Online Game Addiction: ऑनलाइन गेम्स की लत कहीं लील ना लें बच्चों का भविष्य

Online Game Addiction: स्कूल, ट्यूशन सभी कुछ ऑनलाइन हो गए। पढाई के बाद रिलैक्स होने के लिए ऑनलाइन गेम भी ढेरों उपलब्ध मिले।

Report :  Preeti Mishra
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-03-24 14:04 GMT

ऑनलाइन गेम्स की लत (फोटो-सोशल मीडिया) 

Online Game Addiction: ऑनलाइन गेम हमारे घर में दबे पॉव आने वाला वो दुश्मन है जो हमसे हमारी खुशियाँ, सुख-चैन, उम्मीदें और सफलता सब छीनने की ताकत रखता है। जी हाँ, कभी-कभी तो ये एक हँसते-खेलते घर को कब्रिस्तान तक में तब्दील कर सकता है। ऑनलाइन गेम की लत एक ऐसा मीठा ज़हर है जो धीरे-धीरे व्यक्ति के पूरे अस्तित्व को ख़तम कर देता है।

गत दो वर्षों से सभी लोग कोरोना का दंश झेल रहे थे। सड़के वीरान, स्कूल बंद, खेल -कूद बंद, कहीं आना-जाना बंद, सिर्फ घर की चारदीवारी और हम। ऐसे में ऑनलाइन माध्यम ही एक मात्रा सहारा था जिसने लोगों को एक-दूसरे से जोड़े रखा। या यूँ कहे जिसने इन मुश्किल दिनों को काटने में एक भी कमी नहीं छोड़ी।

नाज़ुक उम्र में अच्छे- बुरे की कम परख

स्कूल, ट्यूशन सभी कुछ ऑनलाइन हो गए। पढाई के बाद रिलैक्स होने के लिए ऑनलाइन गेम भी ढेरों उपलब्ध मिले। हम खुश थे की घर बैठे-बैठे ही हमें सभी सुविधाएँ मिल रहीं हैं। लेकिन ऐसे में पता नहीं कब हमने अपनी खुशियों के सबसे बड़े दुश्मन को ही अपने घर न्यौता दे दिया। जी हाँ , हम ऑनलाइन गेम की बात कर रहे है। जिसका धंधा भारत में भी बहुत ही तेजी से फल फूल रहा है। गत कुछ सालों में वीडियो गेम इंडस्ट्री में भारत ने बहुत तरक्की की है।

भारत में 2022 में वीडियो गेम इंडस्ट्री की वैल्यू करीब 143 बिलियन रूपए है। आप इसकी अपार सफलता से ही लोगों के गेम के प्रति लत की संभावना लगा सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, 2024 तक गेमिंग इंडस्ट्री की वैल्यू बढ़कर 25 हजार करोड़ पर पहुंच जाएगी।

आर्थिक मोर्चे पर भले ही वीडियो गेम इंडस्ट्री ने बहुत ऊँचा आयाम पेश किया है तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य के लिहाज से इसने पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी की है। इसमें कोई दो राय नहीं कि ऑनलाइन गेम के दुष्प्रभाव इसके फायदों से ज्यादा बड़े हैं। इसका सबसे बुरा और गहरा असर पड़ा है teen age के बच्चों पर। चूँकि सभी क्लासेज ऑनलाइन होने की वजह से बच्चे मोबाइल और लैपटॉप पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगे।

नाज़ुक उम्र में अच्छे- बुरे की कम परख होने के कारण और उबाऊ ज़िन्दगी भी होने कारण बच्चे ऑनलाइन गेम की तरफ आकर्षित हो गए। घंटों गेम खेलने की आदत कब उनके लत में तब्दील हो गयी, जिसका पता माता-पिता को नहीं चला।

भारतीय वीडियो गेम इंडस्ट्री में अलिबाबा, टेनसेंट, नजारा और युजु (Youzu) जैसी दिग्गज कंपनियों के भारी भरकम निवेश से इस इंडस्ट्री ने ग्रोथ की रफ्तार जरूर पकड़ाई, लेकिन वही दूसरी तरफ पेरेंट्स के हाथों से बच्चों की लगाम भी छीन ली।

ऑनलाइन गेम की लत का अंदाजा लगाना एक कठिन प्रक्रिया है। इसकी लत में गिरफ्त बच्चे अपने पेरेंट्स और टीचर तक से झूठ बोलने तक में गुरेज नहीं करते है। खाना -पीना तक छोड़ देते है। लोगों के साथ मिलना- जुलना बिलकुल पसंद नहीं करते। सिर्फ वो अकेले में ऑनलाइन की दुनिया में डूबे रहना चाहते हैं।

पढ़ाई के नाम पर पेरेंट्स के आंख में धूल झोकना इस लत के सामान्य लक्षण है। आज शायद ही कोई ऐसा घर हो जो इस परेशानी से अछूता हो। अपने बच्चों को हर तरह के ऐसो -आराम देने के चक्कर में पेरेंट्स पैसे कमाने में इतने busy हो जाते हैं घर में घुस चुके ऑनलाइन गेम्स जैसे खतरनाक दुश्मन को पहचान ही नहीं पाते है।

अपने बच्चों को कैसे बचाएं

बच्चों में बढ़ते शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य समस्या दोनों की खतरनाक बढ़ोतरी में ऑनलाइन गेम्स का बहुत ज्यादा प्रभाव है। स्टडी के नाम पर 6-7 घंटों तक कमरे में खुद को बंद कर लेना और इंटरनेट की दुनिया आज के पेरेंट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सामने असफलता की बड़ी सी खाई से अपने बच्चों को कैसे बचाएं। कैसे उन्हें अवगत कराये कि ये रास्ता उन्हें सिर्फ और सिर्फ उनकी मंज़िल से भटका रहा है। बता दें कि WHO ने भी माना है कि ऑनलाइन गेम मेंटल हेल्थ के लिए एक बड़ा खतरा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गेमिंग को कोकीन और जुआ के समान लगने वाली लत वाली बताया। कई बार ये ऑनलाइन गेम्स दिमाग को ऐसे गिरफ्त में कर लेते हैं जहाँ व्यक्ति सोचने-समझने की अपनी पूरी शक्ति खोकर उसी पर निर्भर हो जाता है। और कई बार तो उनकी मौत तक का कारण बन जाता है।

teen age के बच्चे अभी वो छोटा पौधा हैं जो सही तरीके से बड़े भी नहीं हुए है। अभी दुनिया की अच्छी-बुरी बातों से वो अनजान हैं। ऐसे में पेरेंट्स की ज़िम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है जहाँ उन्हें अपने घर और बच्चे के दिमाग में पैठ बना चुके ऑनलाइन गेम्स जैसे दुश्मन को बाहर का रास्ता दिखाना होगा। लेकिन यह इतना आसान भी नहीं क्योंकि दुश्मन बाहर नहीं बल्कि आपके जिगर के टुकड़े के अंदर है। इसलिए प्यार और विश्वास ही इससे लड़ने का एक मात्र रास्ता है।


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