Mental Health Music Therapy: मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन है संगीत, जानें लक्षण, कारण और उपचार

Mental Health Music Therapy: कई रिसर्च से यह साबित हो चुका हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए संगीत बेहद कारगर है।

Written By :  Preeti Mishra
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-05-09 14:36 IST

मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन है संगीत। (Social Media)

Mental Health Music Therapy: कहते हैं शरीर और मन दोनों अगर स्वस्थ हैं तो आप दुनिया के सबसे अमिर व्यक्ति के बराबर खुद को समझ सकते हैं। जी हां, शारीरिक तौर पर ही सिर्फ स्वस्थ रहना ही काफी नहीं हैं बल्कि आपको मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहना एक सुखी और संपन्न जीवन का पहला मापदंड है। जरूरी नहीं है कि कोई बीमारी जब आँखों से नज़र आये तभी वो बीमारी हो, नहीं नज़र आने वाली मानसिक बीमारी भी व्यक्ति के लिए बेहद घातक होते हैं। जरा सोचिये क्या आपकी भूलने की आदत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है?

कई बार दरवाजे की कुंडी लगाकर सोने के लिए बिस्तर पर पहुंचते हैं और अचानक लगता है कि कहीं दरवाजा खुला तो नहीं है? क्या दिन में बार-बार ऐसा होता है? क्या आप जरा-जरा सी बात पर डर तो नहीं जाते? अपना जीवन आपको सारहीन तो नहीं लगता? कहीं आपके मन में अकसर आत्महत्या करने का विचार तो हीं आता ? खिन आपकी जरा-जरा सी बातों पर उत्तेजित हो उठने की आदत तो नहीं है? चिड़चिड़ापन और गुस्सा आपके नाक की नोक पर तो सवार तो नहीं रहता? अगर आप भी इन लक्षणों से गुज़र रहें है तो सावधान हो जाइए। हो सकता है कि आप किसी मानसिक बीमारी के गिरफ्त में हों, जिसका आपको खुद ही पता ना हो।

इस परेशानी का मुख्य कारण हमारी बदलती जीवनशैली ही है। आज के इस भौतिकवादी समाज कहने को बहुत ही ज्यादा तरक्की कर ली हो लेकिन भावना हिन् होकर ये अंदर से खोखला भी हो चूका है। जिस कारण आज मानसिक बीमारी एक महामारी के रूप में बढ़ती दिख रही है।

गौरतलब है कि अनुमानतः दुनिया भर में 450 मिलियन के आसपास लोग किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित हैं, जिनमें हर पांचवां व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है। और हर 20वां व्यक्ति किसी न किसी गंभीर मानसिक रोग से भी ग्रस्त है। कई बार इससे पीड़ित लोगों को यह पता ही नहीं चलता हैं कि वे लोग मानसिक बीमारी जैसी समस्या भी गुज़र रहे है। इसलिए इसके लक्षणों को बेहद बारीकियों से जानना बेहद जरुरी है। जिनमें कुछ लक्षण प्रमुख हैं :

लक्षण

ऐसे लोगों को बहुत ज्यादा आत्मकेंद्रित रहने की आदत हो जाती हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोग जरा-सी बात से भयभीत होने के साथ उन्हें जीवन में हर तरफ दुख ही दुख दिखाई देने लगता है। स्मरणशक्ति बहुत ज्यादा घटने के साथ , लोगों से अलग-थलग रहने की आदत, नींद और भूख में नाटकीय परिवर्तन दिखाई देना, एकाग्रता में कमीहोना और दूसरों के प्रति अस्वाभाविक शक्कीपन आना भी मानसिक रोग के प्रमुख लक्षण माने जाते हैं।

कारण

कई बार दिमाग में यह सवाल उठना लाज़मी है कि व्यक्तियों में ऐसी समस्या होती ही क्यों हैं। तो इसके भी कुछ प्रमुख कारण माने गए हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं। मस्तिष्क में किसी कारण से आया बदलाव या रासायनिक असंतुलन, किसी वजह से लंबे समय तक चिंताग्रस्त रहना पड़े, किसी प्रियजन की मृत्यु, दुर्घटना अथवा अपमान आदि के कारण अचानक चिंता में पड़ जाना और आनुवंशिक समस्याएं भी इस रोग लके होने के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा मिर्गी, मंदबुद्धि विकार, उन्माद, अवसाद, पर्सनैलिटी डिसॉर्डर जैसे रोगों के पीछे आनुवंशिक कारण भी मानसिक रोगों को जन्म दे सकते हैं। इतना ही नहीं मस्तिष्क में चोट, संक्रमण या कोई विकार, दुर्घटना, हिंसा, बलात्कार आदि का प्रभाव भी वव्यक्ति को इस बीमारी के दलदल में पहुंचा देता है।

