Anandiben Patel Birthday: इस दुर्घटना ने टीचर से बना दिया नेता, आनंदीबेन पटेल से जुड़ा ये किस्सा है बहुत दिलचस्प

Anandiben Patel Kon Hai: आनंदीबेन पटेल, जो मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं, आज यानी 21 नवंबर को अपना 83वां जन्मदिन मना रही हैं। वह दशकों से पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं।

Written By :  Shreya
Update:2024-11-21 12:38 IST

Anandiben Patel (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Anandiben Patel Birthday: देश की तरक्की में हमेशा से ही महिलाएं प्रमुख रूप से भागीदार रही हैं। चाहे वो डॉक्टर, टीचर, पायलट, इंजीनियर, साइंटिस्ट आदि कोई भी रोल हो, महिलाएं इन सभी फील्ड में सक्रिय हैं और अपना अहम योगदान दे रही हैं। साथ ही पॉलिटिक्स जगत में भी कुछ ऐसी महिलाएं आईं, जिन्होंने अपने अच्छे काम और मेहनत से जनता के दिल जीत लिए। उनमें से एक हैं आनंदीबेन पटेल, जो मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं।

आनंदीबेन आज यानी 21 नवंबर को अपना 83वां जन्मदिन मना रही हैं। वैसे तो उनके बारे में पॉलिटिक्स में दिलचस्पी रखने वाले लगभग सभी लोग जानकारी रखते हैं, लेकिन आज हम आपको उनके राजनीति में आने का किस्सा बताने जा रहे हैं, जो बेहद दिलचस्प है। तो चलिए जानते हैं कैसे आनंदीबेन पटेल की हुई राजनीति में एंट्री।

कौन हैं आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel Kon Hai)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आनंदीबेन पटेल मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। आनंदीबेन दशकों से पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं। उन्होंने 1987 में राजनीति में कदम रखा था। वह यूपी के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुकी हैं। इसके अलावा वह 22 मई 2014 से 7 अगस्त 2016 के दौरान गुजरात की सीएम रही थीं। आनंदीबेन ने गुजरात की पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था। वह गुजरात की राजनीति में "लौह महिला" के रूप में अपनी पहचान रखती हैं।

यही नहीं, वह 2002 से 2007 तक शिक्षा के लिए कैबिनेट मंत्री भी थीं। फिर 2007 से 2014 तक गुजरात सरकार में सड़क और भवन, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, आपदा प्रबंधन और पूंजी परियोजनाओं की कैबिनेट मंत्री थीं।

आनंदीबेन पटेल का परिवार (Anandiben Patel Family Members)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आनंदीबेन पटेल का जन्म 21 नवंबर 1941 को गुजरात के मेहसाणा जिले के विजापुर तालुका के खरोद गांव में एक पाटीदार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जेठाभाई पटेल था, जो पेशे से एक टीचर थे और माता का नाम मेनाबेन पटेल (Menaben Patel) था। उनके पिता एक गांधीवादी नेता थे, जो ऊंच-नीच और जातीय भेदभाव में यकीन नहीं रखते थे, जिसकी वजह से उन्हें कई बार लोगों ने गांव से भी निकाल दिया था। अपने पिता का प्रभाव आनंदीबेन पर खूब पड़ा, वह भी एक ऐसी महिला नेता हैं, जो भेदभाव नहीं करती हैं और चापलूसी बर्दाश्त नहीं करतीं।

उन्होंने 1962 में लेखक-चिंतक डॉ मफतलाल पटेल (Mafatlal Patel) से शादी रचाई थी। दोनों दो बच्चों (संजय और अनार) के माता-पिता हैं।

कितनी पढ़ी-लिखी हैं आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel Education Qualification In Hindi)

बात करें आनंदीबेन पटेल की शिक्षा (Anandiben Patel Kitni Padhi Likhi Hai) की तो उनके पास एम.एससी, बी.एड और एम.एड की डिग्री है। जिस समय लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था, उस समय आनंदीबेन के पिता उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। एक समय ऐसा भी था कि जब वह अपने स्कूल में 700 लड़कों के बीच अकेले पढ़ती थीं। विद्यालीय शिक्षा के दौरान एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए उन्हें "बीर वाला" पुरस्कार भी मिल चुका है।

कैसे हुई राजनीति में एंट्री (Anandiben Patel Political Career)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आनंदीबेन पटेल ने साल 1987 में राजनीति में कदम रखा था। लेकिन उनके पॉलिटिक्स में आने का किस्सा बहुत ही दिलचस्प है। वैसे, तो आनंदीबेन कभी भी टीचर बनने की इच्छुक नहीं थीं, लेकिन अपने परिवार को आर्थिक समर्थन देने के लिए वह एक स्कूल में शिक्षक के रूप में नौकरी करने लगीं। पटेल ने 1967 या 1970 में मोहिनीबा कन्या विद्यालय, अहमदाबाद में शिक्षिका के रूप में काम किया, जहां वह उच्च माध्यमिक छात्रों को विज्ञान और गणित विषय पढ़ाया करती थीं। बाद में वह स्कूल की प्रिंसिपल बन गईं।

1987 में उनके स्कूल से एक पिकनिक का आयोजन किया गया, जिस दौरान एक दुर्घटना हो गई, तब आनंदीबेन अपनी जान के परवाह किए बिना डूब रही दो लड़कियों को बचाने के लिए सरदार सरोवर जलाशय में कूद गईं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति का वीरता पुरस्कार मिला था। पटेल की इसी बहादुरी से प्रभावित होकर भाजपा के शीर्ष कैडर ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का सुझाव दिया। पहले तो वह पार्टी में आने से हिचकिचा रही थीं, लेकिन केशुभाई पटेल और नरेंद्र मोदी के समझाने पर वह 1987 में गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष के रूप में भाजपा में शामिल हो गईं।

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