HEALTH: केवल धूप में नहीं, गैजेट्स के इस्तेमाल के समय भी लगाएं सनस्क्रीन

Update: 2017-06-30 08:31 GMT

लखनऊ: शोध में बात सामने आई है कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली अल्ट्रावायलट किरणें त्वचा के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसलिए कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करते समय भी हमें सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

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टेलर स्विफ्ट, जेनिफर लोपेज और जेरी हॉल के स्किन डॉक्टर का कहना है कि कंप्यूटर और स्मार्टफोन का असर हमारी त्वचा पर धूप जितना ही हानिकारक होता है। विशेषज्ञ पहले भी सूरज से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रावायलट किरणों को हमारी त्वचा के लिए नुकसानदेह बताते रहे हैं। इन डॉक्टरों का कहना है कि चार दिन तक कंप्यूटर पर काम करते समय जितनी मात्रा में अल्ट्रावायलट किरणों का सामना हम करते हैं, वह 20 मिनट धूप में रहने के बराबर है।

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इससे बचने के लिए एक तत्व ल्यूटिन युक्त सनस्क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा यह कुछ फलों व सब्जियों में भी पाया जाता है। ल्यूटिन सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलट किरणों से हमारी रक्षा करता है। प्राकृतिक रूप से ल्यूटिन प्राप्त करने के लिए अनार, तरबूज या एक खास तरह के गुलाबी चकोतरा का सेवन किया जा सकता है। इनमें एंटी ऑक्सिडेंट के अलावा जलनरोधी तत्व भी होते हैं, जो सूरज की रोशनी से होने वाली क्षति से त्वचा को बचाते हैं।

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स्मार्टफोन या कंप्यूटर की स्क्रीन से निकलने वाली अल्ट्रावायलट किरणों के प्रभाव से त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है। यह किरणें त्वचा की परतों के भीतर पहुंचकर कोलाजेन, हियालुरोनिक एसिड और एलास्टिन को क्षति पहुंचाती हैं। इससे बचने के लिए कंप्यूटर और फोन की स्क्रीन की लाइट कम की जा सकती है या इनके ऊपर फिल्टर लगाया जा सकता है।

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रूसी शोधकर्ताओं ने एक शोध में दावा किया है कि स्विमिंग पूल के क्लोरीन मिले पानी में सनस्क्रीन लगाकर उतरना खतरनाक हो सकता है। शोधकर्ता डॉक्टर अल्बर्ट लेबेदेव का कहना है कि क्लोरीन मिला पानी और सूरज की अल्ट्रावायलट किरणें सनस्क्रीन में मौजूद एक तत्वा को जहरीले रसायन में बदल देती हैं। इसके कारण तंत्रिका तंत्र में समस्या के अलावा कैंसर या बांझपन का भी खतरा हो सकता है।

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सनस्क्रीन के अलावा लिपस्टिक, क्रीम, मॉइस्चराइजर और अन्य कई तरह के प्रसाधन उत्पादनों में इस्तेमाल किए जाने वाले तत्व एवोबेंजोन पर भी शोध था। शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान देखा कि क्लोरीन मिले पानी के साथ प्रतिक्रिया होने पर यह तत्व एसेटाइल बेनजीन्स और फेनॉल्स दो रसायनों में टूटता है, जो खासतौर से विषाक्त होते हैं।

 

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