Kar Sevak for Ram Mandir: कार सेवकों को क्यों दिया गया है ये नाम, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
Kar Sevak for Ram Mandir: क्या आपको है कि पता राम मंदिर से कार सेवकों का नाम क्यों जुड़ा है और उन्हें इस नाम से क्यों सम्बोधित किया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।
Kar Sevak for Ram Mandir: 22 जनवरी को राम भक्तों और अयोध्यावासियों के लिए एक बड़ा दिन है। यही वो दिन है जिसका इंतज़ार सालों से राम भक्तों को था। वहीँ जब भी राम मंदिर से जुड़ी किसी भी बात का ज़िक्र होता है तो कार सेवकों का नाम ज़रूर लिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है ये शब्द किस लिए लिया जाता है और इसका मतलब क्या है? साथ ही इसे पहली बार कब लिया गया था। आइये हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
क्यों कहा जाता है इन्हे 'कार सेवक'
उत्तर प्रदेश के अयोधया नगर पूरी तरह से राममय हो चुकी है क्योंकि सालों बाद अब पुनः श्री राम यहाँ अपने भव्य मंदिर में वास करेंगे। 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जिसकी तैयारियां काफी दिनों से चल रही है। लेकिन राम मंदिर पर जब जब चर्चा हुई एक शब्द ने भी खूब चर्चा बटोरी और वो शब्द है 'कार सेवक'। अयोध्या में जब विवादित ढांचा गिराने लगभग 2 लाख से ज्यादा लोग मौजूद थे इन्ही लोगों को कार सेवक नाम दिया गया। इस शब्द को पहली बार 23 जून सन 1990 में एक संत सम्मेलन में लिया गया था। लेकिन अब सवाल ये उठता है आखिर उन्हें कार सेवक क्यों कहा जाता है। साथ ही इस शब्द का क्या मतलब है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।
आपको बता दें कि जो लोग बिना किसी स्वार्थ के और परोपकार पूर्वक कोई धार्मिक कार्य करते हैं उन्हें कार सेवक कहा जाता है। क्योंकि ज़्यादातर लोग परोपकार की दृष्टि से और निःस्वार्थ भाव से धार्मिक कार्य करते हैं यही वजह है कि इन्हे कार सेवक नाम से सम्बोधित किया जाता है। इसे और बेहतर तरह से समझने के लिए, कार का अर्थ होता है कर यानी हाथ और सेवक का मतलब है सेवा करना। वहीँ इंग्लिश या अंग्रेजी भाषा में इसे वोलिंटियर कहा जाता है।
गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को ही अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था। जिसे शायद ही कोई भूल सकता होगा। ये तारीख भारतीय इतिहास में दर्ज है। इसके बाद से ही कार सेवक शब्द चर्चा में आया। जब जब अयोध्या के विवादित ढांचे का ज़िक्र होता है तो कार सेवकों का जिक्र भी किया जाता है। लेकिन इस शब्द को केवल विवादित ढांचे से जोड़ना सही नहीं है। वहीँ आपको बता दें कि कार सेवक शब्द को सिख धर्म के ग्रंथों कई जगहों पर इस्तेमाल किया गया है। ऐसा भी कहा जाता है कि जलियावाला बाग की घटना के समय उधमसिंह ने कार सेवा की थी। इसके अलावा स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी कार सेवा से ही हुआ है। इसके बाद से ही इस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा था।