'अप्रैल फूल बनाया, तो उनको गुस्सा आया'... जानिए मूर्ख दिवस से जुड़ी बातें..

आज 1 अप्रैल है।मूर्ख दिवस। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसे  नहीं मनाया जा रहा है। एक अप्रैल को ये गाना सभी की जुबान पर रहता है 'अप्रैल फूल बनाया तो उसको गुस्सा आया, इसमें मेरा क्या कसूर जमाने की है भूल जिसने दस्तूर बनाया '  april fool यानि 1 अप्रैल।

Update:2020-04-01 07:31 IST

जयपुर: आज 1 अप्रैल है।मूर्ख दिवस। लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसे नहीं मनाया जा रहा है। एक अप्रैल को ये गाना सभी की जुबान पर रहता है 'अप्रैल फूल बनाया तो उसको गुस्सा आया, इसमें मेरा क्या कसूर जमाने की है भूल जिसने दस्तूर बनाया ' april fool यानि 1 अप्रैल। हर वर्ग के लोग इसका जमकर मजा लेते हैं। इस दिन आप बचकर रहिएगा, कहीं आप भी fool ना बन जाएं।

शुरुआत

फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने 1539 में एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा था जिसने अपने नौकरों को एक मूर्खतापूर्ण यात्रा पर 1 अप्रैल को भेजा था। इसके अलावा 1968 में जॉन औब्रे ने 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे कहा था क्योंकि इसी दिन बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर लंदन के टॉवर पर इकट्ठा किया गया था।

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अलग अलग कहानियां

मुर्ख दिवस को लेकर अलग अलग लोगों ने तरह तरह की कहानियां प्रस्तुत की हैं

-बहुत पहले चीन में सनन्ती नामक एक संत थे, जिनकी दाढ़ी ज़मीन तक लम्बी थी। एक दिन उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई तो वे बचाओ-बचाओ कह कर उछलने

लगे। उन्हें इस तरह उछलते देख कर बच्चे जोर-जोर से हंसने लगे। तभी संत ने कहा, मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के ही दिन खूब हंसोगे, इतना कह कर उन्होंने प्राण त्याग दिए।

-बहुत पहले यूनान में मोक्सर नामक एक मजाकिया राजा था। एक दिन उसने स्वप्न में देखा कि किसी चींटी ने उसे जिंदा निगल लिया है। सुबह उसकी नींद टूटी तो स्वप्न ताजा हो गया। स्वप्न की बात पर वह जोर-जोर से हंसने लगा। रानी ने हंसने का कारण पूछा तो उसने बताया- ‘रात मैंने सपने में देखा कि एक चींटी ने मुझे ज़िन्दा निगल लिया है। सुन कर रानी भी हंसने लगी। तभी एक ज्योतिष ने आकर कहा, महाराज इस स्वप्न का अर्थ है- आज का दिन आप हंसी-मजाक व ठिठोली के साथ व्यतीत करें। उस दिन अप्रैल महीने की पहली तारीख थी। बस तब से लगातार एक हंसी-मजाक भरा दिन हर वर्ष मनाया जाने लगा।

-एक अन्य लोक कथा के अनुसार एक अप्सरा ने किसान से दोस्ती की और कहा- यदि तुम एक मटकी भर पानी एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी। मेहनतकश किसान ने तुरंत पानी से भरा मटका उठाया और पी गया। जब उसने वरदान वाली बात दोहराई तो अप्सरा बोली- ‘तुम बहुत भोल-भाले हो, आज से तुम्हें मैं यह वरदान देती हूं कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच खूब हंसी-मजाक करोगे। अप्सरा का वरदान पाकर किसान ने लोगों को बहुत हंसाया, हंसने-हंसाने के कारण ही एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम मूर्ख दिवस के नाम से पुकारते हैं।

-कहावत है कि एक बार हास्य प्रेमी भारतेंदु हरिश्चंद्र ने बनारस में ढिंढोरा पिटवा दिया कि अमुक वैज्ञानिक अमुक समय पर चन्द्रमा और सूरज को धरती पर उतार कर दिखायेंगे। नियत समय पर लोगों की भीड़ इस अद्भुत करिश्मे को देखने को जमा हो गई। घंटों लोग इंतज़ार में बैठे रहे परन्तु वहां कोई वैज्ञानिक नहीं दिखायी दिया। उस दिन 1 अप्रैल था, लोग मूर्ख बन के वापस आ गए।

