Basant Panchami Mantra 2025: बसंत पंचमी के दिन स्टूडेंट जरूर करें मां सरस्वती के इन मंत्रों का जाप, मिलेगा विशेष फल

Basant Panchami 2025: मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इस दिन कुछ खास मंत्रों का जाप करना भी बेहद शुभ होता है।;

Written By :  Shreya
Update:2025-02-02 08:15 IST

Basant Panchami Mantra (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Basant Panchami 2025 Mantra Jaap: कल यानी 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व मनाया जाने वाला है। हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह तिथि दो फरवरी को पड़ रही है। इसे वसंत पंचमी (Vasant Panchami) या इसे सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व का खास महत्व है।

मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस मौके पर विद्यार्थियों के लिए सरस्वती मां की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे देवी मां साधक पर प्रसन्न होती हैं और ज्ञान और विद्या का आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा इस खास दिन कुछ खास मंत्र का जाप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं कौन से हैं वो मंत्र।

सरस्वती पूजा के दिन किन मंत्रों का करें जाप (Maa Saraswati Mantra For Students For Basant Panchami 2025)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बता दें बसंत पंचमी (Basant Panchami) का दिन सरस्वती मां की कृपा पाने के लिए खास माना जाता है। ऐसे में अगर आप स्टूडेंट हैं तो इस दिन कुछ विशेष मंत्रों (Maa Saraswati Mantra) और श्लोकों का जाप जरूर करें।

- या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।

- ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी, वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा।

- ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः।

- ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।।

- सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि। विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा॥

- ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः।

मां सरस्वती वदंना (Saraswati Vandana in Sanskrit)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥

हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।

वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥

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