ऑफिस में कामचोरी करने वाले हो खुश, मन लगाकर काम करने वालों के लिए है खतरा!

अमेरिका की सिराक्यूज यूनिवर्सिटी ने ताजा शोध में मजेदार खुलासा किया है। जिसके मुताबिक अगर आप दफ्तर में कम छुट्टियां लेते हैं तो आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा अधिक है।

Update:2019-06-24 15:55 IST

नई दिल्ली: अमेरिका की सिराक्यूज यूनिवर्सिटी ने ताजा शोध में मजेदार खुलासा किया है। जिसके मुताबिक अगर आप दफ्तर में कम छुट्टियां लेते हैं तो आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा अधिक है। जबकि ऐसे कर्मचारी जो गाहे बगाहे छुट्टियां लेते रहते हैं वो अधिक तरोताजा और खुश रहते हैं। शोध के प्रमुख प्रोफेसर ब्रायस मेटॉबॉलिक सिंड्रोम का मतलब समझाते हैं, "दरअसल दिल से जुड़ी कोई भी बीमारी मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से ही होती है।"

अब भारत के कामकाजी परिदृश्य में बात की जाय तो इस शोध पर कई तरह की टीका टिप्पणियां शुरू हो गई हैं। दफ्तर में ऐसे भी लोग मिल जाएंगे जो पूरे शिफ्ट में कई बार चाय पानी या वॉशरूम के नाम पर अपनी जगह से नदारत रहते हैं। जरूरत के मुताबिक छुट्टियां लेने के लिए बॉस को मना ही लेते हैं। जबकि कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो मन मारकर भी काम में घुसे रहते हैं। या फिर यूं कहें कि बॉस को खुश करने के लिए काम का दिखावा करते हैं। चाहकर भी चाय-पानी के लिए जाने की जहमत नहीं उठाते। अक्सर देर से दफ्तर से निकलते हैं ताकि उनके कामकाजी होने का सिक्का जम सके।

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अब आप सोचेंगे कि इन दोनों ही तरह के लोगों में किसी हिमायत की जाय और किसकी आलोचना? दरअसल शोध का निष्कर्ष वैज्ञानिक परिणामों पर आधारित है। जिसे कोई नकार नहीं सकता है। इसका मतलब ये भी नहीं कि रिसर्च का हवाला देकर आप दफ्तर में कामचोरी करना शुरू कर दें। बेहतर ये कि अपने को तनावमुक्त रखते हुए दफ्तर के काम में कॉन्सेंट्रेट करने की कोशिश करें। मन मारकर काम करना कतई आपकी सेहत के लिए सही नहीं है। लिहाजा परेशानी की स्थिति में अपने वरिष्ठ सदस्य से बिना कुछ छिपाए समस्या बताएं। जाहिर है वे आपकी परेशानियों को समझते हुए काम में थोड़ा विराम देने में गुरेज नहीं करेंगे।

ताजा शोध में साफ कहा गया है कि अगर आप वर्कोहलिक हैं तो आपको दिल की बीमारी, मधुमेह, पाइल्स जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। वैसे भी अगर आप इन बीमारियों की चपेट में आते हैं तो आपको घर बैठना ही होगा। साथ ही न चाहते हुए भी आपको छुट्टी लेनी होगी। लिहाजा जीवन में सामंजस्य बनाएं और बीमारी जैसी आकस्मिकता के लिए अनचाही छुट्टियों को न्यौता न दें। बल्कि समय समय पर खुद को तरोताजा करने के लिए परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए प्लान करें।

निजी संस्थान हो या फिर सरकारी। हरेक जगह कर्मचारियों की छुट्टी के लिए नियमावली होती है। प्रबंधन की पूरी कोशिश होती है कि उत्पादकता पर बिना असर पड़े उनके कर्मचारी तनावमुक्त होकर काम करें।

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छुट्टी लेने के कामचोरों के कॉमन बहाने

लूज मोशन

फीवर

गाड़ी खराब या पंक्चर

वाइफ को डॉक्टर के पास ले जाना

पैरेंट टीचर मीटिंग

इसके अलावा रविवार को साप्ताहिक छुट्टियों के बाद कर्मचारियों पर मंडे सिंड्रोम हावी रहता है। अक्सर सोमवार को कर्मचारी देरी से दफ्तर आते हैं और उबासी के साथ काम शुरू करते हैं। हालांकि मंगलवार होते होते एक बार फिर वे अपनी रौ में काम में जुट जाते हैं।

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