अलग देशों का अनोखा ढंग

-चीन में अप्रैल फूल के दिन बैरंग पार्सल भेजने और मिठाई बांटने की परंपरा है। इस दिन यहां के बच्चे खूब हंसते हैं।

-यहां के लोग जंगली जानवर के मुखौटे पहनकर आने-जाने वाले लोगों को डराते हैं। कई लोग तो सच में जानवर समझ कर डर जाते हैं।

-रोम में अप्रैल फूल को 7 दिनों तक मनाया जाता है और चीन की भांति बैरंग पार्सल भेज कर मूर्ख बनाया जाता है।

-जापान में बच्चे पतंग पर इनामी घोषणा लिख कर उड़ाते हैं। पतंग पकड़ कर इनाम मांगने वाला april fool बन जाता है।

-इंग्लैंड में अप्रैल फूल के दिन अत्यंत मनोरंजक एवं रोचक कार्यक्रम होते हैं। इस कार्यक्रम में मूर्खता भरे गीत गाकर लोगों को मूर्ख बनाया जाता है।

-स्कॉटलैंड में अप्रैल फूल को ‘हंटिंग द कूल’ के नाम से जाना जाता है। मुर्गा चुराना यहां की विशेष परंपरा है। मुर्गे का मालिक भी इसका बुरा नहीं मानता। किसी का मुर्गा चुराकर मजा लूटना यहां के लोगों का april fool मनाने का तरीका तो है ही, साथ ही नए-नए तरीके ढूंढ़ कर एक-दूसरे को भी बेवकूफ बनाते हैं। स्पेन में इस परंपरा की शुरुआत यहां के पूर्व राजा ‘माउंटोबेट’ ने की थी। इस दिन बहुत हंसी-मजाक का कार्यक्रम चलता है। झूठे इतिहास पर इनाम भी दिया जाता है।

-इतिहास पारंपरिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं, और अगर कोई दोपहर के बाद किसी तरह की कोशिश करता है तो उसे april fool कहा जाता है। ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं, वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं।

इन कलाकारों ने बनाया खुद का मजाक...

अप्रैल फूल्स मतलब मूर्ख दिवस। अपनेआप में एक अनोखा दिन। जहां एक तरफ हम अपनी कामयाबी का डंका पीटते वहीं दूसरी तरफ डरते है कि कोई हमें इस मुर्ख ना बना दें, लेकिन रंगमंच की दुनिया में कई ऐसे कलाकार और फिल्में रहीं, जिसने लोगों को हंसाया और यादगार बनी। इसी क्रम कुछ कलाकारों ने खुद का मजाक बनाकर औरों के चेहरे पर हंसी लाई।

चार्ली चैपलिन

ऐसे में हमें चार्ली चैपलिन चैपलिन और राजकपूर को नहीं भूलना चाहिए। ये महान कलाकार अपनी बेवकूफी से पूरी दुनिया को हंसाते रहे है। चार्लिन चैपलिन ने पूरी जिंदगी अपना मजाक बनाया और लोग के चेहरे पर उस मजाक से खुशी लाईँ।

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राजकपूर

राजकपूर ने भी फिल्मों के माध्यम से लोगों को हंसाने का काम किया। उन्होंने मेरा नाम जोकर में जोकर बनकर रोते को हंसना सिखाया। उनका नाम आते ही लोग एकबार जरूर हंस लेतो है। इनके अलावा जगदीप, जॉनी वॉकर, केस्टो मुखर्जी और असरानी जैसे तमाम कलाकार है जो अपनी बेवकूफी से फिल्मों में लोगों को हंसाते रहे है।

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अप्रैल फूल फिल्म

ये तो बात हुई खुद की बेवकूफी कीं। इसके अलावा भी बॉलीवुड की कई फिल्मों में अप्रैल फूल बनाते दिखाया गया है, लेकिन एक फिल्म ऐसी भी है जो पूरी तरह से इसी पर आधारित थी। साल 1964 में निर्माता-निर्देशक सुबोध मुखर्जी ने अप्रैल फूल के नाम से फिल्म बनाई। रोमांटिक और कॉमेडी जोन की ये मूवी हिट रही। मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया इसका गाना 'अप्रैल फूल बनाया, तो उनको गुस्सा आया, मेरा क्या कसूर, जमाने का कसूर, जिसने ये दस्तूर बनाया...' आज भी लोगों की जुबान पर चढ़ा रहता है।

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