Premanand Ji Maharaj: क्या आप भी बड़े मंगल पर खाते हैं भंडारा? जानिए प्रेमानंद जी महाराज ने क्या कहा

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज जी महाराज ने बताया कि व्यक्ति भंडारा खाना चाहिए या नहीं। आइये विस्तार से जानते हैं इस बारे में उन्होंने भक्तों को क्या राय दी।

Update:2024-05-04 10:00 IST

Premanad Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

Premanad Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर है साथ ही उनके प्रवचन सुनने दूर दूर से लोग मथुरा आते हैं। वहीँ उनकी कही बातें उनके भक्तों को बेहद प्रेरित करती हैं। लाखों लोग उनकी कही बातों को अपने जीवन में अपनाते आये हैं आइये जानते हैं भंडारे को लेकर उन्होंने क्या कहा।

प्रेमानंद जी महाराज ने बताया भंडारे में खाएं खाना या नहीं

प्रेमानंद जी महाराज की कही बातों को उनके भक्त पूरी श्रद्धा के साथ सुनते हैं और उसे अपने जीवन में अपनाते भी हैं। ऐसे में उन्होंने बताया कि क्या आपको मुफ्त में भंडारा खाना चाहिए या नहीं। आइये जानते हैं इसपर महाराज जी के क्या विचार हैं।

इस साल बड़ा मंगल 18 जून 2024 को है। आपको बता दें कि ये पर्व वैशाख के बाद हिंदू नववर्ष के तीसरे महीने यानि ज्येष्ठ मास में मनाया जाता है। वहीँ इस समय कई जगहों पर और विशेषकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भंडारे का आयोजन होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसमें आपको खाना खाना चाहिए या नहीं।

अक्सर लोगों के मन में ये विचार आता है कि भंडारे का भोजन खाना चाहिए या नहीं तो आपको बता दें कि मथुरा के प्रेमानंद जी महाराज ने बताया है कि आपको मुफ्त में भंडारे का खाना नहीं खाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी और से भोजन लेकर मुफ्त में खाता है साथ ही इसमें वो किसी भी तरह की कोई मेहनत भी नहीं करता है तो उसका सारा धर्म पुण्य दूसरे व्यक्ति को मिल जाता है। महाराज जी का कहना है कि अगर आप गृहस्थ आश्रम में हैं और ऐसे में आप भंडारा खाते हैं तो ये गलत है आप अगर विरक्त भेष में तो आप किसी से भोजन लेकर खा सकते हैं। उनका कहना है कि अगर आप भोग विलास से दूर हैं तो आप भंडारे का हैं।

प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि गृहस्थ व्यक्ति को अगर घर में नमक रोटी ही खाने को मिल रही है तो उसे वही ग्रहण करनी चाहिए लेकिन मुफ्त में मिला खाना नहीं खाना चाहिए। भले ही भोजन न होने पर आप उपवास रखें लेकिन मुफ्त में मिला खाना आपके लिए नहीं हैं।

प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि अगर आप बाहर जाते हैं और आपको कोई हलवा दे रहा है और कोई दूध बाँट रहा है तो आपको इसका सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए वो आपको ये कहकर देंगें कि ये प्रसाद है ले लीजिये। अगर आप साधु-संत नहीं हैं तो आपको इसको बिलकुल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

व्यक्ति को ये सोचना चाहिए कि वो खुद अपनी मेहनत से कमाकर 5 किलो हलवा बांट सकता है। बिना मेहनत किये मुफ्त में मिला खाना गृहस्थों सही नहीं होता। व्यक्ति को अपनी मेहनत का खाना खाना चाहिए।

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