अमरुद का रोज़ाना सेवन करेगा मलेरिया को खत्म, इन असरदार टिप्स को अपनाकर रहें सुरक्षित
गर्मियों का मौसम शुरू होते ही मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ गया है। ऐसे में मच्छरों से होने वाली बिमारियों का भी खतरा मंडराने लगा है।
गर्मियों का मौसम शुरू होते ही मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ गया है। ऐसे में मच्छरों से होने वाली बिमारियों का भी खतरा मंडराने लगा है। जिनमें मलेरिया भी प्रमुख है। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो आमतौर पर संक्रमित एनोफेलीज मच्छर के काटने से फैलता है। जब यह मच्छर आपको काटता है तो परजीवी आपके रक्त प्रवाह में चला जाता है। और कई दिनों के बाद यह परजीवी रक्त प्रवाह में प्रवेश कर लाल कोशिकाओं को भी संक्रमित करना शुरू कर देते हैं।
बता दें कि मलेरिया प्लासमोडियम परजीवी के कारण होता है। यानि परजीवी संक्रमित मादा एनोफेलीज मच्छरों के काटने से यह रोग लोगों में विशेष रूप से फैलता है। इसे मलेरिया वेक्टर के नाम से जाना जाता है। इसकी पांच परजीवी प्रजातियां होती हैं जिससे मनुष्य को मलेरिया होने का ख़तरा होता है। जिसमें से दो प्रमुख प्रजातियां पहला पी फाल्सीपेरम और दूसरा पी विवक्स जिससे खतरे का मुख्य स्त्रोत माना जाता है।
सदियों से भारत में मलेरिया जैसी महामारी का प्रकोप चला आ रहा है। प्राचीन भारतीय चिकित्सा साहित्य में मलेरिया महामारी का विवरण अथर्ववेद में पाया जा सकता है। भारत ने इसकी गंभीरता को समझते हुए ,2030 तक मलेरिया से सम्पूर्ण रूप से राहत पाने का लक्ष्य तय कर लिया है।
लेकिन क्या आपको पता है कि अमरुद का सेवन आपको मलेरिया से दूर रखेगा। जी हाँ , अमरूद में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में बेहद लाभप्रद माना जाता है । इसलिए मलेरिया के रोगियों को भी अमरुद के सेवन की सलाह दी जाती है।
रोज़ाना एक अमरुद का सेवन शरीर में मलेरिया के लक्षणों को भी बढ़ने से रखता है। इतना ही नहीं अमरूद पर नमक और काली मिर्च लगाकर खाने से कफ की समस्या भी दूर हो जाती है। दूसरी तरफ पके अमरूद के बीजों को खाने के बाद पानी पीने से जुकाम से जल्द राहत मिल जाती है।
वैसे सामान्यतः मलेरिया का प्रमुख लक्षण तेज़ बुखार और कंपकंपी के साथ बुखार आना होता है। बता दें कि मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के दस से पंद्रह दिनों के बाद दिखाई देते हैं और अगर संक्रमण के चौबीस घंटो के भीतर इलाज नहीं मिला तो कभी -कभी प्लासमोडियम फाल्सीपेरम गंभीर मलेरिया का रूप भी ले लेती है, जो अक्सर मौत का कारण भी बन सकता है।
मलेरिया के लक्षण
आमतौर पर मलेरिया के कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं। आम तौर पर तेज़ बुखार और कंपकंपी के साथ बुखार आना ,अत्यधिक पसीना आना , जी मिचलाना या उल्टी आना, पेट में दर्द के साथ दस्त होना के अलावा मांसपेशियों में भीषण दर्द और अकड़न भी कुछ इसके सामान्य लक्षण हैं।
कई बार मलेरिया को हलके में लेना जीवन के कई तरह की जटिलताओं को जन्म दे सकता है। इसके कारण मस्तिष्क के रक्त कोशिकाओं में सूजन आ जाती है , इतना ही नहीं फेफड़ो में तरल पदार्थ का संचय हो जाता है जिससे सांस लेने में समस्याएं पैदा हो जाती हैं , कई बार इसकी वजह से गुर्दे और लिवर भी ठीक से काम नहीं करते हैं ,इसके अलावा मलेरिया के वजह से ब्लड शुगर काफी कम भी हो सकता है।
मलेरिया से बचाव
मलेरिया से बचने के लिए आस-पास सफाई रखना ही सबसे प्रभावी उपाए है। हमेशा अपने आस -पास सफाई बनाये रखें और पानी को इकठ्ठा ना होने दें। याद रखें ठहरे हुए पानी में मच्छर पैदा न हो इसके लिए घर के पास की नालियों और सड़क के गड्ढों को हमेशा साफ़ करवाते रहें। घर के आस -पास बीच -बीच में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाना भी मलेरिया से बचाव कराता है।
इसके अलावा कूलर के पानी की सप्ताह में एक बार सफाई जरूर करनी चाहिए ताकि उनमें मच्छर ना पनप पायें। किसी भी बर्तन या गड्ढों में पानी जमा नहीं होने दें। पूरे आस्तीन के कपडे पहनना और मच्छरदानी या मॉस्किटो रेप्लीकेंट का उपयोग करना मलेरिया से बचाव में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मलेरिया से बचाव के असरदार घरेलु टिप्स
इन सबके अलावा कुछ घरेलु उपाय भी मलेरिया के प्रकोप को कम करने में सहायक होते हैं। अमरुद का सेवन तो इस रोग के उपचार के लिए रामबाण साबित होता है। इसके अलावा गिलोय भी मलेरिया और डेंगू के इलाज के लिए अमृत से कम नहीं मानी जाती है। प्रतिदिन 3 से 4 बार गिलोय का काढ़ा पीने से इसमें जबरदस्त लाभ मिलता है।
अगर बुखार ज्यादा है तो इसके लिए गिलोय, तुलसी,काली मिर्च और पपीते के पत्तों को उबालकर या रात में मिट्टी के बर्तन में भिगोकर सुबह छानकर पीने से बुखार में जल्द राहत मिलती है। इसके अलावा 8-10तु लसी के पत्तों के साथ 7-8 काली मिर्च को पीसकर शहद के साथ सुबह-शाम लेने से भी बुखार से राहत मिलती है।
मलेरिया में रोगी को नींबू में काली मिर्च और सेंधा नमक या सेब पर काली मिर्च और सेंधा नमक छिड़क कर खिलाने से मुँह के स्वाद बढ़ाने के साथ -साथ सेहत में भी जल्दी सुधार आता है। याद रखें मरीज़ को तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा देना चाहिए। इसके अलावा खिचड़ी, दलिया, साबुदाना जैसे हल्के और पौषक तत्वों से भरपूर आहार देना भी बेहद फायदेमंद होता है।