला दिया, जब महिला अपनी सुधबुध खो बैठी तो हमले का विरोध नहीं कर पाती।
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न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक महिलाओं का नशे की प्रति रुझान यूं ही नहीं बढ़ता इसके लिए उनका हार्मोन से जुड़ा चक्र जिम्मेदार होता है। यह बात नई है और पहली बार सामने आयी है।
अमेरिका की वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का भी मानना है कि यह स्टडी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वास्तव में महिलाओं के हार्मोंन चक्र और उनमें लत को लेकर अभी तक कोई स्टडी की ही नहीं गई है।
अभी तक नशे की लत के संबंध में मुख्य रूप से पुरुषों पर ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है।
यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर एरिन कैलीपरी ने कहा, महिलाओं के नशे का आदि होने की प्रक्रिया पुरुषों की तुलना में सैद्धांतिक रूप से अलग है। इसे समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि आने वाले समय में इलाज की दिशा में यह पहला कदम है जो कि वास्तव में प्रभावी है।
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महिलाओं में नशे की लत की शुरुआत उनके अपने ही घर से होती है। घरेलू कलह और तनाव आने पर महिलाएं नशा करने लगती हैं। वहीं सोसाइटी में हाई दिखाने के लिए भी नशा करना महिलाओं का शौक बनने लगा है।
शुरुआती दौर में तनाव में नींद नहीं आने के कारण महिलाएं नींद की गोलियां खाने लगती हैं। फिर धीरे-धीरे यहीं गोलियां बढ़ती जाती हैं तब एक या दो गोलियों से काम नहीं चलता है।
देश के नशा मुक्ति केंद्रों में भी नशे की आदी महिलाएं काफी तेजी से पहुंच रही हैं। इनमें ज्यादातर इंजेक्शन और शराब की आदी होती हैं।पिछले दो तीन सालों में यह तेजी से बढ़ा है। अब शहरों की सात से दस प्रतिशत तक महिलाएं नशे की चपेट में आ चुकी हैं। वह किसी न किसी रूप में नशा कर रही हैं।
शहरों की लड़कियों में पान मसाला गुटखा या सिगरेट का नशा तेजी से बढ़ा है इसकी शिकार 16 से 25 साल की लड़कियां हैं। 25 से 30 साल की कुछ महिलाएं भी अति महत्वाकांक्षा के चलते नशे की चपेट में आ रही हैं।. वहीं 30 से 40 वर्ष में नशे की आदी महिलाओं का मुख्य कारण घरेलू कलह होती है।
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और्गनाइजेशन फार इकोनामिक कारपोरेशन एंड डेवलपमेंट की ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शराब का सेवन पिछले 20 सालों में 55% तक बढ़ा है। शराब सेवन की दृष्टि से 40 देशों की सूची में भारत को तीसरा स्थान मिला है। महिलाओं में इस का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार पिछले 10 सालों में हमारे देश में शराब का सेवन करने वाली महिलाओं की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। ‘वर्ल्ड हैल्थ और्गनाइजेशन’ की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 11% महिलाएं शराब का सेवन करती हैं। यह एक चिंताजनक पहलू है जिस पर कारगर पहल सरकार से पहले पुरुष वर्ग को खुद से आगे आकर करनी चाहिए ताकि संतुलन न बिगड़ने पाए।