Bathua Saag Khane Ke Fayde: सागो का सरदार बथुवा, जाने इसके फायदे और नुकसान

Bathua Saag Benefits in Hindi: बथुवा को अंग्रेजी में (Lamb's Quarters) कहा जाता है तथा इसका वैज्ञानिक नाम (Chenopodium album) है।;

Written By :  Pt Dev Sharma
Update:2025-01-13 15:44 IST

Bathua Ka Saag Khane Ke Fayde in Hindi 

Bathua Ka Saag Khane Ke Fayde: बथुआ के साग और रायता बना कर अनादि काल से खाया जाता है ।लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि “हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग में करने के लिए प्लस्तर में बथुवा मिलाते थे।” और हमारी दादियां व नानियाँ सिर से ढेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुवै के पानी से बाल धोया करती।बथुवा गुणों की खान है। भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।

बथुवै में क्या क्या है, मतलब कौन कौन से विटामिन और मिनरल्स

बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43 Kcal होती है।

जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है।साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डली हो तो इस खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं ना? गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व आयरन की गोली बताई जाती है। जबकि बथुवे में वो सब कुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।

यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है। बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी गाय के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुवे में जिंक होता है जो कि शुक्राणुवर्धक हैं।

बथुवा कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी के शरीर में लगेगी ही नहीं, कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।

पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।

मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ।

पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें । बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।

आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली। उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुवा ही है।

मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुवा काम आता है।

लेकिन अफसोस, किसान ये बातें भूलते जा रहे हैं। इस दिव्य पौधे को नष्ट करने के लिए अपने अपने खेतों में जहर डालते हैं।

तथाकथित कृषि वैज्ञानिकों (अंग्रेज व काले अंग्रेज) ने बथुवै को भी कोंधरा, चौलाई , सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों को खरपतवार की श्रेणी में डाल दिया और हम भारतीय चूं भी ना कर पाये।

( बथुवे का उपयोग करन से पहले किसी डायटीशियन या वैद्य से परामर्श जरुर करें।)

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