लखनऊः ये जिंदगी रफ्तार से चल पडी़, जाते हुए राहों में, हमसे कहकेे गई, हमारा ये वक्त हमारा, जो एक बार गया तो आए न दोबारा यारों । ये चंद लाइनें आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में हर किसी के ऊपर एकदम फिट बैठती हैं। हम काम में इतना मशगूल हो गए कि हमें अपनी ही तबियत के खराब के बारे में नहीं पता रह पाता। तबियत का ख्याल आज दिलों से ठीक वैसे ही निकल गया है, जैसे आॅनलाइन दोस्तों के आने पर पड़ोस के शर्मा जी को भूल जाना। आज तो शायद आपको भी याद नहीं होगा कि आखिरी बार आप कितने समय पहले मोहल्ले के उस बगीचे में अपने दोस्तों के साथ खिल खिलाकर हंसे थे। आपको यह भी नहीं याद होगा कि कब आपके टाॅमी ने आपके हाथ से रस्सी छुड़ाई थी और आप उसे पकड़ने के बहाने से ही, कुछ दूर दौड़े तो थे। पर अब तो न उन दोस्तों के पास समय है और न ही आपके पास। अरे दूसरों से क्या उम्मीद करते हैं, आप खुद को ही ले लीजिए। आप बताइए कि आपने कितने समय पहले अकेले में बैठकर खुद से गुफ्तगू की थी। नहीं याद है ना। याद भी कैसे होगा? मशीन जो बन गए हैं।
पूरी दुनिया स्वास्थ्य दिवस मनाने की तैयारी कर रही है। लेकिन आपने अपने स्वास्थ्य के बारे में एक बार भी नहीं सोंचा। शरीर से स्वस्थ होने का मतलब यह नहीं है कि आप हर प्रकार से ठीक होंगे। एक इंसान पूरी तरह से खुश तभी माना जाता है, जब वह मानसिक तौर पर भी खुश हो। आज पैसों की चाहत ने इंसान को मशीन बना कर रख दिया है। सभी जानते हैं कि हाथ से अगर रूपया पैसा चला जाए, तो वापस आ जाता हे, मगर स्वास्थ्य बिगड़ने पर बड़ी मुश्किल से वापस लाया जाता है। आज के इस भौतिकतावाद में हम अपनों से दूर तो हो ही गए हैं। साथ में इसने हमें खुद से भी दूर कर दिया है।
एक समय था, जब लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक होते थे। जरा सी खांसी आ जाने पर तुरंत मां से अदरक और शहद की चटनी बनाने को कहते थे। हल्का सा बुखार आने पर खुद ही चावल, उड़द की दाल और हां ठंडा पानी भी खुद ही इन सब चीजों को दर किनार कर देते थे। लेकिन आज इंसान मानो खुद का ख्याल रखना भूल ही गया है। उसे चाहे जितना बुखार हो या फिर कितनी ही खांसी क्यों न आ रही हो, अगर वह दस लोगों के बीच बैठकर लंच करता है, तो ठंडा पानी जरूर पिएगा। जानते हैं क्यों? स्टेटस का डर। आॅफिस के लोगों के हंसने का डर। गलती से कोई ये न कह दे अमां कोई बच्चे हो क्या? जो ये ठंडा पानी असर करेगा। जवान हो, जवान की तरह रहो। क्या यार लड़कियों की तरह छोटी छोटी हरकतों पर ध्यान देते हो? पर क्या आप जानते हैं आपका यही छोटी छोटी बातों पर ध्यान न देना, किस कदर आपकी सेहत पर हमला बोल रहा है? आज न जाने किन किन बीमारियों से इंसान घिर रहा है। नतीजतन आज 10 में से हर 5वें इंसान को डायबिटीज, कोलेस्टेराॅल, गठिया, मधुमेह, बीपी, मोटापा, तनाव, एसिडिटी, हार्ट डिजीज, कैंसर और थाॅयराइड जैसी भयंकर बीमारियां बीमारियां झेलनी पड़ रही हैं। इन सब चीजों से बचने के लिए आज लोगों को खुद अपना ख्याल रखने की जरूरत है। जरूरत है लोगों का इन बीमारियों के बारे में जागरूक होने की।
कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ दिमाग रहता है। हम तो क्या कोई भी इंसान तभी सफल हो सकता हे, जब उसका मन खुश हो। बीमारियां पूछ कर नहीं आती हैं। इसलिए अक्सर समयसमय पर डाॅक्टर से सभी को अपना चेकअप करवाना चाहिए। केवल स्वास्थ्य दिवस के दिन जागरूकता के कार्यक्रमों में भाग लेने मात्र से आप पूरे साल ठीक नहीं रहेंगे। इसके लिए आपको अपना ध्यान रखने की जरूरत है।