Neem Karoli Baba: क्या है नीम करोली बाबा के 'बुलेटप्रुफ' कंबल की कहानी? जिसने बचाई थी सैनिक की जान!

Neem Karoli Baba : क्या आपको पता है नीम करोली बाबा को कम्बल क्यों चढ़ाया जाता है और नीम करोली बाबा के 'बुलेटप्रुफ' कंबल की कहानी क्या है। आइये आपको बताते हैं क्या है ये कहानी।

Update: 2023-05-14 11:40 GMT
Neem Karoli Baba (Image Credit-Social Media)

Neem Karoli Baba : उत्‍तराखंड स्थित कैंची धाम में बाबा नीम करौली का आश्रम है जहाँ लोग उन्हें देवता की तरह पूजते हैं। इतना ही नहीं दूर दूर से लोग आज भी इस आश्रम में आते रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें आज के समय में महान संत की उपाधि प्राप्त है और लोगों के बीच उनकी खूब मान्यता है। भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई जाने माने लोग भी उन्हें काफी मानते हैं जिसमे फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग हों या एप्‍पल के को-फाउंडर स्‍टीव जाब्‍स के नाम भी शामिल हैं। नीम करोली बाबा के कई चमत्‍कारिक किस्‍से और उनकी कही बातें पूरी दुनिया में मशहूर है। लोगों की मान्यता है कि बाबा भगवान हनुमानजी के अवतार थे। वहीँ बाबा हनुमानजी के परम भक्त थे। यूँ तो मंदिरों और आश्रमों में मिठाइयां, फल, पैसे अर्पित करने का रिवाज़ है लेकिन कैंची धाम में भक्त बाबा को कंबल चढ़ाते हैं। क्या आपको पता है बाबा को कम्बल क्यों चढ़ाया जाता है और नीम करोली बाबा के 'बुलेटप्रुफ' कंबल की कहानी क्या है। आइये आपको बताते हैं क्या है ये कहानी।

क्या है नीम करोली बाबा के 'बुलेटप्रुफ' कंबल की कहानी

नीम करोली बाबा कम्बल ओढ़कर ही रहा करते थे। आज से कई दशकों पहले इससे जुडी एक कहानी है जो आज भी काफी प्रचलित है और इस घटना ने कुछ ऐसा चमत्कार किया कि कैंची धाम में आज भी लोग बाबा को कंबल चढ़ाते हैं। इस घटना के बारे में बाबा के एक अनन्य भक्त रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने अपनी किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में लिखा है।

इस घटना का जिक्र करते हुए रिचर्ड एलपर्ट ने अपनी किताब में लिखा है कि बाबा पर लोगों की परम आस्था थी और वो आज भी है वहीँ उनके अनेकों भक्तों में एक फतेहगढ़ के बुजुर्ग दंपति भी थे। एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को हैरान कर दिया। दरअसल बाबा एक दिन अचानक इस बुजुर्ग दंपति के घर पर पहुंच गए। साथ ही उन्होंने उस दम्पति से कहा कि आज रात वो उनके घर पर ही रुकेंगे। दंपत्ति काफी खुश थे लेकिन वो काफी गरीब थे इसलिए उनके मन में विचार आया कि बाबा की आओ भगत कैसे करेंगे। लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी सामर्थ के अनुसार उन्हें भोजन आदि करवाया और उनके सोने के लिए चारपाई और कम्बल दिया। जब बाबा सो गए तो वो दम्पति भी वहीँ चारपाई पर सो गए। रात में बाबा सोते हुए कराह रहे थे और वो ऐसे कराह रहे थे मानो उन्हें कोई मार रहा हो। बड़ी मुश्किल से वो रात बीत गयी। सुबह बाबा ने दम्पति को वही कम्बल लपेट कर उन्होंने दिया और कहा कि वो इसे बिना खोले गंगा जी में प्रवाहित कर दें।

जब बाबा ने ये कंबल उस दम्पति को दिया था तो वो खाली और काफी हल्का था लेकिन जब वो उसे बाबा के कहे अनुसार गंगा जी में बहाने जा रहे थे तब वो इतना भरी हो चुका था कि ऐसा लग रहा था कि इसमें सारा लोहा रखा हो। लेकिन बाबा ने कहा था कि कम्बल खोले बिना ही इसे गंगा जी में प्रवाहित करना है। इसलिए उस दम्पति ने इसे नहीं खोला और गंगा में प्रवाहित कर दिया। इसके एक महीने बाद इस दम्पति का बेटा घर आ गया।

आपको बता दें कि इस बुज़ुर्ग दम्पति का बेटा ब्रिटिश फौज में सैनिक था। साथ ही दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान वो बर्मा फ्रंट पर तैनात था। दम्पति को अपने बेटे की हर समय फ़िक्र लगी रहती थी। वो हर दिन यही प्रार्थना करते थे कि उनका बेटा सही सलामत घर लौट आए। वहीँ बाबा नीम करोली के इस दम्पति के घर पर रुकने के एक महीने बाद ही दोनों का बेटा वापस घर आ गया। बेटे ने बताया कि करीब महीने भर पहले एक रात वह दुश्मन फौजों के बीच घिर गया था और रातभर गोलीबारी होती रही। इस युद्ध में उसके सारे साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया। बेटे ने ये भी बताया कि वो कैसे बच गया उसे खुद भी इस बात का पता नहीं। साथ ही उसने ये भी बताया कि उस युद्ध में काफी गोली बारी हुई लेकिन वो अकेले इसमें बच गया। उसने ये भी कहा कि मैं कैसे इस युद्ध में कैसे बच गया ये मुझे भी समझ नहीं आया। गोली बारी में उसे एक भी गोली नहीं लगी जबकि इस दौरान काफी गोला बरी हुई थी। ये वही रात थी जब बाबा नीम करोली दम्पति के घर पर रुके थे और सोते हुए खूब कराह रहे थे।

इस बात को सुनने के बाद वो दम्पति बाबा नीम करोली के उस चमत्कार को समझ गया। इस घटना की वजह से ही रिचर्ड एलपर्ट ने अपनी किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में इस कंबल को बुलेटप्रूफ कंबल कहा। यही वजह है कि कैंची धाम स्थित मंदिर में आज भी बाबा के भक्त उन्‍हें कंबल चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है।

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