Shiv Inspired Yoga Pose: शिव से प्रेरित ये 4 मुद्रा करने से मिलती है मानसिक शांति, दिमाग भी होता है तंदरुस्त

Mahashivratri 2025: भगवान शिव योग के पहले गुरु थे। आज हम आापको शिव से प्रेरित कुछ आसन और मुद्राओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिनके रोजाना अभ्यास से आप कई शारीरिक और मानसिक लाभ पा सकते हैं।;

Written By :  Shreya
Update:2025-02-25 10:00 IST

Shiv Inspired Yoga Pose (Pic Credit- Social Media)

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जिसे देश समेत विदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ त्योहार को हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने मां पार्वती संग शादी रचाकर अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत की थी। ऐसे में हर साल भक्त इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और अराधना करते हैं। कहते हैं ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। वहीं, कुंवारी कन्याएं इस दिन मनचाहा वर पाने के लिए पूजा और व्रत करती हैं। इस साल 26 फरवरी 2025 को हिंदू धर्म का यह महत्वपूर्ण त्योहार मनाया जाने वाला है। जब शिव मंदिरों में जमकर भक्तों की भीड़ जमा होगी।

देवों के देव महादेव को सृष्टि का रक्षक और पूरक माना जाता है। उन्हें कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि भक्त उन्हें शंभु, शिव, शंकर, महादेव, भोलेनाथ, रुद्र, महेश, आशुतोष से पुकारते हैं। इसके अलावा शिव को आदियोगी भी कहा जाता है। पता है क्यों? क्योंकि वो योग के पहले गुरु थे। आदियोगी का शाब्दिक अर्थ है पहला योगी या आदिगुरु। मान्यताओं के अनुसार, महादेव ने ही सबसे पहले सप्त ऋषियों को योग का ज्ञान दिया था, जिन्होंने बाद में योग का पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार किया। आज हम शिव से प्रेरित कुछ आसन और मुद्राओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिनके रोजाना अभ्यास से आप कई शारीरिक और मानसिक लाभ पा सकते हैं।

शिव से प्रेरित योग मुद्रा (Yoga Poses Inspired By Shiva)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1- नटराजासन (Natarajasana)

नटराजासन एक योग मुद्रा है, जिसे नर्तकी मुद्रा और इंग्लिश में King Dancer Pose के नाम से भी जाना जाता है। यह शिव से प्रेरित एक मुद्रा है, जिसका नाम भी महादेव के नाम पर ही पड़ा है। बता दें शिव शंकर का एक और नाम नटराज भी है। योग विशेषज्ञों की मानें तो शिव तांडव नृत्य में नटराज मुद्रा में दिखते हैं। इस नृत्य की एक मुद्रा नटराज आसन योग है। नटराजासन करने के कई सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। जैसे कि-

1- यह आसन शारीरिक संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है और शरीर का पोस्चर सुधारता है।

2- यह आसन तनाव और चिंता कम करके आपकी मेंटल हेल्थ को सुधारता है।

3- इसके अलावा इस आसान को करने से एकाग्रता बढ़ती है और मन को शांति मिलती है।

4- नटराज आसान आपके पैरों को टोन, मजबूत और लचीला बनाने में भी सहायक है।

5- इस आसन के नियमित अभ्यास से थाई, हिप्स, घुटनों, और सीने की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।

6- यही नहीं नटराजासन वजन घटाने और पाचन शक्ति को भी बढ़ावा देने का काम करता है।

2- हनुमानासन (Hanumanasana)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हनुमान आसन भगवान हनुमान के भव्य स्वरूप से प्रेरित एक उन्नत आसन है। हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां और रुद्र अवतार माना जाता है। इस पोज को इंग्लिश में मंकी पोज (Monkey Pose) या स्प्लिट्स के नाम से भी जाना जाता है। इस आसान का रोजाना अभ्यास पैरों की स्ट्रेचिंग के लिए बहुत अच्छा है। इसके अलावा भी रोजाना हनुमानासन का अभ्यास करने के कई फायदे हैं। जैसे कि-

