Rajendra Prasad Biography: क्या आपको पता हैं राजेंद्र प्रसाद की जिंदगी से जुड़े ये राज

Rajendra Prasad Ka Jivan Parichay: राजेन्द्र प्रसाद के चार भाई बहन थे जिसमें बड़े भाई महेंद्र प्रसाद औऱ तीन बड़ी बहनें थीं। वह सबसे छोटे थे। राजेन्द्र प्रसाद का विवाह 12 साल की उम्र में राजवंशी देवी से 1896 में हो गया था।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Update:2024-12-03 13:34 IST

Rajendra Prasad Ka Jivan Parichay (photo: social media )

Rajendra Prasad Biography: देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद की आज पुण्यतिथि है। वह एक प्रसिद्ध अधिवक्ता भी थे। इसके अलावा उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। देश के लिए राजेंद्र प्रसाद का योगदान बहुत अधिक व्यापक है। जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल और लाल बहादुर शास्त्री के वह साथी रहे। वह उन समर्पित लोगों में से एक थे जिन्होंने देश के लिए आकर्षक करियर छोड़ने में संकोच नहीं किया। आजादी के बाद, वह संविधान सभा के अध्यक्ष बने, जिसे देश के संविधान का मसौदा तैयार करने का काम सौंपा गया था। दूसरे शब्दों में कहें तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के निर्माण में एक प्रमुख व्यक्ति थे। आइए जानते हैं राजेंद्र प्रसाद के बारे में

कब हुआ था राजेन्द्र प्रसाद का जन्म ( Rajendra Prasad Date of Birth )

डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ था।

कहां हुआ था राजेंद्र प्रसाद का जन्म ( Rajendra Prasad Birth Place )

डा. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के सीवान जिले के जीरादेई नामक गांव में हुआ था।


पिता का नाम क्या था ( Rajendra Prasad Fathers Name )

उनके पिता का नाम महादेव सहाय श्रीवास्तव था और वह संस्कृत और फारसी के विद्वान थे

मां का नाम क्या था ( Rajendra Prasad Mothers Name )

उनकी मां का नाम कामेश्वरी देवी था जो कि एक धार्मिक महिला थीं और उन्हें रामायण तथा महाभारत की कहानियां सुनाती थीं।


कितने भाई बहन थे ( Rajendra Prasad Sibling )

राजेन्द्र प्रसाद के चार भाई बहन थे जिसमें बड़े भाई महेंद्र प्रसाद औऱ तीन बड़ी बहनें थीं। वह सबसे छोटे थे। उनकी मां का निधन बचपन में ही हो गया था उन्हें उनकी बड़ी बहन भागवती देवी ने पाला।

राजेंद्र प्रसाद शिक्षा ( Rajendra Prasad Education)

राजेंद्र प्रसाद ने 1902 में कोलकाता के प्रेसीडेंसी कालेज में साइंस स्टूडेंट के रूप मे अंडर ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला लिया और 1904 में एफ. ए. की परीक्षा पास की। 1905 में उन्होंने प्रथम श्रेणी में स्नातक की परीक्षा पास की। 1907 में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की। 1915 में राजेंद्र प्रसाद ने इसी विश्वविद्यालय से लॉ में मास्टर्स डिग्री ली और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। 1937 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ में पीएचडी किया।


राजेन्द्र प्रसाद परिवार  (Rajendra Prasad Family)

राजेन्द्र प्रसाद का विवाह 12 साल की उम्र में राजवंशी देवी से 1896 में हो गया था। उनके एक पुत्र मृत्युंजय प्रसाद थे जो कि एक राजनैतिक व्यक्ति रहे।

अध्यापन कार्य (Rajendra Prasad as a Teacher)

राजेंद्र प्रसाद ने कई कालेजों में अध्यापन का कार्य भी किया। वह इंगलिश के प्रोफेसर रहे और मुजफ्फरपुर के लंगत सिंह कालेज के प्रिंसिपल भी रहे। वह कलकत्ता सिटी कालेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे।


अधिवक्ता के रूप में (Rajendra Prasad as Advocate)

राजेंद्र प्रसाद बिहार और उड़ीसा हाईकोर्ट में भी नियुक्त रहे। वह पटना यूनिवर्सिटी सीनेट और सिंडीकेट के पहले मेम्बर भी रहे। उन्होंने भागलपुर में वकालत की प्रेक्टिस भी की।

राजेंद्र प्रसाद के बारे में कुछ खास बातें (Rajendra Prasad Main Facts)

डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पिता ने उन्हें फ़ारसी सिखाने के लिए एक मौलवी को नियुक्त किया था।

वह 1952 और 1957 में लगातार दो बार दोबारा चुने जाने वाले एकमात्र भारतीय राष्ट्रपति रहे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1962 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

सत्याग्रह आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भागीदारी और समर्थन के कारण, प्रसाद को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा कई बार कैद किया गया था।

भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, प्रसाद ने संविधान सभा की देखरेख की और देश के संविधान का मसौदा तैयार किया। वह देश की स्वतंत्रता के बाद के विकास को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण थे।

उन्होंने 1906 में पटना कॉलेज हॉल में बिहारी छात्र सम्मेलन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1917 में महात्मा गांधी द्वारा बिहार के किसानों की दुर्दशा को सुधारने के अभियान में सहायता करने के लिए चुना गया था, जो ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा उत्पीड़ित थे।

तीन साल तक बांकीपुर जेल में कैद रहने के दौरान उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी।

कानून में करियर बनाने से पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के एक कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का 28 फरवरी 1963 को 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

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