कोविड-19 : पैरेंट्स बच्चों को मोबाइल से रखें दूर, वर्ना भुगतना पड़ेगा घातक परिणाम

कोविड-19  के चलते आज के वक्त में ज्यादातर लोग घर में कैद हो गए हैं। अधिकतर संस्थान चाहे वो शिक्षण हो या वर्किंग सब बंद हो गए है। कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए स्कूलों को बंद कर दिया गया है। बच्चों के स्कूल बंद होने से पैरेंट्स की परेशानी बढ़ गई हैं। क्योंकि चाहें परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों ना हो

Update: 2020-03-18 06:09 GMT

लखनऊ: कोविड-19 के चलते आज के वक्त में ज्यादातर लोग घर में कैद हो गए हैं। अधिकतर संस्थान चाहे वो शिक्षण हो या वर्किंग सब बंद हो गए है। कोरोना से बच्चों को बचाने के लिए स्कूलों को बंद कर दिया गया है। बच्चों के स्कूल बंद होने से पैरेंट्स की परेशानी बढ़ गई हैं। क्योंकि चाहें परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों ना हो ये मासूम जान उसकी भयावहता से अनजान रहते हैं। उन्हें तो बस शरारतें, खेलना पसंद होता है। लेकिन मौजूदा वक्त में बच्चों का बाहर जाना भी खतरे से खाली नहीं है।

 

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ऐसे में स्कूलों में हुई छुट्टी के बाद घर में रहने को मजबूर बच्चों और उनके पैरेंट्स के सामने यह बड़ी मुश्किल है कि समय कैसे काटा जाए, खासकर बच्चों का मनोरंजन कैसे किया जा सके, क्योंकि इन हालात में उन्हें दूसरी सार्वजनिक जगहों पर भी नहीं ले जाया जा सकता।

ऐसे में ज्यादातर बच्चों का समय इन दिनों घरों में मोबाइल फोन पर गेम या फिर टीवी पर कार्टून देखने में ही बीतता है, लेकिन डाक्टरों का मानना है कि उनकी आंखों की सेहत के लिए मोबाइल बिल्कुल भी अच्छा नहीं है।

ज्यादा देर मोबाइल ,आईपैड ,लैपटॉप ,या फिर टीवी देखना बच्चों की आंखों के लिए घातक हो सकता है। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के नेत्र रोग विभाग की HOD डॉ. अपजीत कौर का कहना है कि 20 मिनट से ज्यादा किसी भी व्यक्ति को कोई भी डिजिटल स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आंखों की परत सूखने लगती है।

इससे आंखों में दर्द पैदा होता है और फिर इंसान आंखों को रगड़ना शुरू कर देता है जिसकी वजह से हाथों से कोई भी इंफेक्शन आंखों में पहुंच जाने का खतरा होता है। डॉ. कौर ने बताया कि हर 20 मिनट के बाद कुछ देर के लिए स्क्रीन देखना बन्द कर देना चाहिए और पलक झपकाना चाहिए।

 

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ऐसा करने से आंखों में लिक्विड की लेयरआंखों के ऊपर आ जाती है और उसे ड्राई होने से बचाती है। पलक झपकने के बाद लुब्रिकेंट की लेयर आंखों पे बिछ जाती है साथ ही कॉर्निया को ऑक्सीजन भी मिल जाती है इसलिए ये एक्सरसाइज बच्चों को तो रेगुलर तौर पर करवाते ही रहें और बड़े भी इसे दोहराते रहें।

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