Maruti Suzuki Company Ka Malik: मारुति सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का भारत से था खास नाता, पद्म भूषण से किया गया था सम्मानित
Maruti Suzuki Company Owner Osamu Suzuki: सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे लिम्फोमा नाम की बीमारी से पीड़ित थे।
Maruti Suzuki Company Owner Osamu Suzuki: कम कीमत में लोगों का एक एसी कार का सपना पूरा करने का श्रेय मारुति 800 जैसी मिनी कार को ही जाता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों के उबड़खाबड़ रास्तों पर बिना रुके सरपट दौड़ने वाली इस कार में खूबी थी कि यह सफर में एक बेहतरीन ऑफ रोडर कार भी साबित होती है। इस चार पहिया कार के साथ लाखों भारतीयों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के पीछे अहम भूमिका निभाने का क्रेडिट मारुति के निदेशक ओसामु सुजुकी को जाता है। ये गिनती के उन विदेशी उद्योगपतियों में से थे, जिन्हें भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी दूरदर्शिता के बलपर ही मारुति सुजुकी कंपनी को वैश्विक वाहन उद्योग के विशाल बाजार में मजबूत पहचान हासिल हुई।
सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे लिम्फोमा नाम की बीमारी से पीड़ित थे। पेशे से बैंकर ओसामु ने 1958 में सुजुकी परिवार की बेटी शोको सुजुकी से विवाह किया। अपनी पत्नी के सरनेम को अपने नाम के साथ जोड़ा और सुजुकी कंपनी में शामिल हुए।
बेहद खास थे ओसामु के भारत के साथ संबंध
सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का भारत के साथ खास नाता था। ओसामु के संबंधों को याद करते हुए मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आरसी भार्गव बताते हैं कि, ओसामु ने अपने शानदार व्यक्तित्व और सरल स्वभाव के चलते देश दुनिया के कई प्रधानमंत्रियों के साथ भरोसेमंद रिश्ते बनाए।
जिसका उन्हें अपने व्यापार का विस्तार करने के उद्देश्य में लाभ भी मिला। यही नहीं भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी ओसामु सुजुकी के बेहद मधुर संबंध थे। सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में उनके अनगिनत फैंस हैं जो इनकी बिजनेस पॉलिसी के प्रशंसक हैं।
इस तरह शुरू हुआ मारुति 800 का सफर
मारुति कंपनी का ज़िक्र हो और इंद्रा गांधी के बेटे संजय गांधी का नाम न आये , यह कैसे संभव हो सकता है। क्योंकि भारत के लोगों के लिए छोटी कार का सपना और मारुति नाम देनों संजय गांधी की देन है। कहा जाता है कि उन्हें इस नाम की प्रेरणा राम चरित मानस से मिली।सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी, ने अपने जीवन में चार दशकों से भी अधिक समय तक सुजुकी मोटर कॉर्प के नेतृत्व को बखूबी संभाला और मारुति 800 हैंचबैक मिनी कार अवधारणा की शुरुआत कर भारतीय कार बाजार में जबरदस्त तेजी लाने का काम किया। भारत में एयर कंडीशन जैसी कई एडवांस सुविधाओं से संपन्न इस मिनी कार की बाजार में एंट्री कार विक्रेताओं के लिए बेहद लकी साबित हुई।
जबकि उस समय तक बाजार में 60 के दशक के मध्य की तकनीक वाली एंबेसडर और फिएट कारों का चलन था। जिन्हें मारुति 800 कार ने तगड़ी टक्कर दी। इस मिनी कार के लॉन्चिंग के बाद इस कार की डिमांड इस कदर बढ़ी कि ग्राहकों को इस कार को पाने के लिए तीन साल तक की एक लंबी अवधि तक इंतजार करना पड़ा। सिर्फ यही नहीं इस सफल कार का सेकेंड-हैंड बाजार भी खूब फला फूला। बेहद लो मेंटीनेंस चार्ज पर दुरुस्त हो जाने वाली इस कार के सेकंड हैंड मॉडल को लेने में ग्राहकों के भीतर एक प्रतिशत भी गुरेज नहीं था। क्योंकि इसकी सर्विस कास्ट बहुत कम थी। तकरीबन तीन लाख किलोमीटर तक इंजन किसी तरह की मरम्मत नहीं माँगता था।इस पेट्रोल कार का एवरेज बीस किलोमीटर प्रति लीटर से ज़्यादा रहा है।
ओसामु सुजुकी का जीवन परिचय
ओसामु सुजुकी का जन्म 30 जनवरी, 1930 को हुआ था। सुजुकी ने चुओ विश्वविद्यालय के विधि संकाय से स्नातक की उपाधि हासिल की थी। जिसके उपरांत अप्रैल 1958 में उस समय कि सुजुकी मोटर कंपनी लिमिटेड के नाम से लोकप्रिय कंपनी में ओसामु सुजुकी शामिल हो गए। अपने लगातार शानदार प्रदर्शन से नवंबर 1963 में ओसामु सुजुकी को निदेशक नियुक्त किया गया और मात्र चार साल के भीतर दिसंबर 1967 में वे निदेशक एवं प्रबंध निदेशक के पद के लिए चुने गए। दुनियाभर में सुजुकी के व्यापार को स्थापित करने का श्रेय ओसामु को ही दिया जाता है। उन्हीं के प्रयास से सुजुकी की छोटी कारों और मोटरसाइकिलों को दुनियाभर में एक अलग पहचान मिली।
