Saif Ali Khan ka Ghar: सैफ की इब्राहिम कोठी पटौदी पैलेस जो फैली हुई है दस एकड़ में, आइए जानते हैं इस विरासत को
Saif Ali Khan House Pataudi Palace: पटौदी पैलेस का निर्माण 1935 में नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी ने करवाया था।इस महल को प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने डिज़ाइन किया था, जो दिल्ली के कुतुब होटल और राष्ट्रपति भवन की डिज़ाइन से भी जुड़े थे।;
Saif Ali Khan House Pataudi Palace: पटौदी पैलेस, जिसे इब्राहिम कोठी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय नवाबी विरासत और स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। हरियाणा के गुड़गांव जिले के पटौदी में स्थित यह भव्य महल पटौदी परिवार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। इस लेख में, हम पटौदी पैलेस के निर्माण, वास्तुकला, इतिहास, किराये पर दिए जाने की कहानी और वर्तमान स्थिति को विस्तार से जानेंगे।
पटौदी पैलेस का निर्माण और इतिहास
पटौदी पैलेस का निर्माण 1935 में नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी ने करवाया था।इस महल को प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल ने डिज़ाइन किया था, जो दिल्ली के कुतुब होटल और राष्ट्रपति भवन की डिज़ाइन से भी जुड़े थे। पैलेस की वास्तुकला इंडो-यूरोपियन शैली में है। इसमें भारतीय और पश्चिमी डिज़ाइन का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।निर्माण पर उस समय लाखों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन सटीक लागत का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
यह महल नवाब परिवार की ग्रीष्मकालीन रिहाइश के रूप में इस्तेमाल होता था और पारिवारिक आयोजनों का केंद्र था।पटौदी रियासत के 9वें नवाब मंसूर अली खान का जन्म 5 जनवरी 1941 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था।
बचपन में मंसूर अली खान की देखरेख के लिए सात से आठ नौकर लगाए गए थे।उनका निधन 22 सितंबर 2011 को दिल्ली में हुआ। उन्हें पटौदी पैलेस के परिसर में स्थित कब्रगाह में दफनाया गया।
पटौदी पैलेस का आंतरिक और बाहरी स्वरूप
पटौदी पैलेस लगभग 10 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।महल के चारों ओर हरे-भरे बगीचे और विशाल लॉन हैं, जो इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं।
महल का मुख्य प्रवेश द्वार विशाल और भव्य है, जो नवाबी शान को दर्शाता है।महल में कुल 150 कमरे हैं, जिनमें भव्य हॉल, डाइनिंग रूम, बेडरूम, और निजी सुइट्स शामिल हैं।
महल के अंदर का फर्नीचर क्लासिक और शाही है, जो यूरोपीय और मुगल शैली का मिश्रण है।
दीवारों पर नवाब परिवार के पूर्वजों की तस्वीरें और शाही चित्रकारी सजाई गई हैं।विशाल डाइनिंग हॉल में एक साथ 100 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
पटौदी पैलेस नवाबों की शाही जीवनशैली का केंद्र था।यहाँ शिकार के लिए विशेष आयोजन किए जाते थे। नवाब परिवार के पारंपरिक त्योहार और सांस्कृतिक कार्यक्रम यहीं आयोजित होते थे।महल में एक बड़ा पुस्तकालय भी है, जिसमें ऐतिहासिक ग्रंथ और पांडुलिपियां संग्रहित हैं।
पटौदी पैलेस और किराये पर दिए जाने की कहानी
