Eid Ka Chand 2024: ईद के चाँद का दीदार करना इस्लाम में क्यों है ज़रूरी, जानिए इसके पीछे की वजह

Eid Ka Chand 2024: ईद का चाँद नज़र आ गया है और कई शहरों में लोग इसका इंतज़ार भी कर रहे होंगें। आइये जानते हैं आपके शहर में कितने बजे होंगे चाँद के दीदार।

Update: 2024-04-10 13:56 GMT

Eid Ka Chand 2024 (Image Credit-Social Media)

Eid Ka Chand 2024: इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रन्थ कुरान है और इसमें लिखीं बातों को मानना हर मुस्लमान का धर्म है। आज भारत और बांग्लादेश में चाँद के दीदार हो गए हैं। कई राज्यों में जहाँ ये नज़ारा देखने को मिल रहा है वहीँ कुछ राज्यों में अबसे थोड़ी देर में चाँद के दीदार होंगें।

ईद के चाँद का इस्लाम में महत्त्व (Importance of Chand Raat in Islam)

जहाँ 9 अप्रैल की शाम को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, कुवैत, बहरीन, मिस्र, तुर्की, ईरान, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और मध्य पूर्व और पश्चिम के अन्य देशों में मुसलमानों द्वारा शव्वाल अर्धचंद्र देखा गया, जबकि भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, बांग्लादेश आदि सहित दक्षिण एशियाई देशों में मुसलमान ने आज शाम रोजा तोड़ने और मगरिब की नमाज के बाद शव्वाल चांद का दीदार किया।

यहाँ इतने बजे नज़र आया चाँद

दिल्ली- 7 :30 PM (Delhi Moon Rise Time)

लखनऊ- 7:15 PM

मुंबई- 7:39 PM

बेंगलुरु- 05:34 PM

चंडीगढ़- 06:27 PM

अहमदाबाद- 07:45 PM

हैदराबाद- 07:14 PM

पुणे- 07:34 PM

आगरा- 06:19 PM

पटना- 05:49 PM

चेन्नई- 7:01 PM

नोएडा- 7:32 PM

कोलकाता- 6:38 PM 

इस्लाम के अनुसार ईद की नमाज़ बेहद ज़रूरी होती है इसमें ज़रूर शामिल होना चाहिए। इसके बाद जकात अल फ़ित्र निकाला जाना चाहिए। ईद के दिन सभी नए कपडे पहनते हैं और सभी को मुबारकबाद भी देते हैं। सभी एक दूसरे के घर जाते हैं जहाँ मीठी सिवइयां और कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं। लोग एक दूसरे को गले लगकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।

इस्लाम धर्म में ईद का त्योहार चाँद का दीदार करने के बाद ही होता है। वहीँ इस्लामी रूयत-ए-हिलाल (नया चांद देखना) के मुताबिक, अर्धचंद्र को देखना एक धार्मिक प्रक्रिया होती है। ईद का चाँद नया चाँद माना जाता है और इसी दिन से इस्लाम में नए साल की शुरुआत भी होती है। रमज़ान के महीने के अंत के साथ शव्वाल के महीने का आगाज़ होता है और इसी दिन ईद मनाई जाती है।

कुरान में लिखा है कि ईद मनाने के लिए मुसलमानों का चाँद देखना बेहद ज़रूरी होता है। क्योंकि शरीयत में अपनी आँखों से देखने और गवाही से ही सबूत का एतबार है।   

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