ओसामु इस कंपनी के साथ लगातार कई दशक तक जुड़े रहे। यही वजह कि वे दो बार कंपनी के चेयरमैन बने। इस पद पर सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले व्यक्ति हैं। उन्हीं के कुशल परामर्श और दिशा निर्देशों के चलते सुजुकी मोटर ने जनरल मोटर्स और फॉक्सवैगन के साथ स्ट्रैटेजिक साझेदारी के तहत अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। 1980 के दशक में जब लोगों की सैलरियां इतनी अच्छी नहीं हुआ करती थीं। ऐसी वित्तीय संभावनाओं के बावजूद भी भारतीय मार्केट में मारुति 800 को उतारने का रिस्क लेना उनका सबसे साहसिक कदम माना जाता है।
1982 में मारुति ने भारत सरकार के साथ जॉइंट वेंचर बनाया
ओसामु सुजुकी की दिशा निर्देश में 1982 में सुजुकी कंपनी ने भारत सरकार के साथ एक जॉइंट वेंचर बनाया, इसमें मारुति उद्योग का निर्माण हुआ।
इस साझेदारी ने मारुति 800 नाम की एक छोटी कार पेश की। लॉन्चिंग के साथ ही यह मॉडल भारतीय बाजार में हिट हो गई और सुजुकी को एक मजबूत जगह दिलाई।
इस व्यक्ति को तत्कालीन पीएम श्रीमती इंदिरा गांधी के हाथों मिली थी कार की चाबी
मारुति 800 कार को 14 दिसंबर, 1983 को लॉन्च किया गया था। जबकि मारुति 800 की बुकिंग 9 अप्रैल, 1983 को शुरू की गई थी। तब इस कार की कीमत 47,500 रुपये रखी गई थी।कंपनी ने पंद्रह फीसदी कारों को एयरकंडीशन की सुविधा से लैस करके डीलक्स सुविधा देने का था। पर इसकी कीमत सतत्र हज़ार रुपये के आसपास पड़ रही थी। यह कार पूरी तरह से आयातित पुर्ज़ों से बनी थी।
- मार्केट में लॉन्च के बाद दिल्ली के हरपाल सिंह को पहली मारुति 800 कार की चाबियां मिली थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिल्ली में आयोजित एक समारोह में हरपाल सिंह को कार की चाबियां सौंपी थीं।
- साल 1984 में इस कार की 852 यूनिट्स बिकी थीं।
- साल 1986 में मारुति 800 का नया मॉडल आया था, जिसमें वातानुकूलित केबिन और म्यूज़िक सिस्टम भी मौजूद था।
- साल 1999 में मारुति 800 का एक नया मॉडल आया था, जिसमें कार्ब्युरेटर की जगह मल्टी पॉइंट इंजेक्शन सिस्टम था और साल 2013 आते आते बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तकनीक के चलते मारुति 800 का प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद हो गया था। लेकिन इन कारों को आज भी सड़कों पर दौड़ते हुए देखा जा सकता है।
- मारुति सुजुकी पिछले 40 साल में देश में बेच चुकी है इतनी मारुति कारें
भारतीय ऑटो बाजार में बीते कई साल से मारुति सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार मैन्युफैक्चरर के तौर पर काबिज है। 47,500 रुपए की एक्स शोरूम कीमत पर यानी लगभग मात्र पचास हजार जैसी न्यूनतम कीमत पर कंपनी ने देश के एक बड़े वर्ग के कार खरीदने के सपने को पूरा करने का काम किया। यही वजह है कि मारुति सुजुकी पिछले 40 साल में देश में करीब 3 करोड़ से भी अधिक कारों की बिक्री का रिकॉर्ड बना चुकी है।
जब देना पड़ा था सीईओ के पद से इस्तीफा
सुजुकी कंपनी के निदेशक ओसामु सुजुकी को जीवन में सफलता के रास्ते में चलते हुए कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा था।
उन्हें जापान में फ्यूल-इकोनॉमी टेस्टिंग स्कैंडल में दोषी पाया गया था। इस केस के चलते उन्हें 2016 में कंपनी के सीईओके पद से इस्तीफा देना पड़ा। रिटायरमेंट के बाद भी सुजुकी ने कंपनी में अपने एक्सपीरियंस का इस्तेमाल करते हुए एडवाइजर की भूमिका निभाई।
भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट में आज भी धूम मचा रही सुजुकी की कारें
मारुति सुजुकी कंपनी की वित्त वर्ष 2024 में देशभर में कुल 2 करोड़ 45 लाख 30 हजार 334 गाड़ियां बिकीं। यह पिछले फाइनेंशियल ईयर (2022-23) से 10.29 फीसदी ज्यादा है। जबकि 2023 में 2 करोड़ 22 लाख 41 हजार 361 गाड़ियां बिकीं थीं।इस वर्ष अप्रैल से नवंबर के बीच देशभर में 1.8 करोड़ गाड़ियां बिकने का रिकॉर्ड बनाया । सालाना आधार पर इसमें 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। नवंबर 2024 में अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार देश में गाड़ियों की टोटल सेल 32 लाख से ज्यादा रही। पिछले साल नवंबर के मुकाबले इसमें 11.21 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में मारुति सुजुकी 39.92 फीसदी हिस्सेदारी के साथ 1,28,521 कारें बेचकर टॉप सेलर कंपनी बन चुकी हैं।
मारुति ने अभी तक बाज़ार में सत्रह मॉडल उतारे हैं। जिनमें सात हैचबैक,तीन एमयूएम,दो कापेक्ट एसयूवी,दो एसयूवी, एक सेडान, एक मिनी बैक शामिल है।