Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर करें ये ख़ास उपाय, भगवान् शिव और माता पार्वती का मिलेगा आशीर्वाद

Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत बेहद लाभकारी व्रत होता है इस दिन अगर आप कुछ उपाय कर लें तो आपको भगवान् शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होगा और सभी मनोकामना भी पूर्ण होंगीं।

Newstrack :  Network
Update:2024-08-30 18:03 IST

Pradosh Vrat 2024 (Image Credit-Social Media)

Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का हिन्दू धर्म में बेहद महत्त्व है इसे काफी शुभ माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान् शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत को प्रतिमाह दो बार रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भक्त इस दिन विशेष रूप से भोलेनाथ के नटराज स्वरुप की आराधना करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि इस पूजा से जीवन में आई सभी बाधाएं ख़त्म हो जातीं हैं। साथ ही इस दिन 'संध्याकाल' में पूजन करते हैं। वहीँ आपको बता दें कि भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन अगर भक्त लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra) का पाठ करते हैं तो ये काफी फलदाई होता है।

आइये जानते हैं कि लिंगाष्टकम स्तोत्र क्या है। साथ ही प्रदोष व्रत करने के क्या क्या और लाभ हैं। जिससे साधक को कई तरह के फल मिलते हैं और मनोकामनाएं भी पूर्ण होतीं हैं।

।।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥

सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।

सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।

दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥

कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।

सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।

दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।

अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥

सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

कहते हैं इस दिन इस स्रोत का पाठ करने से भगवान् शिव और देवी पार्वती अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल अपने भक्तों को देते हैं।

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