Women Freedom Fighters: जिनकी पहल से महिलाओं को मिला वोट देने का अधिकार, जानें प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी कमलादेवी चट्टोपाध्याय की कहानी

Kamaladevi Chattopadhyay History: कमला देवी उपाध्याय चुनाव लड़ने वाली पहली महिला थीं। उनकी छवि एक विदुषी, स्वतंत्रता होने सेनानी, समाज सुधारक और कला संरक्षक के रूप में थी।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-02-19 12:59 IST

Bharat Ki Mahila Swatantrata Senani Kamaladevi Chattopadhyay Biography (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Kamaladevi Chattopadhyay Story In Hindi: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,सामाजिक कार्यकर्ता, कला प्रेमी, राजनीतिक और फेमिनिस्ट कमला देवी उपाध्याय (Kamaladevi Chattopadhyay) चुनाव लड़ने वाली पहली महिला थीं। भारत में महिला सशक्तिकरण और हस्तकला को बढ़ावा देने में ये भी अग्रणी रहीं। कमलादेवी चट्टोपाध्याय की छवि एक विदुषी, स्वतंत्रता होने सेनानी, समाज सुधारक और कला संरक्षक के रूप में थी। उनका व्यक्तित्व आत्मनिर्भर, निडर और सशक्त महिला की मिसाल था। एक दृढ़ निश्चयी, सौम्य और गरिमामय कमलादेवी चट्टोपाध्याय भारतीय संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई थीं, लेकिन आधुनिक सोच और महिलाओं के अधिकारों की समर्थक भी थीं।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता थीं, ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस की स्थापना 1927 में हुई थी, और यह भारत में महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और समाज सुधार के लिए कार्य करने वाला एक प्रमुख संगठन बना। इसके शुरुआती नेतृत्वकर्ताओं में ये भी शामिल थीं और उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

कमलादेवी चट्टोपाध्यायः उपलब्धियाँ और योगदान

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय (1903-1988) एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, और भारतीय हस्तकला, थिएटर तथा महिला सशक्तिकरण की अग्रणी समर्थक थीं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ स्वतंत्र भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण और महिलाओं की प्रगति के लिए अनेक कार्य किए।

नमक सत्याग्रह (Namak Satyagraha 1930)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थीं। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस आंदोलन में भाग लिया और गिरफ्तारी देने वाली पहली महिलाओं में से एक बनीं।

स्वदेशी और आर्थिक स्वतंत्रता

उन्होंने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आंदोलन चलाया।

राजनीतिक दूरदर्शिता

वह भारत की संविधान सभा की सदस्य थीं और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित थीं।

अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की संस्थापक सदस्य

1927 में इस संगठन की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा पर कार्य करता था।

महिला सशक्तिकरण में योगदान

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

कमलादेवी का मानना था कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए।

विधवा पुनर्विवाह का समर्थनः

उन्होंने भारतीय समाज में विधवाओं के पुनर्विवाह को स्वीकार्यता दिलाने के लिए अभियान चलाया।

महिला सहकारी आंदोलनः

उन्होंने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए सहकारी संगठनों की स्थापना की। कमलादेवी की वजह से महिलाओं ने नमक आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत जोड़ों यात्रा जैसे आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। साल 1930 में कमला देवी ने ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस की स्थापना की।

ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं का स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेना कमलादेवी की वजह से संभव हुआ था। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और समानता के लिए कार्य किया और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की स्थापना की।

भारतीय कला, हस्तशिल्प और संस्कृति के संरक्षण में योगदानः

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का भारतीय हस्तशिल्प, लोक कला और थिएटर को पुनर्जीवित करने में विशेष योगदान था।

ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट्स बोर्ड (1952)

उन्होंने इस बोर्ड की स्थापना की, जिससे भारतीय कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी):

उन्होंने भारतीय रंगमंच को विकसित करने के लिए इस प्रतिष्ठित संस्थान की स्थापना में योगदान दिया। संगीत नाटक अकादमी और ललित कला अकादमी संस्थानों के विकास में भी शामिल रहीं। इन्होंने दो मूक फिल्मों में भी काम किया।

दिल्ली हाट और कुटीर उद्योगः

उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए दिल्ली हाट जैसे प्रोजेक्ट्स को प्रेरित किया।

चुनाव लड़ने वाली पहली महिला थीं ये (First Indian Woman To Contest Elections)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने साल 1926 में मद्रास प्रांतीय विधान सभी की एक सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन वह इस चुनाव को हार गई थी। साल 1936 में इन्हें कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था।

इनकी पहल से महिलाओं को वोट देने का अधिकार

कांग्रेस के सेवादल जुड़ कर कमाल देवी ने कजन्स की संस्था विमेंस कॉन्फ्रेंस के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभाली। इस पहल से महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का व्यक्तिगत जीवन (Kamaladevi Chattopadhyay Life Story)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थीं, बल्कि उनका व्यक्तिगत जीवन भी संघर्ष, साहस और प्रेरणा का प्रतीक रहा है। उनके जीवन में कई ऐसे मोड़ आए, जिन्होंने उनके विचारों और कार्यों को गहराई से प्रभावित किया।