पटौदी पैलेस 2005 में किराये पर दिया गया था।नवाब मंसूर अली खान पटौदी के निधन के बाद परिवार को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इसे किराये पर देना एक व्यावसायिक निर्णय था।महल को नीमराना ग्रुप ऑफ होटल्स ने लीज़ पर लिया था और इसे एक हेरिटेज होटल के रूप में संचालित किया.महल लगभग 8-9 साल तक होटल के रूप में चलाया गया।
महल की पुनर्खरीद और सैफ अली खान की भूमिका
सैफ अली खान ने 2014 में पटौदी पैलेस को दोबारा अपने परिवार की संपत्ति में शामिल किया।यह सौदा कई करोड़ रुपये में हुआ। हालांकि, सटीक राशि सार्वजनिक नहीं की गई है.सैफ अली खान ने महल के नवीनीकरण के लिए काफी धन खर्च किया और इसे अपने परिवार के निवास स्थान के रूप में पुनर्स्थापित किया।एक पुराने इंटरव्यू में, सैफ ने कहा था , "जिस घर को मैं अपनी विरासत समझता हूं, उसे मैंने फिल्मों से कमाए पैसे से वापस हासिल किया है। आप अतीत पर जीवित नहीं रह सकते। कम से कम हमारे परिवार में ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि वहाँ कुछ नहीं था। वहाँ इतिहास, संस्कृति, सुंदर तस्वीरें, और हाँ, कुछ जमीन ज़रूर थी। यह एक विशेषाधिकारपूर्ण परवरिश थी, लेकिन कोई आर्थिक विरासत नहीं थी।"
महल को पटौदी परिवार की संपत्ति में दोबारा शामिल करने के बाद, सैफ अली खान ने भारत की प्रसिद्ध इंटीरियर डिज़ाइनर दर्शिनी शाह से इसे पुनर्निर्मित करने का अनुरोध किया। महल, जो होटल चेन के अंतर्गत एक पारिवारिक रिसॉर्ट बन गया था, को दोबारा एक परिवारिक घर में तब्दील किया गया।
वर्तमान स्थिति- पटौदी पैलेस वर्तमान में सैफ अली खान और उनके परिवार की निजी संपत्ति है।यहाँ समय-समय पर पारिवारिक समारोह और कार्यक्रम आयोजित होते हैं।यह पैलेस बॉलीवुड फिल्मों और विज्ञापनों की शूटिंग के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है।रेनेवोशन कराने के बाद से ही सर्दियां बिताने के लिए सैफ और उनका पूरा परिवार पटौदी पैलेस आते हैं। यहां सैफ की मां शर्मिला टैगोर रहती हैं, जो अपने समय की मशहूर अदाकारा रही हैं। मां शर्मीला का खयाल रखती हैं बेटी सबा अली खान, जो दिल्ली में ही रहती हैं।
कब्रगाह- नवाब मंसूर अली खान पटौदी की मृत्यु के बाद उन्हें महल परिसर में ही स्थित कब्रगाह में दफनाया गया।यहाँ उनके पिता, दादा और दादी की कब्रें भी हैं।
महल की प्रमुख विशेषताएं
- शूटिंग के लिए प्रसिद्ध स्थान:पटौदी पैलेस को कई फिल्मों में दिखाया गया है, जैसे वीर-जारा, गांधी: माई फादर और लव आज कल।
- पर्यटन आकर्षण: हालांकि यह महल अब निजी संपत्ति है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण पर्यटक इसे देखने आते हैं।
- कला और संस्कृति का केंद्र: महल नवाब परिवार की सांस्कृतिक विरासत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है।
पटौदी पैलेस का ऐतिहासिक महत्व
पटौदी पैलेस केवल एक भवन नहीं, बल्कि एक युग का प्रतीक है।यह भारतीय नवाबी संस्कृति, ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता के बाद के दौर का गवाह है।महल में नवाबों की जीवनशैली, उनके संघर्ष और उनकी उपलब्धियों की कहानियां छिपी हुई हैं।
पटौदी पैलेस भारतीय नवाबी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व इसे खास बनाते हैं। यह महल न केवल पटौदी परिवार की शान-ओ-शौकत का प्रतीक है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति में इसकी अपनी अलग पहचान है। सैफ अली खान और उनका परिवार इस धरोहर को संजोए हुए हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।