Notebandi: पीएम मोदी का ये फैसला कितना सही? इन 6 सालों में कितनी बदली हमारी Lifestyle, जानें कितना फायदा-नुकसान

Demonetisation: 8 नवंबर 2016 का दिन शायद ही कोई भारतीय भुला हो,जब पीएम मोदी के एक फैसले ने देश ही नहीं दुनियाभर में उथल पुथल मचा दी थी।जिसका समर्थन और विरोध दोनों ही देखने को मिला।

Update:2022-11-08 12:02 IST

Demonetisation (Image: Social Media)

Demonetisation: 8 नवंबर 2016 का दिन शायद ही कोई भारतीय भुला हो, जब पीएम मोदी के एक फैसले ने देश ही नहीं दुनियाभर में उथल पुथल मचा दी थी। 8 नवंबर 2016 को भारत में नोटबंदी का ऐलान मोदी सरकार के कार्यकाल में लिए गए सबसे बड़े फैसले में से एक था। जिसका समर्थन और विरोध दोनों ही देखने को मिला। देश में बढ़ते ब्लैक मनी पर लगाम लगाने के लिए पीएम मोदी ने ये ऐतिहासिक फैसला लिया था।

आज नोटबंदी के 6 साल पूरे हो गए हैं। पीएम मोदी के इस फैसले पर कई सवाल उठे थें और आज भी ये सवाल बना हुआ है कि नोटबंदी से देश को क्या फायदा हुआ और यह फैसला कितना सही था? इसका जवाब देना आज भी बेहद मुश्किल है। हालांकि नोटबंदी के बाद हमारी लाइफ में कई बदलाव देखने को जरूर मिले है लेकिन देश में कैश का इस्तेमाल आज भी खूब हो रहा है। नोटबंदी का पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ही असर देखने को मिला है। ऐसे में आइए जानते हैं कि नोटबंदी का हमारे लाइफस्टाइल पर कितना असर हुआ है।

डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा

नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला कैश ट्रांजेक्शन को लेकर। जहां लोग पहले छोटे छोटे कामों के लिए बैंक का दरवाजा खटखटाते दें, आज बड़े से बड़ा ट्रांजेक्शन के लिए UPI या दूसरा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का विकल्प तलाशते हैं। आज भारत डिजिटल पेमेंट के मामले में काफी आगे निकल चुका है। आजकल ज्यादातर लोग पॉकेट में कैश रखने की जगह मोबाइल से डिजिटल पेमेंट करना ज्यादा बेहतर समझते हैं। फिर आप ड्रेस खरीद रहें हो या गोलगप्पे खा रहें हो लोगों के लिए ऑनलाइन पेमेंट एक बेहतर विकल्प बन चुका है। गूगल पे, फोन पे और बैंकों ने भी अपने डिजिटल ऑनलाइन पेमेंट फैसिलिटीज को बढ़ाया है। वहीं एक सर्वे के अनुसार भारत में साल 2026 तक हर तीन में दो लेनदेन डिजिटल ही होंगे। इसलिए यह कहना गलत नही होगा कि डिजिटल पेमेंट के लिए नोटबंदी का फैसला सही साबित हुआ है।

नकली नोटों पर नहीं लगा लगाम

नोटबंदी का मुख्य कारणों में से एक था नकली नोटों पर लगाम लगाना लेकिन RBI के मुताबिक ऐसा नहीं हुआ है। बल्कि नोटबंदी के फ़ैसले के बाद 500 और 1000 रूपये के जाली नोट कहीं ज़्यादा संख्या में बरामद हुए। हालांकि आरबीआई ने यह दावा किया था कि बाज़ार में 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए हैं, जिनका नकल कर पाना मुश्किल होगा, लेकिन State Bank of India के मुताबिक यह कहा गया कि इन नोटों का भी नकल संभव है और नए नोटों की नकल किए गए जाली नोट बरामद भी किए गए। नकली नोटों के कारण आम जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ी और रोजमर्रा की जिंदगी में इसके कारण कई समस्याएं झेलनी पड़ीं। ऐसे में पीएम मोदी का नकली नोटों पर लगाम लगाने को लेकर नोटबंदी का यह फैसला सही साबित नहीं हुआ। 

टैक्स देने वालों की संख्या में बढ़ोतरी 

नोटबंदी के बाद से टैक्स पे करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि टैक्स पे करने के पीछे नोटबंदी का असर कितना था क्योंकि जुलाई 2017 में लागू किए गए जीएसटी (GST) का भी बड़ा असर हो सकता है। हालांकि, कुछ लोग देश की अच्छी अर्थव्यवस्था में नोटबंदी और टैक्स पे दोनों को ही मानते हैं। इसलिए ये कहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। 

 कृषि पर पड़ा बुरा प्रभाव

दरअसल भारत के 26.3 करोड़ किसान आज भी ज्यादातर कैश अर्थव्यवस्था पर ही निर्भर हैं। जिसके कारण नोटबंदी के बाद रबी फसलों के लिए लाखों किसान बीज और खाद नहीं खरीद पाए थे। इतना ही नहीं बड़े जमींदारों को भी किसानों को मजदूरी देने और खेती के लिए चीजें खरीदने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। इसका असर आम जनता को भी झेलना पड़ा क्योंकि फल और सब्जियां महंगी हो गई, जो आमलोगों के पॉकेट पर भारी पड़ीं। ऐसे में मोदी सरकार का यह फैसला कृषि के पक्ष में नहीं देखा गया। 


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