इनका जन्म 3 अप्रैल 1903 को मैंगलोर, कर्नाटक, ब्रिटिश भारत में हुआ था। ये एक समृद्ध और शिक्षित सारस्वत ब्राह्मण परिवार में जन्मी थीं। उनके पिता अनंतराय धरेश्वर एक जिला कलेक्टर थे, जबकि उनकी माता गिरिजाबाई एक स्वतंत्र विचारधारा वाली महिला थीं, जिन्होंने अपनी बेटी को सामाजिक बंधनों से मुक्त होकर सोचने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

कमलादेवी की माता ने उन्हें रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास से परिचित कराया, जिससे उनमें सामाजिक न्याय और समानता की भावना विकसित हुई। कमलादेवी बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं और उन्हें कला, संगीत और साहित्य में रुचि थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा मैंगलोर में हुई।

उनके परिवार ने उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने चेन्नई के क्वीन मैरी कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से अपनी शिक्षा जारी रखी। बाद में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र की पढ़ाई (Kamaladevi Chattopadhyay Education) की, जहां उन्होंने समाज और राजनीति को गहराई से समझा।

विवाह और वैवाहिक जीवन (Kamaladevi Chattopadhyay Husband And Married Life)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का वैवाहिक जीवन भी उनके विचारों और समाज सुधार के प्रति उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। कमलादेवी का विवाह बहुत ही कम उम्र (महज 14 वर्ष) में कृष्णराव के साथ हुआ था। दुर्भाग्य से, उनके पति की शादी के कुछ समय बाद ही मृत्यु हो गई, और वे कम उम्र में ही विधवा हो गईं। उस समय भारतीय समाज में विधवाओं के प्रति कठोर रवैया था, लेकिन कमलादेवी ने इन रूढ़ियों को तोड़ने का निर्णय लिया।

उन्होंने अपने पुनर्विवाह का समर्थन किया और खुद आगे बढ़कर इस सामाजिक बदलाव का हिस्सा बनीं। कमलादेवी ने समाज के विरोध के बावजूद 1919 में हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय से विवाह किया। हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार और अभिनेता थे।

वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी और कवयित्री सरोजिनी नायडू के भाई थे। यह विवाह एक प्रगतिशील विचारधारा का प्रतीक था, जिसमें दोनों ही पति-पत्नी एक-दूसरे के कार्यों का सम्मान करते थे। हालांकि, उनके वैचारिक मतभेदों के कारण कुछ वर्षों बाद दोनों ने अलग होने का निर्णय लिया। इसके बावजूद, उन्होंने अपने कार्यों को जारी रखा और अपने जीवन को समाज सुधार और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया।

अनगिनत सामाजिक विरोधों का किया डटकर सामन

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने अपने जीवन में कई सामाजिक बाधाओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। विधवा पुनर्विवाह को लेकर समाज का विरोध झेला।

महिलाओं की स्वतंत्रता और शिक्षा के समर्थन में अपने परिवार और समाज से अलग विचारधारा अपनाई।

पारंपरिक विवाह और पारिवारिक जीवन को छोड़कर राष्ट्र और समाज के लिए कार्य करने को प्राथमिकता दी।

उनका जीवन दिखाता है कि कैसे एक महिला समाज की रूढ़ियों को तोड़कर अपनी पहचान बना सकती है।

अंतिम वर्ष और विरासत (Kamaladevi Chattopadhyay Death)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा, महिला सशक्तिकरण और भारतीय कला-संस्कृति के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। 1988 में कमलादेवी चट्टोपाध्याय का निधन हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके नाम पर कई पुरस्कार और संस्थान स्थापित किए गए हैं, जो उनके योगदान को याद दिलाते हैं।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का व्यक्तिगत जीवन संघर्ष, साहस और सामाजिक बदलाव का प्रतीक था। उन्होंने न केवल अपने जीवन में रूढ़ियों को तोड़ा, बल्कि लाखों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि व्यक्तिगत कठिनाइयों से ऊपर उठकर किस प्रकार समाज के लिए एक बड़ी भूमिका निभाई जा सकती है।

पुरस्कार और सम्मान (Kamaladevi Chattopadhyay Awards)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय के योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया।

इन्हें पद्म भूषण सम्मान (1955): कला और समाज सेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए।

पद्म विभूषण सम्मान (1987): भारतीय संस्कृति और हस्तशिल्प के संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से उन्हें भारतीय हस्तशिल्प और कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें भारतीय कला और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को सम्मान से नवाजा गया।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थीं, बल्कि उन्होंने स्वतंत्र भारत में महिलाओं, कारीगरों, कलाकारों और समाज के अन्य वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके प्रयासों से भारतीय हस्तकला और संस्कृति को नई पहचान मिली, और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला। उनका जीवन और कार्य आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का व्यक्तिगत जीवन संघर्ष, साहस और सामाजिक बदलाव का प्रतीक था। उन्होंने न केवल अपने जीवन में रूढ़ियों को तोड़ा, बल्कि लाखों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि व्यक्तिगत कठिनाइयों से ऊपर उठकर किस प्रकार समाज के लिए एक बड़ी भूमिका निभाई जा सकती है।

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