हाथ धोने की कीमत तुम क्या जानो बाबू....चुकाने पड़ते है 69 हजार करोड़ रुपये
सही से हाथ न धोना, गंदे हाथों से ज्यादा नुकशान देह हैं,क्योंकि इस से जीवाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और वे ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो कम से कम 20 से 30 सेकंड तक हाथ धोना चाइए , जिससे जीवाणु खत्म हो सकें।
लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स की स्टडी 'द लाइफबॉय कॉस्ट ऑफ़ इंफेक्शन की रिपोर्ट में भारत को हर साल 69 हजार करोड़ रूपये का नुकशान सिर्फ छोटे इंफेक्शन की वजह से होता हैं। यह एक हैरान करदेने वाली बात हैं कि ऐसी छोटे - मोठे इंफेक्शन की वजह से भारत के 38 हजार करोड़ लोग बीमार पड़ते हैं।
ये भी देखें:पीएम मोदी के बायोपिक में इन शानदार लुक्स में दिखेंगे एक्टर विवेक ओबेरॉय
अगर रिसर्च की माने तो किसी परिवार का एक आदमीं बीमार पड़ता हैं, तो एक बार का खर्च 977 रुपये आता हैं, जो कि सलाना 8814 रुपये प्रति परिवार पहुंच जाता हैं। 5 से 15 साल की उम्र के 3 में से 2 बच्चों को हर दो महीने में एक इंफेक्शन जरूर होता हैं। इस पर डॉक्टर्स का कहना हैं की इंफेक्शन को दूर रखने के लिए समय -समय पर सही तरीके से हाथ धोना चाहिए।
हमारे देश में लोगों में पहले हाथ धोने का चलन नहीं हैं। जिसकी वजह से बीमारी होने के आसार बढ़ हैं। डॉक्टर्स की माने तो हाथों को 30 सेकंड तक धोना चाहिए। सिर्फ हाथ धोना सही नहीं हैं मसला हाथ को साफ तरीके से धोने का हैं। हाथ तो अच्छी धोए पर नाखूनों को भी ज्यादा बढ़ने न दे क्योंकि नाखुनो में अक्सर बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं , जो कि मुहं के रास्ते से हमारे पेट में चले जाते हैं। इसलिए हम जो भी फल यह सब्जी खांए उसे पहले धो ले फिर ही खांए। जिस वजह से बीमारियां बहुत काम हो जाती हैं।
जबभी कोई साबुन चुने ,जिसमे कार्बोलिक एसिड हो ,जो की बैक्टीरिया पूरी तरह ख़त्म कर देता हैं। सबसे ज्यादा बीमार पड़ने वालों की संख्या में लोअर क्लास के लोगों आते हैं, क्योंकि वो बचपन से ही अनहाइजिनिक कंडीशन के आदि होते हैं।
ठीक से हाथ न धोना , गंदे हाथों से भी होता है खतरनाक
सही से हाथ न धोना, गंदे हाथों से ज्यादा नुकशान देह हैं,क्योंकि इस से जीवाणुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और वे ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो कम से कम 20 से 30 सेकंड तक हाथ धोना चाइए , जिससे जीवाणु खत्म हो सकें। शोधकर्ताओं की माने जीवाणु रोधी साबुन अस्पतालों में प्रभारी हैं।
ये भी देखें:पप्पू कहता है कि PM बनेगा, अब तो पप्पी भी आ गई: महेश शर्मा
वहां लोगों को साबुन का इस्तेमाल करना आता हैं। लेकिन घर में लोग 6 सेकंड से ज्यादा हाथ नहीं धोते हैं। इतने कम समय में जीवाणु खत्म नहीं होते हैं। बार-बार सही तरीके से हाथ न धोने से जीवाणु की क्षमता बढ़ जाती हैं और फिर साबुन की मदद भी इसमें काम नहीं आती हैं।
बाद में इन जीवाणुओं से होने वाली बीमारियों का इजाल होना भी मुश्किल हो जाता हैं। वही इन साबुनों में मौजूद रसायन ट्राइक्लोरोकार्बन (टीसीसी) ट्राइक्लोसान (टीसीएस) मनुष्य के हार्मोन तंत्र को भी बिगाड़ देते हैं।