Sadhvi Sakhubai: कौन थी साध्वी सखूबाई, जिसे महामाया देवी ने किया था जीवित
Sadhvi Mahamaya Devi Story: जो महामाया देवी समस्त ब्रह्मांड की रचना और उसका विनाश करती हैं, उसके लिए सखूबाई को जीवित करना कौन बड़ी बात थी
Sadhvi Sakhubai: जो महामाया देवी समस्त ब्रह्मांड की रचना और उसका विनाश करती हैं , उसके लिए सखूबाई को जीवित करना कौन बड़ी बात थी उसे जीवित करके माता ने कहा कि तेरी प्रतीज्ञा यही थी न कि तू अब इस देह से पंढरपुर से बाहर न जाएगी । तेरा वह शरीर तो जला दिया गया है ।अब तू इस शरीर से यात्रियों के साथ घर लौट जा।सखूबाई यात्रियों के साथ दो दिन में करहाड पहुंच गई ।सखूबाई का आना जान कर सखू वेष धारी भगवान नदी तट पर घड़ा लेकर आ गए और सखूबाई के आते ही दो- चार मीठी- मीठी बातें बना कर और घडा उसे देकर अदृश्य हो गए। सखूबाई घडा लेकर घर आई और अपने काम में लग गई । परंतु अपने घर वालों का स्वभाव परिवर्तन देख कर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।कुछ दिनों बाद वह किवल गांव वाला ब्राह्मण जब सखूबाई की मृत्यु का समाचार उसके घर पर देने आया और उसने सखूबाई को घर में काम करते देखा , तब उसके आश्चर्य का पारावार न रहा ।
उसने सखूबाई के सास - ससुर को बाहर बुलाकर उनसे कहा- सखूबाई तो पंढरपुर में मर गई , यह कहीं प्रेत बनकर तो तुम्हारे यहां नहीं आई है ? सखूबाई के ससुर-पति ने कहा- यह तो पंढरपुर गई ही नहीं , तुम ऐसी बात कैसे कह रहे हो । ब्राह्मण के कहने पर सखूबाई को बुलाकर सब बातें पूछी गई ।उसने भगवान की सारी लीला कह सुनाई । सखूबाई की बात सुनकर सास ससुर और पति ने बड़े पश्चाताप के साथ कहा-निश्चय ही यहां बधने वाली स्त्री के रूप में साक्षात लक्ष्मी पति ही थे । हम बड़े नीच और कुठिन है जो हमने इन्हें इतने दिनों तक बांध रखा और उन्हें नाना प्रकार के क्लेश दिए ।तीनों के हृदय बिल्कुल शुद्ध हो ही चुके थे । अब वे भगवान के भजन में लग गए और सखूबाई का बड़ा ही उपकार मान कर उसका सम्मान करने लगे । इस प्रकार भगवान की दया से अपने सास-ससुर और पतिदेव को अनुकूल बना कर सखूबाई जन्म भर उनकी सेवा करते रही और अपना सारा समय भगवान के नाम स्मरण ध्यान भजन आदि मे बिताती रही ।