Dhirubhai Ambani Biography: जिसने 300 रुपये को बना दिया 300 करोड़, आइए जानते हैं ऐसे ही युगपुरुष धीरुभाई की कहानी

Dhirubhai Ambani Ki Kahani: धीरूभाई के बचपन में ही यह स्पष्ट था कि वे असाधारण प्रतिभा के धनी हैं। छोटी उम्र में ही उन्होंने व्यापारिक समझ दिखाना शुरू कर दिया था।

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2024-12-28 12:44 IST

Dhirubhai Ambani Biography Wikipedia in Hindi

Dhirubhai Ambani Ka Jivan Parichay: “सपने देखो, और उन्हें पूरा करने का साहस रखो।” यह कथन धीरजलाल हीराचंद अंबानी, जिन्हें धीरूभाई अंबानी के नाम से जाना जाता है, के जीवन का सार है। एक साधारण परिवार से निकलकर भारत के सबसे बड़े उद्योग साम्राज्य “रिलायंस इंडस्ट्रीज” की स्थापना करने वाले धीरूभाई का जीवन संघर्ष, दूरदृष्टि और सफलता की अनोखी कहानी है।

प्रारंभिक जीवन और परिवार

जन्म और परिवारिक पृष्ठभूमि

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ गाँव में हुआ। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे थे।


उनके पिता, हीराचंद गोवर्धनदास अंबानी, एक स्कूल शिक्षक थे और माँ, जमनाबेन, एक साधारण गृहिणी। धीरूभाई का बचपन आर्थिक तंगी में बीता, लेकिन उनके सपने हमेशा बड़े थे।

बचपन और संघर्ष

धीरूभाई के बचपन में ही यह स्पष्ट था कि वे असाधारण प्रतिभा के धनी हैं। छोटी उम्र में ही उन्होंने व्यापारिक समझ दिखाना शुरू कर दिया था।


वे गाँव में मिठाइयाँ और खाने-पीने की चीजें बेचते थे, जिससे उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक मदद की। उनकी यह जिज्ञासा और आत्मनिर्भरता उनके भविष्य का संकेत दे रही थी।

शिक्षा और शुरुआती जीवन

शिक्षा

धीरूभाई की प्रारंभिक शिक्षा चोरवाड़ के स्कूल में हुई। वे पढ़ाई में औसत थे, लेकिन गणित और व्यापारिक विषयों में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने औपचारिक शिक्षा को जल्द ही छोड़ दिया क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी।

अदन में पहली नौकरी

शिक्षा पूरी न कर पाने के कारण, धीरूभाई को अपने परिवार की मदद करने के लिए कम उम्र में काम करना पड़ा। धीरूभाई अंबानी की पहली नौकरी अदन (यमन) में ए. बैसी एंड कंपनी के पेट्रोल पंप पर थी।


यह नौकरी उन्हें उनके रिश्तेदार रमणीकलाल द्वारा दिलाई गई थी। शुरुआत में उन्हें 300 रुपये प्रति माह वेतन मिलता था। अपने मेहनती और समझदार स्वभाव के कारण उन्होंने जल्दी ही काम को सीख लिया। जल्द ही, उन्हें इसी कंपनी के फिलिंग स्टेशन का मैनेजर बना दिया गया। यह धीरूभाई की व्यावसायिक यात्रा की पहली सीढ़ी थी।

व्यापारिक करियर की शुरुआत

मुंबई से बिजनेस की शुरुआत

1958 में, धीरूभाई अंबानी ने अदन से मुंबई आकर बिजनेस की शुरुआत की। उन्होंने एक किराए के मकान में रहकर और थोड़ी-सी पूंजी से रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की स्थापना की।


उनकी कंपनी अदरक, हल्दी, इलायची, और कपड़ों के साथ-साथ कई अन्य वस्तुओं का निर्यात करती थी। उनकी कारोबारी बुद्धिमत्ता और मेहनत से व्यापार ने तेजी से प्रगति की।

रिलायंस का साम्राज्य खड़ा करना

1958 से 1965 के बीच, रिलायंस ने तेजी से विकास किया। धीरूभाई ने मुंबई के यार्न बाजार में अपनी पहचान बनाई और देश के हैंडलूम और पावरलूम केंद्रों में व्यापार का विस्तार किया।


1960 के दशक की शुरुआत में उन्होंने "चमकी" नामक विस्कोस आधारित धागा बनाया, जिसने उन्हें शोहरत के शिखर पर पहुंचा दिया। लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने गुजरात के नरोदा में 15,000 रुपये की पूंजी से एक टेक्सटाइल मिल स्थापित की, जहां पॉलिएस्टर धागों से कपड़ा बनाया जाता था।