कुछ खास रोग भी व्यक्ति को मानसिकं रोगी बना देते है :

अवसाद

कई बार लोग अवसाद और उदासी को एक ही समझने की भूल क्र देते हैं। बता दें कि नैराश्य तो दोनों में ही है, पर जहां उदासी कुछ समय के लिए पैदा होकर थोड़ा-सा हौसला मिलने पर दूर भी हो जाती है, जबकि अवसाद लंबे समय तक बना रह सकता है। व्यक्ति के लिए अवसाद से निकल पाना थोड़ा कठिन है।इसके कारण व्यक्ति ऐसा किंकर्तव्यविमूढ़ बन जाता है जिसमें उसे किसी भी काम में मन नहीं लगने के साथ उसके मन में कई बार आत्महत्या की मानसिकता भी पनपने लगती है।

एंग्जाइटी

जब हम कोई चुनौती भरा काम करते हैं और किसी अनहोनी की आशंका से घबरा उठने के साथ अचानक बहुत ज्यादा चिंता व अधीरता की स्थिति का सामना करते हैं तो ऐसी स्थिति को एंग्जाइटी या व्यग्रता कहा जाता है। गौरतलब है कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में इस स्थिति का सामना कभी न कभी करना ही पड़ता है। लेकिन व्यग्रता की स्थिति होने पर दिनचर्या प्रभावित होने लगे तो यह गंभीर स्थिति बन जाती है।

तनाव

आज के समय में शायद ही कोई व्यक्ति तनाव मुक्त हो। लेकिन जब तनाव लगातार हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो यह नुकसानदेह हो जाता है। बता दें कि तनाव के कारण ब्लडप्रेशर और हृदयाघात की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है। इतना ही नहीं यह आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर करने के साथ भावनात्मक रूप से भी अति संवेदनशील बना देता है। गौरतलब है कि तनावग्रस्त व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने के कारण उनका ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होने लगता है जिस कारण उन्हें जीवन का केवल नकारात्मक पहलू ही दिखाई देता है। जो व्यक्ति को बदमिजाज, क्रोधी और खिन्न बना कर रख देता है।

विभ्रम

सारी सुख-सुविधा से लैस होने के बावजूद विभ्रम का रोगी जरा-जरा सी बात पर शंका-कुशंका से ग्रसित हो जाता है।जिसमें कहीं भी कोई विपरीत खबर या चर्चा पढ़ या सुन ले तो उसका मन बेचैन होने के साथ एक पल खुश तो दूसरे पल दुखी हो जाता है।

हिस्टीरिया

यह बीमारी विशेष तौर से महिलाओं में पनपती है। इस बीमरी का सीधा और विशेष संबंध अतृप्त कामेच्छा से है। आमतौर पर अविवाहित स्त्रियां , नि:संतान और विधवाएं ही इसका शिकार बनती हैं। बता दें कि जब घर की चारदीवारी में बंद स्त्रियों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का कोई रास्ता नहीं दिखाई देता तो दमित भावनाएं एक स्थिति के बाद विस्फोटक रूप ले लेती हैं।जिसके कारण हिस्टीरिया के दौरे पड़ते हैं। जो कुछ देर के लिए उनके जीवन को ही अस्त-व्यस्त कर देते हैं। लेकिन सही इलाज से हिस्टीरिया पूरी तरह ठीक भी हो जाता है। इनके अलावा आत्मग्लानि, आत्महीनता, सनक, भय, कामातुरता, वहम, उत्तेजना, उद्वेग, कायरता, अन्यमनस्कता, मानसिक थकावट, पागलपन, प्रमाद जैसे अन्यान्य रूप हैं, जो व्यक्ति में मानसिक विकारों के होने का संकेत देते हैं। गौरतलब है कि इनमें से पागलपन मनोविकारों का एक तरह से चरम माना जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य के संगीत है बेहतरीन

कई रिसर्च से यह साबित हो चुका हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए संगीत बेहद कारगर है। इतना ही नहीं वाद्य यंत्रों की सुरीली ध्वनियां तनाव की स्थितियों को घटाकर मन को प्रफुल्लित बनाएं रखने में मदद करती हैं। इसके अलावा कई तरह के राग आधारित गाने तनाव से लेकर स्मृति दोष तक को कम करने में बेहद सहायक होते हैं। शोध के अनुसार प्रतिदिन किसी भी समय 20 मिनट संगीत सुनना मानसिक सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।

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