Today History March 2025: अजन्मे बच्चे का अंतर्राष्ट्रीय दिवस को मानना क्यों जरूरी है, आइए जानते हैं

International Day of the Unborn Child 2025: क्या आप जानते हैं कि अजन्मे बच्चे का अंतर्राष्ट्रीय दिवस क्यों मनाया जाता है क्या है इसका इतिहास और महत्त्व।;

report :  Akshita Pidiha
Update:2025-03-25 14:07 IST

International Day of the Unborn Child 2025 (Image Credit-Social Media)

International Day of the Unborn Child: अजन्मे बच्चे का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of the Unborn Child) हर साल 25 मार्च को दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य गर्भ में पल रहे अजन्मे शिशुओं के अधिकारों की सुरक्षा, उनके जीवन के महत्व और गर्भपात के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस गर्भ में जीवन की पवित्रता, मानवाधिकारों और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। कई देशों में इसे गर्भ में पल रहे जीवन की रक्षा और संरक्षण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

अजन्मे बच्चे का अंतर्राष्ट्रीय दिवस: इतिहास और शुरुआत

1. उत्पत्ति और स्थापना- इस दिवस की शुरुआत कैथोलिक चर्च द्वारा की गई थी। इसे विशेष रूप से लैटिन अमेरिका के देशों में मान्यता मिली।वर्ष 1993 में एल साल्वाडोर (El Salvador) देश ने 25 मार्च को "अजन्मे बच्चे का दिवस" के रूप में आधिकारिक मान्यता दी।25 मार्च को चुने जाने का एक कारण यह था कि इसी दिन ईसाई धर्म में "अन्नunciation Feast" मनाया जाता है, जो ईसा मसीह के गर्भाधान का दिन माना जाता है।धीरे-धीरे इस दिवस को अन्य देशों ने भी मान्यता दी, जिनमें अर्जेंटीना, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका, पेरू, मैक्सिको और स्पेन प्रमुख हैं।

2. अंतरराष्ट्रीय मान्यता- 25 मार्च को संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं ने अजन्मे बच्चों के अधिकारों के प्रतीक दिवस के रूप में मान्यता दी।यह दिवस दुनियाभर में गर्भपात के खिलाफ जागरूकता अभियान और अजन्मे बच्चों के संरक्षण के लिए समर्पित हो गया।

अजन्मे बच्चे का महत्व

1. जीवन का आरंभ- विज्ञान के अनुसार जीवन का आरंभ गर्भाधान के क्षण से होता है, जब शुक्राणु और अंडाणु मिलकर भ्रूण का निर्माण करते हैं।भ्रूण में कुछ ही हफ्तों में हृदय धड़कना शुरू कर देता है, और धीरे-धीरे उसमें जीवन के लक्षण विकसित होते हैं।अजन्मे शिशु का जीवन समाज के लिए उतना ही मूल्यवान है जितना एक नवजात शिशु का।

2. नैतिक और धार्मिक दृष्टिकोण- ईसाई धर्म में भ्रूण को जीवन का पवित्र रूप माना जाता है, इसलिए गर्भपात को पाप माना जाता है।हिंदू धर्म में गर्भस्थ जीवन को भी आत्मा का वाहक माना जाता है। "गर्भ संस्कार" जैसी परंपराएँ अजन्मे बच्चे के कल्याण के लिए की जाती हैं।इस्लाम में भी गर्भपात को जीवन हरण के समान अपराध माना गया है।

3. जैविक और सामाजिक महत्व- अजन्मे शिशु भविष्य के समाज का निर्माण करते हैं।भ्रूण का स्वस्थ विकास एक स्वस्थ समाज के लिए आवश्यक है।अजन्मे बच्चों की सुरक्षा और देखभाल मातृत्व कल्याण और समाज की उन्नति में योगदान करती है।

गर्भपात और अजन्मे बच्चों का अधिकार

गर्भपात वह प्रक्रिया है, जिसमें गर्भस्थ शिशु का विकास रोककर उसे नष्ट कर दिया जाता है।कई देशों में गर्भपात को कानूनी मान्यता प्राप्त है, जबकि कुछ देशों में इसे अवैध घोषित किया गया है।

अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, भारत और यूरोपीय देशों में गर्भपात को कानूनी मान्यता प्राप्त है।भारत में गर्भपात को "मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971" के तहत 20 सप्ताह तक मान्य किया गया है, जिसे हाल ही में 24 सप्ताह तक बढ़ाया गया है।लैटिन अमेरिका के कई देशों में गर्भपात पूरी तरह प्रतिबंधित है।अजन्मे शिशुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न देशों में कानून बनाए गए हैं।अमेरिका में "Unborn Victims of Violence Act (2004)" के तहत गर्भ में पल रहे शिशु को व्यक्ति माना जाता है और उस पर हिंसा को अपराध घोषित किया गया है।अर्जेंटीना, कोस्टा रिका और अन्य देशों में अजन्मे शिशु के अधिकारों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है।

गर्भपात के कारण और प्रभाव

1. गर्भपात के कारण

आर्थिक कारण: कई माता-पिता आर्थिक तंगी के कारण गर्भपात का निर्णय लेते हैं।

मानसिक तनाव: अविवाहित गर्भधारण या अवांछित गर्भावस्था के कारण गर्भपात कराया जाता है।

लिंग चयन: भारत सहित कई देशों में बेटियों की बजाय बेटे की चाह में कन्या भ्रूण हत्या की जाती है।

चिकित्सीय कारण: कभी-कभी शिशु में गंभीर विकृति या मां के स्वास्थ्य को खतरा होने पर चिकित्सीय गर्भपात कराया जाता है।

2. गर्भपात के प्रभाव

मानसिक प्रभाव: गर्भपात के बाद कई महिलाएं अवसाद और अपराधबोध का शिकार हो जाती हैं।

शारीरिक प्रभाव: बार-बार गर्भपात कराने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

सामाजिक प्रभाव: लिंग चयन के कारण कन्या भ्रूण हत्या समाज में लैंगिक असंतुलन उत्पन्न कर रही है।

अजन्मे बच्चों के अधिकारों की रक्षा के प्रयास

1. जागरूकता अभियान- विश्वभर में अजन्मे बच्चों के अधिकारों को लेकर अभियान चलाए जाते हैं।चर्च और विभिन्न सामाजिक संगठन गर्भपात रोकने और जीवन की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

2. सरकारी प्रयास- कई देशों में भ्रूण हत्या को रोकने के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं।भारत में "PCPNDT Act (1994)" के तहत लिंग जांच पर प्रतिबंध लगाया गया है।"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान के माध्यम से भ्रूण हत्या को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय दिवस का महत्व और संदेश

1. जीवन के प्रति सम्मान- यह दिवस हमें गर्भ में पल रहे जीवन का सम्मान करने और उसे सुरक्षा प्रदान करने का संदेश देता है.यह दिन हमें सिखाता है कि हर जीवन मूल्यवान है, चाहे वह गर्भ में हो या बाहर।

2. सामाजिक संवेदनशीलता- अजन्मे बच्चों की रक्षा करना समाज की नैतिक जिम्मेदारी है।यह दिवस समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है।

3. परिवार और मातृत्व का सम्मान- मातृत्व का सम्मान करना और गर्भस्थ शिशु को सुरक्षा देना परिवार और समाज का कर्तव्य है।

आख़िरकार, आपका अजन्मा बच्चा शायद वह एकमात्र व्यक्ति है जिससे आपने बिना जाने ही प्रेम किया है, जैसा कि इन अजन्मे बच्चे पर कहे गए उद्धरणों में कहा गया है। धार्मिक दंपति अपने बच्चे को स्वर्ग का उपहार मानते हैं, एक आशीर्वाद जो उनके जीवन को बेहतर बनाएगा। आपको अजन्मे बच्चे के अंतर्राष्ट्रीय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ. सामान्यतः, बच्चे खुशी का स्रोत होते हैं, जो पूरे परिवार को उल्लासित कर देते हैं और सभी के लिए एक नए प्रारंभ का प्रतीक बनते हैं।

अजन्मे बच्चे का अंतर्राष्ट्रीय दिवस न केवल जीवन की पवित्रता को रेखांकित करता है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि हर जीवन, चाहे वह गर्भ में हो या जन्म के बाद, महत्वपूर्ण और मूल्यवान है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य गर्भपात के प्रति जागरूकता बढ़ाना और अजन्मे बच्चों के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान करना है। अजन्मे जीवन की रक्षा करना मानवीय दायित्व है, जो समाज को अधिक संवेदनशील और न्यायपूर्ण बनाता है।

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