ब्रांड ‘विमल’ की स्थापना

धीरूभाई ने कपड़ों के अपने ब्रांड का नाम "विमल" रखा, जो उनके भाई रमणी कलाल के बेटे विमल अंबानी के नाम पर था।


"विमल" ने बाजार में धूम मचाई और यह ब्रांड धीरूभाई की सफलता का प्रतीक बन गया।

कंपनी का विस्तार और आईपीओ

धीरूभाई ने अपनी कंपनी का नाम तीन बार बदला और 1977 में इसे "रिलायंस इंडस्ट्रीज" के रूप में स्थापित किया। उसी वर्ष, उन्होंने भारत का पहला आईपीओ लॉन्च किया। उनके नेतृत्व में रिलायंस पहली ऐसी कंपनी बनी जिसकी वार्षिक बैठक के लिए स्टेडियम बुक करना पड़ा। उनकी कुशलता और जोखिम लेने की क्षमता के कारण कंपनी निरंतर प्रगति करती रही।

पब्लिक इश्यू के जरिए विस्तार

धीरूभाई अंबानी ने अपने व्यापार को और विस्तार देने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज को सार्वजनिक क्षेत्र में शामिल कराया। उन्होंने 58,000 निवेशकों से इक्विटी जुटाई।


यह उस समय का एक साहसिक कदम था, जिसने उनकी कंपनी को तेजी से बढ़ने में मदद की। 1980 में उन्होंने महाराष्ट्र के पतलगंगा में पॉलिएस्टर फाइबर धागों का कारखाना खोला।

नई ऊंचाइयों पर रिलायंस

1991-92 में धीरूभाई ने हजीरा में पेट्रोकेमिकल प्लांट की शुरुआत की। 1992 में रिलायंस देश की पहली कंपनी बनी जिसने ग्लोबल मार्केट से फंड जुटाए। 1995-96 में रिलायंस ने टेलीकॉम इंडस्ट्री में कदम रखा और NYNEX USA के साथ मिलकर रिलायंस टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। 1998-2000 में, उन्होंने गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स की स्थापना की।

राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों से संबंध

धीरूभाई अंबानी के सभी प्रमुख राजनेताओं और राजनीतिक दलों से अच्छे संबंध थे।


जब इंदिरा गांधी की सरकार ने पॉलिएस्टर फिलामेंट यार्न की मैन्युफैक्चरिंग को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने का फैसला लिया, तब धीरूभाई ने टाटा और बिड़ला जैसी दिग्गज कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। प्रणब मुखर्जी जैसे नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध थे, लेकिन जब वीपी सिंह वित्त मंत्री बने, तो उनके साथ धीरूभाई के संबंध तनावपूर्ण रहे।

विवादों में घिरे धीरूभाई

धीरूभाई अंबानी की सफलता के साथ विवाद भी जुड़े रहे। उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी बॉम्बे डाइंग के नुसली वाडिया थे। वाडिया की हत्या की साजिश को लेकर धीरूभाई के कुछ कर्मचारियों पर आरोप लगे। इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक रामनाथ गोयनका, जो पहले धीरूभाई के करीबी थे, बाद में नुसली वाडिया के पक्ष में आ गए और धीरूभाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।धीरूभाई अंबानी का करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। उन पर कई बार शेयर बाजार में गड़बड़ी और सरकारी नीतियों का लाभ उठाने के आरोप लगे। लेकिन हर विवाद से उन्होंने अपने कौशल और दूरदृष्टि के दम पर खुद को और मजबूत किया।


स्वास्थ्य और निधन- धीरूभाई अंबानी को 1986 में पहला स्ट्रोक आया, जिससे उनके शरीर का एक हिस्सा कमजोर हो गया। इसके बावजूद उन्होंने अपने काम को जारी रखा। 6 जुलाई 2002 को, 69 वर्ष की आयु में, मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निधन हो गया।उनके निधन के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज का नेतृत्व उनके दोनों बेटों, मुकेश और अनिल अंबानी ने संभाला। हालाँकि, बाद में दोनों भाइयों के बीच व्यवसाय का विभाजन हुआ, लेकिन रिलायंस की नींव और सफलता की कहानी धीरूभाई की दूरदृष्टि का परिणाम है।

परिवार के लिए छोड़ी दौलत

जब उन्होंने अंतिम सांस ली, तब वे दुनिया के 138वें सबसे अमीर व्यक्ति थे, जिनकी कुल संपत्ति 2.9 बिलियन डॉलर थी। उनकी मृत्यु के समय रिलायंस ग्रुप की कुल संपत्ति 60,000 करोड़ रुपये थी।


