Mahadev Govind Ranade Birth Anniversary: महादेव गोविंद रानाडे भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत, आइए जाने इनके बारे में

Mahadev Govind Ranade Ka Jivan Parichay: रानाडे ने अपनी योग्यताओं का देश, समाज और धर्म के उत्थान के लिए भरपूर उपयोग किया। उन्होंने ने ही बॉम्बे यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में भारतीय भाषाओं को शामिल करवाया।;

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2025-01-16 11:53 IST

Mahadev Govind Ranade Ka Jivan Parichay in Hindi 

Mahadev Govind Ranade Ka Jivan Parichay: महादेव गोविंद रानाडे भारतीय इतिहास में एक महान समाज सुधारक, विद्वान और न्यायविद के रूप में जाने जाते हैं। 18 जनवरी 1842 को महाराष्ट्र के नाशिक जिले में जन्मे रानाडे ने अपने जीवन को भारतीय समाज के सुधार और प्रगति के लिए समर्पित किया। वे न केवल एक प्रखर विचारक थे, बल्कि एक ऐसे नेता भी थे जिन्होंने अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए।

महादेव गोविंद रानाडे का जन्म एक

मध्यमवर्गीय चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पुणे में हुई, जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेधा का परिचय दिया। उनकी उच्च शिक्षा बंबई विश्वविद्यालय में हुई, जहां से उन्होंने कला और कानून में डिग्री प्राप्त की। वे बंबई विश्वविद्यालय के प्रथम बैच के स्नातक थे। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल एक उत्कृष्ट विद्वान बनाया, बल्कि सामाजिक असमानताओं और अन्याय को गहराई से समझने का अवसर भी दिया।


उनका बचपन कोल्हापुर में बीता था जबां उनके पिता मंत्री थे. उनकी पहली की मृत्यु के बाद उनके समाज सुधारवादी मित्र चाहते थे कि वे विधवा विवाह करें, लेकिन रानाडे ने परिवार की इच्छाओं का ख्याल रखते हुए एक बालिका रामाबाई रानाडे से विवाह किया और उन्हें शिक्षित किया। रामाबाई ने पति की मृत्यु के बाद उनके कार्यों को आगे बढ़ाया।

करियर और न्यायिक सेवा

रानाडे ने अपनी योग्यताओं का देश, समाज और धर्म के उत्थान के लिए भरपूर उपयोग किया। उन्होंने ने ही बॉम्बे यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में भारतीय भाषाओं को शामिल करवाया।अपनी योग्यताओं के कारण वे बॉम्बे स्मॉल कॉसेस कोर्ट में प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए। 1893 तक वे बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बन चुके थे।


अपने न्यायिक कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जो सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने में सहायक साबित हुए। रानाडे ने न्याय के सिद्धांतों को मानवता और सहिष्णुता के आधार पर परिभाषित किया। उनके फैसलों में न केवल कानूनी तर्क थे, बल्कि सामाजिक न्याय और नैतिकता का भी समावेश था।

समाज सुधार में योगदान

  1. महादेव गोविंद रानाडे भारतीय समाज सुधार आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उन्होंने जाति व्यवस्था, बाल विवाह, विधवा पुनर्विवाह, और महिलाओं की शिक्षा जैसे मुद्दों पर गहराई से काम किया। उनके मुख्य समाज सुधार कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  2. जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष: रानाडे ने जाति व्यवस्था को भारतीय समाज की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा माना। उन्होंने जातीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और सभी जातियों के लोगों को समान अवसर देने की वकालत की।
  3. विधवा पुनर्विवाह का समर्थन: उस समय के समाज में विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार नहीं था। रानाडे ने इस प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह को सामाजिक और कानूनी रूप से मान्यता दिलाने का प्रयास किया।
  4. महिला शिक्षा: रानाडे ने महिलाओं की शिक्षा को समाज की प्रगति का आधार माना। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया और महिला शिक्षा संस्थानों की स्थापना में मदद की।
  5. बाल विवाह का विरोध: बाल विवाह को समाप्त करने के लिए रानाडे ने समाज को जागरूक किया। उन्होंने इस प्रथा को असामाजिक और अमानवीय करार दिया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राजनीतिक योगदान

