Motivational Story: जीवन की संतुष्टि
Motivational Story: आपने अपना जीवन कितनी संतुष्टि में जिया यही आपकी मुक्ति का मापदंड भी है
Motivational Story: निश्चित ही अपने जीवन में जो संतुष्ट है वह मुक्त भी है। संतुष्टि, व्यक्ति को जीते जी मुक्त करा देती है। इसलिए जो संतुष्ट है, वही मुक्त भी है। संतों का मत है कि इच्छाओं का शेष रहना और श्वासों का खत्म हो जाना ही मोह एवं इच्छाओं का खत्म हो जाना और श्वासों का शेष रहना ही मुक्ति है। आप अपने जीवन में कितने संतुष्ट हैं अथवा आपने अपना जीवन कितनी संतुष्टि में जिया यही आपकी मुक्ति का मापदंड भी है। वहीं संतोष किसी व्यक्ति की प्रसन्नता का कारण भी बनता है। संतोष केवल वाह्य प्रसन्नता नहीं अपितु आंतरिक स्थिरता भी प्रदान करता है।
एक संतुष्ट जीवन ही एक सफल जीवन भी कहलाता है। महापुरुषों का जीवन इसलिए सफल अथवा वंदनीय नहीं माना जाता कि उन्होंने बहुत कुछ पा लिया है अपितु इसलिए सफल और वंदनीय माना जाता है, कि उन्होंने जो और जितना पाया है, बस उसी में संतुलन बनाना और संतुष्ट रहना सीख लिया है।संतुष्टि का अर्थ निष्क्रिय हो जाना नहीं अपितु अपेक्षा रहित परिणाम है। संतुष्टि किसी व्यक्ति के जीवन को निष्क्रिय नहीं अपितु केवल धैर्यवान बनाती है। हमारी प्राथमिकता सदैव पूर्ण निष्ठावान होकर अपना श्रेष्ठतम देते हुए परिणाम के प्रति अपेक्षा रहित होकर निरंतर गतिमान रहना होनी चाहिए। क्योंकि परिणाम के प्रति हमारी अपेक्षाएं जितनी कम होगी , हमारी संतुष्टि का ग्राफ भी उतना ही अधिक होगा।