आज रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड 12 लाख करोड़ रुपये की कंपनी है। उनका व्यापार उनके दोनों बेटे, मुकेश और अनिल अंबानी ने संभाला। हालांकि, बाद में दोनों भाइयों के बीच विवाद हुआ और संपत्ति का बंटवारा करना पड़ा।

धीरूभाई का पारिवारिक जीवन

1955 में धीरूभाई ने कोकिलाबेन से शादी की। उनके चार बच्चे हुए – मुकेश, अनिल, दीप्ति, और नीना। शुरुआती दिनों में जब धीरूभाई का कारोबार स्थापित हो रहा था, तब वे दिन-रात काम करते थे। हालांकि, वे परिवार के साथ समय बिताने का हमेशा ध्यान रखते थे। पार्टी और घूमने-फिरने से दूर, धीरूभाई अपने परिवार को प्राथमिकता देते थे।


धीरूभाई सादगी और विनम्रता के प्रतीक थे। वे अपने कर्मचारियों और सहयोगियों के साथ परिवार की तरह व्यवहार करते थे। उनका मानना था कि टीमवर्क और भरोसे से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

प्रमुख उपलब्धियाँ

रिलायंस का विस्तार

“रिलायंस इंडस्ट्रीज” ने धीरूभाई के नेतृत्व में पॉलिएस्टर के व्यापार से लेकर पेट्रोकेमिकल्स, ऊर्जा, और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में विस्तार किया। आज यह भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है।

पूंजी बाजार का उपयोग

धीरूभाई ने भारतीय पूंजी बाजार में क्रांति ला दी। उन्होंने 1977 में रिलायंस को सार्वजनिक किया और लाखों छोटे निवेशकों को अपनी कंपनी का हिस्सा बनने का मौका दिया। यह पहली बार था जब किसी भारतीय कंपनी ने इस तरह का व्यापक सार्वजनिक निर्गम किया।

विश्वसनीयता का निर्माण

धीरूभाई ने “विश्वास” को व्यापार का मूल मंत्र बनाया। उनके निवेशकों और ग्राहकों के बीच उनके नेतृत्व और दूरदृष्टि के कारण भरोसा कायम रहा।


पेट्रोकेमिकल्स और तेल उद्योग में क्रांति

उन्होंने भारत के पेट्रोकेमिकल्स उद्योग में एक नई दिशा दी। जामनगर में स्थित रिलायंस का रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स विश्व का सबसे बड़ा रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स है।

दूरसंचार क्रांति

2002 में रिलायंस इंफोकॉम (अब रिलायंस जियो) के माध्यम से उन्होंने दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने मोबाइल सेवाओं को आम जनता की पहुँच में लाकर इसे क्रांतिकारी बना दिया।

धीरूभाई हमेशा कहते थे कि अगर आप बड़े सपने देख सकते हैं, तो उन्हें पूरा करने का साहस भी रख सकते हैं।उनका जीवन सिखाता है कि संघर्षों से घबराने की बजाय उन्हें अवसर में बदलने का प्रयास करना चाहिए।उन्होंने भारतीय उद्योग को यह दिखाया कि कैसे नवाचार और दूरदृष्टि के साथ सफलता हासिल की जा सकती है।धीरूभाई अंबानी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सीमित संसाधनों के बावजूद, अगर इरादे पक्के हों, तो सफलता की ऊँचाइयों को छूना संभव है। वे सिर्फ एक उद्योगपति नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थे, जिन्होंने भारत को वैश्विक व्यापार मानचित्र पर स्थान दिलाया। उनका जीवन हर भारतीय के लिए यह संदेश है कि असंभव कुछ भी नहीं।


धीरूभाई अंबानी व्यापार की दुनिया में एक आदर्श व्यक्तित्व हैं। उनकी कहानी यह दिखाती है कि किस प्रकार एक साधारण व्यक्ति अपने दृढ़संकल्प, मेहनत और दूरदृष्टि से असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। उनके जीवन से यह सिखने को मिलता है कि किसी भी चुनौती को अवसर में कैसे बदला जा सकता है।

धीरूभाई अंबानी की कहानी एक छोटे से कस्बे के लड़के के एक अद्भुत कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने की प्रेरणादायक गाथा है। उनकी मेहनत, साहस, और दूरदर्शिता आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देती है।

“धीरूभाई अंबानी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक सोच और साहस का प्रतीक हैं।”

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