महादेव गोविंद रानाडे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने 1885 में कांग्रेस के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को दिशा दी।


रानाडे ने भारतीयों के लिए अधिक राजनीतिक अधिकारों और प्रशासनिक सुधारों की मांग की।

सामाजिक संगठनों की स्थापना

  1. रानाडे ने कई सामाजिक संगठनों की स्थापना की, जिनका उद्देश्य समाज सुधार और जागरूकता फैलाना था। इनमें से कुछ प्रमुख संगठन हैं:
  2. प्रार्थना समाज: प्रार्थना समाज का उद्देश्य धार्मिक सुधार और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना था। यह संगठन ब्रह्म समाज से प्रेरित था और इसका उद्देश्य जातिगत भेदभाव और धार्मिक कट्टरता को समाप्त करना था।
  3. डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी: इस संगठन की स्थापना का उद्देश्य शिक्षा को प्रोत्साहित करना और इसे समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना था।
  4. सोशल रिफॉर्म एसोसिएशन: इस संगठन के माध्यम से रानाडे ने समाज सुधार के अपने प्रयासों को संगठित रूप से आगे बढ़ाया।

साहित्यिक योगदान

महादेव गोविंद रानाडे न केवल एक समाज सुधारक थे, बल्कि एक उत्कृष्ट लेखक और विचारक भी थे। उन्होंने भारतीय इतिहास, अर्थशास्त्र, और समाजशास्त्र पर कई महत्वपूर्ण लेख और पुस्तकें लिखीं। उनके लेखन में भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक परिदृश्य का गहन विश्लेषण मिलता है।

रानाडे का दृष्टिकोण

महादेव गोविंद रानाडे का दृष्टिकोण प्रगतिशील और व्यापक था। उन्होंने भारतीय समाज को उसकी परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन स्थापित करने की वकालत की। उनका मानना था कि सामाजिक और आर्थिक सुधार एक साथ चलने चाहिए।रानाडे ने पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वे संस्थापक सदस्यों में से एक थे. इसके अलावा अर्थशास्त्र पर उनके विचार बहुत ही मूल्यवान माने जाते हैं.


उन्होंने ही सबसे पहले भारत की आर्थिक समस्याओं को गहराई से समझधा और सभी आर्थिक क्षेत्रों, कृषि, उद्योग आदि की समस्याओं का गहन अध्ययन किया तथा समस्याओं के समाधान भी प्रस्तुत किए। उन्हें कई बार भारतीय अर्थशास्त्र का जनक भी कहा जाता है।

रानाडे और गांधीजी

  1. महात्मा गांधी ने रानाडे को ‘आधुनिक भारत के निर्माता’ के रूप में सराहा। रानाडे के विचारों और कार्यों का गांधीजी पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने रानाडे के सामाजिक सुधार दृष्टिकोण को अपनाया और उसे अपने स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनाया.
  2. महादेव गोविंद रानाडे का निधन 16 जनवरी 1901 को हुआ। हालांकि उनका जीवनकाल छोटा था। लेकिन उनकी उपलब्धियां और विचार आज भी प्रासंगिक हैं। रानाडे की विरासत न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में समाज सुधार आंदोलनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
  3. महादेव गोविंद रानाडे भारतीय समाज के उन महान व्यक्तित्वों में से एक थे जिन्होंने अपने जीवन को समाज सुधार, न्याय और समानता के लिए समर्पित किया। उनकी सोच और कार्य न केवल उनके समय में, बल्कि आज भी भारतीय समाज को दिशा देते हैं।
  4. रानाडे का जीवन हमें सिखाता है कि किसी भी समाज में परिवर्तन लाने के लिए साहस, शिक्षा और निस्वार्थ भावना की आवश्यकता होती है। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
Tags:    

Similar News