Mithakon Se Vigyan Tak Review: मिथकों से विज्ञान तक, गौहर रज़ा की पुस्तक का समीक्षा, विज्ञान और तर्क की राह पर एक सारगर्भित यात्रा

Mithakon Se Vigyan Tak Review: "मिथकों से विज्ञान तक" एक विचारोत्तेजक कृति है जो यह विश्लेषण करती है कि किस प्रकार मानव सभ्यता ने प्राचीन मिथकों से लेकर आधुनिक विज्ञान तक का सफर तय किया।;

Report :  Ankit Awasthi
Update:2025-02-07 16:34 IST

Book Review Gauhar Raza (Photo Social Media)

Book Review Gauhar Raza: विज्ञान और समाज के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करने वाले चर्चित वैज्ञानिक, कवि और सामाजिक चिंतक "गौहर रज़ा" की पुस्तक "मिथकों से विज्ञान तक" हाल ही में चर्चा में है। यह पुस्तक पाठकों को तार्किक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है।

पुस्तक की विषयवस्तु

"मिथकों से विज्ञान तक" एक विचारोत्तेजक कृति है जो यह विश्लेषण करती है कि किस प्रकार मानव सभ्यता ने प्राचीन मिथकों से लेकर आधुनिक विज्ञान तक का सफर तय किया। गौहर रज़ा ने इसमें ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भों के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि विज्ञान का विकास किस तरह मिथकों, विश्वासों और परंपराओं को चुनौती देता आया है।

लेखक यह तर्क प्रस्तुत करते हैं कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी रोज़मर्रा की सोच, जीवनशैली और समाज की संरचना को भी प्रभावित करता है। वे बताते हैं कि अंधविश्वासों और अवैज्ञानिक धारणाओं को कैसे तर्क और वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से खारिज किया जा सकता है।

शैली और प्रस्तुति

गौहर रज़ा की लेखनी का सबसे बड़ा आकर्षण उनकी सहज भाषा और गहरी अंतर्दृष्टि है। उन्होंने जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को सरल और रोचक कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे आम पाठक भी इसे आसानी से समझ सकते हैं।

पुस्तक में कई ऐतिहासिक घटनाओं और वैज्ञानिक उपलब्धियों का ज़िक्र है, जो यह दर्शाते हैं कि मानव सभ्यता कैसे धीरे-धीरे मिथकों से बाहर निकलकर वैज्ञानिक सोच को अपनाने लगी। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत से लेकर आधुनिक भौतिकी तक, लेखक ने विज्ञान के क्रमिक विकास की एक स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत की है।

प्रासंगिकता और संदेश

आज के दौर में जब विज्ञान और तर्क की राह को कई बार संदेह की नज़रों से देखा जाता है, यह पुस्तक विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है। गौहर रज़ा का उद्देश्य केवल वैज्ञानिक तथ्यों को प्रस्तुत करना नहीं, बल्कि समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करना भी है।

"मिथकों से विज्ञान तक" उन लोगों के लिए एक बेहतरीन पुस्तक है जो विज्ञान और समाज के आपसी संबंधों को समझना चाहते हैं। यह विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और विज्ञान में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।

गौहर रज़ा की यह पुस्तक केवल विज्ञान की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने का एक सशक्त प्रयास भी है। "मिथकों से विज्ञान तक" न सिर्फ ज्ञानवर्धक है, बल्कि यह पाठकों को तर्क और विवेक की शक्ति से परिचित कराती है। यह पुस्तक निश्चित रूप से पढ़ने लायक है, खासकर उन लोगों के लिए जो तर्क और विज्ञान के महत्व को समझना चाहते हैं।

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