IAS Success Story: मज़ाक का IAS अधिकारी बनकर दिया जवाब, रिक्शेवाले के बेटे ने किया कमाल
IAS Success Story: आज हम आपको एक ऐसे आईएएस अधिकारी की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत से उनका मज़ाक उड़ाने वालों को तगड़ा जवाब दिया।
IAS Success Story: अगर आप अपने जीवन में सफल हैं तो दुनिया आपके सामने सिर झुकायेगी लेकिन अगर आपको जीवन में अभी सफलता नहीं मिली है तो यही दुनिया आपका मज़ाक तक उड़ाने में संकोच नहीं करती है। ऐसा ही कुछ हुआ बनारस में जन्मे गोविंद जयसवाल के साथ। लेकिन उन्होंने हार माने बिना दुनिया को सबक सिखाने की ठान ली और वो कर दिखाया जिसकी शायद ही लोगों ने कल्पना भी की होगी। आइये जानते हैं कैसे गोविंद ने आईएएस की परीक्षा एक बार में पास कर ली और उनका मज़ाक उड़ाने वालों को जवाब भी दे दिया।
IAS अधिकारी बनकर दिया लोगों को जवाब
बनारस में जन्मे गोविंद जयसवाल ने खूब मेहनत की और अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक सरकारी स्कूल से की थी। जिसके बाद उन्होंने आईएएस अफसर बनने का सपना देखा। जो हर किसी के लिए उतना आसान नहीं होता। लेकिन वो कहते हैं न कि जहाँ चाह होती है वहां राह भी मिल जाती है। और अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने जी जान से परिश्रम किया और उन्हें सफलता भी मिली। जिसमे उनका मज़ाक उड़ाने वालों को सबक सीखा दिया।
जब गोविंद जयसवाल छोटे थे तब लोग उनकी गरीबी का मज़ाक उड़ाया करते थे। उन्हें तरह-तरह की बातें भी बोला करते थे लेकिन वहीँ उन्होंने इन बातों से हार कर निराश होकर बैठने के बजाये ज़िन्दगी को बेहतर बनाने और अपने सपने को साकार करने की ओर कदम बढ़ाया। साथ ही ठान लिया कि वो आईएएस अधिकारी बनकर दिखाएंगे। जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने एक बार में ही यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। जिसे पास करने में लोगों को सालों साल लग जाते हैं वो उनकी मेहनत ने पहले ही एटेम्पट में कर दिखाया।
गोविन्द के पिता एक रिक्शाचालक थे वहीँ उनकी माता का निधन तब ही हो गया था जब गोविन्द बहुत छोटे थे। ऐसे में बच्चों की सारी ज़िम्मेदारी उनके पिता पर आ गयी थी गोविंद और उनकी उनकी बहनों को उनके पिता ने संभाला और कई मुश्किलों का सामना करते हुए उनका पालन पोषण भी किया। गोविंद जब छोटे थे तब वो एक दिन अपने दोस्त के घर खेलने गए तब उनके दोस्त के पिता को जब पता चला कि गोविन्द के पिता एक रिक्शाचालक हैं तो उन्होंने उनका खूब मज़ाक उड़ाया साथ ही अपने बेटे को उनके साथ खेलने से भी मना कर दिया। इस घटना ने गोविन्द को अंदर तक हिला दिया।
गोविन्द का उनके दोस्त के पिता द्वारा मज़ाक उड़ाने के बाद वो जब अपने स्कूल गए तो उन्होंने अपने एक टीचर से पूछा कि वो ऐसा क्या करें जिससे उनका पूरे समाज में खूब सम्मान हो। तब उनके टीचर ने उनसे कहा कि बड़े होकर एक बड़े बिज़नेसमैन बन जाओ या एक आईएएस अधिकारी बन जाओ। ये बाद गोविन्द के दिमाग में बैठ गयी और उन्होंने इसके लिए जीतोड़ मेहनत करनी शुरू कर दी। उन्होंने प्रण किया कि वो एक आईएएस अधिकारी बनेंगे। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी करने के लिए गोविंद दिल्ली आ गए और उनके पिता उन्हें हर महीने पैसे भेजते रहे। उनके पिता रिक्शा चलकर पैसे जोड़ते और उन्हें भेजते थे। गोविन्द को भी इस बात का एहसास था कि उनके पिता उन्हें पढ़ाने के लिए खूब परिश्रम कर रहे हैं। तो उन्होंने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया।
गोविन्द ने साल 2007 में अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। उनकी आल इंडिया रैंक की बात करें तो आपको बता दें कि उनकी 48 रैंक आई थी। गोविन्द जायसवाल ने ये साबित कर दिया कि जीवन में अगर व्यक्ति कुछ ठान ले तो फिर कुछ मुश्किल नहीं है और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।