Motivational Story: अमीर नहीं, ज़मीर जरूरी
Motivational Story: जीवन-मृत्यु से जूझ रहा वह नास्तिक लोगों को बुला-बुलाकर निढ़ाल हो गया लेकिन कोई उसकी सहायता के लिए नहीं आया।
Motivational Story: एक व्यक्ति नास्तिक था। उसको भगवान और उसके अस्तित्व पर विश्वास नहीं था। एक बार उसका एक्सीडेंट हो गया। वह सड़क पर पड़ा लोगों को सहायता के लिए पुकार रहा था, पर कलयुग के आदमी को इतनी फुर्सत कहाँ कि वह किसी संकटग्रस्त आदमी की तुरंत सहायता कर दे। जीवन-मृत्यु से जूझ रहा वह नास्तिक लोगों को बुला-बुलाकर निढ़ाल हो गया। लेकिन कोई उसकी सहायता के लिए नहीं आया।तभी उसके नास्तिक मन ने भगवान श्रीकृष्ण को गुहार लगाई। तत्काल वहाँ से गुजर रहे एक सब्जी बेचने वाले ने उसको अपने कंधों पर उठाया और अस्पताल पहुंचा दिया। अस्पताल वालों ने उस सब्जी वाले को धन्यवाद दिया। उसका नाम पूछा, तो उसने अपना नाम बांके बिहारी बताया और अपना पता भी लिखा दिया।
वह व्यक्ति कुछ समय बाद ठीक हो गया। फिर कुछ दिनों बाद वह अपने परिवार के साथ सब्जी वाले से मिलने निकला। बांके बिहारी जी का नाम पूछते हुए उस पते पर पहुंचा। लेकिन उसको वहाँ पर प्रभु का मन्दिर मिला। वह अचंभित हो गया। वह अपने परिवार के साथ मन्दिर के अन्दर गया। फिर उसने पुजारी से नाम लेकर पूछा कि बांके बिहारी जी कहाँ मिलेंगे। पुजारी ने हाथ जोड़कर प्रभु की मूर्ति की और संकेत करके कहा कि यहाँ तो यही एक बांके बिहारी जी हैं। उस व्यक्ति की आंखों में आँसू आ गए। वह अपने नास्तिक होने पर क्षमा मांगता है। वह बांके बिहारी जी के दर्शन कर जब लौटने लगता है तभी उसकी निगाह वहाँ लगे एक बोर्ड पर पड़ती है जिस पर एक वाक्य लिखा था, "मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है, उससे प्रेम करो, मैं तो स्वयं तुम्हें मिल जाऊँगा!”जीवन में आदमी को केवल अमीर ही नहीं होना चाहिए, उसके पास जमीर भी होना चाहिए! सुंदर चेहरा भी एक दिन बूढ़ा हो जाता है, बलशाली देह भी एक दिन ढ़ल जाती है, पद-प्रतिष्ठा भी एक दिन समाप्त हो जाती है, लेकिन एक अच्छा आदमी सदैव अच्छा आदमी ही रहता है।