1- यह आसान दिमाग को शांत करता है और स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जाइटी के लक्षणों से राहत दिला सकता है।

2- हाथ-पैरों औह पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

3- इसके नियमित अभ्यास से आप कमर और पेट की चर्बी को कम कर सकते हैं।

4- इसकी मदद से पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है और कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्या से राहत मिलती है।

5- गुप्तांगों में खून का संचार बेहतर होता है।

6- हनुमान आसान ध्यान और एकाग्रता भी बढ़ाता है। साथ ही इससे शरीर में स्फूर्ति आती है।

3- ध्यान मुद्रा (Dhayan Mudra)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जिस तरह से आज के समय में चिंता, अवसाद के मामले सामने आ रहे हैं, लोगों के बीच ध्यान यानी मेडिटेशन को लेकर जागरुकता भी बढ़ रही है। अगर आप भी तनाव ग्रस्त रहते हैं तो शिव से प्रेरित ध्यान मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं, जो मानसिक शांति के लिए एक महत्वपूर्ण आसन बताया गया है। इसमें सुखासन या पद्मासन में बैठकर अपने हाथों को घुटनों पर रखना होता है और ज्ञान मुद्रा बनाना होता है। इसके बाद अपनी आंखों को बंद करके धीरे-धीरे गहरी सांस लें और सांस पर ही अपना ध्यान केंद्रित करके रखें।

अगर आप इसका नियमित अभ्यास करते हैं तो इससे कई तरह की मेंटल प्रॉब्लम्स से छुटकारा मिलेगा और मानसिक शांति भी हासिल होगी। आइए जानें इसे करने के फायदों के बारे में- 

1- ध्यान मुद्रा करने से एकाग्रता बढ़ती है और मन शांत रहता है।

2- इससे तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है।

3- ध्यान मुद्रा के जरिए आप अनिद्रा की समस्या को भी दूर कर सकते हैं।

4- इस मुद्रा से डर, चिंता, और अवसाद कम किया जा सकता है।

5- यही नहीं इससे एजिंग साइंस जैसे फाइन लाइंस और झुर्रियों को भी कम करने में मदद मिल सकती है।

6- इसके नियमित अभ्यास से विचारों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

4- लिंग मुद्रा (Linga Mudra)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

लिंग मुद्रा शिव लिंग से प्रेरित एक एक हस्त मुद्रा है, जिसे अंगूष्ठ मुद्रा भी कहा जाता है। इसमें दोनों हथेलियों को आपस में मिलाकर अंगुलियों को इंटरलॉक किया जाता है। इसमें सीधा अंगूठा पुरुषत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि उसे घेरी हुई हथेली स्त्रीत्व का प्रतिनिधित्व करती है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित किया जा सकता है और बॉडी टेम्प्रेचर बढ़ता है। लिंग मुद्रा सर्दी-जुकाम, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और साइनस के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। इस मुद्रा में दोनों हथेलियों की उंगलियों की आपस में मिलाकर इंटरलॉक करना होता है और बाएं हाथ के अंगूठे को सीधा खड़ा रखना होता है। इस मुद्रा को करते समय दोनों हाथों को छाती के सामने रखें। आइए जानें इसके कुछ फायदों के बारे में।

1- यह मुद्रा सर्दी-ज़ुकाम और वायरल संक्रमण से राहत दिला सकती है।

2- इसके नियमित अभ्यास से बलगम का उत्पादन कम होता है।

3- यह मुद्रा ब्रोंकाइटिस संक्रमण और विकारों से लड़ने में मददगार होती है।

4- इस आसन से सुस्ती और आलस को भी दूर किया जा सकता है।

5- इससे आपका आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ती है।

6- यह मुद्रा पाचन, यौन शक्ति और स्वास्थ्य में वृद्धि करती है।

नोट- यह खबर सामान्य जानकारी के लिए है। इन उपायों और सुझावों पर अमल करने से पहले संबंधित एक्सपर्ट से परामर्श जरूर करें।

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