MP News: सीएम शिवराज ने नेहरू के नाम के पार्क का नामकरण अपने बड़े बेटे कार्तिकेय के नाम किया, दूसरे बेटे को भी नवाज़ा
MP News: एक तरफ़ गांधी नेहरू परिवार के नाम से खुली सैकड़ों संस्थाओं का नाम बदलने के काम को केंद्र सरकार अंजाम देने में जुटी है। तो दूसरी तरफ़ भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारें परिवारवाद को हवा देते हुए अपने परिजनों के नाम सडक व पार्कों के नाम करने में जुटी है।
MP News: एक तरफ़ गांधी नेहरू परिवार के नाम से खुली सैकड़ों संस्थाओं का नाम बदलने के काम को केंद्र सरकार अंजाम देने में जुटी है। तो दूसरी तरफ़ भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारें परिवारवाद को हवा देते हुए अपने परिजनों के नाम सडक व पार्कों के नाम करने में जुटी है। मध्य प्रदेश के भाजपाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने यह करिश्मा कर दिखाया है। उन्होंने मध्य प्रदेश के सीहोर ज़िले के बुकनी इलाक़े में दो पार्कों के नाम अपने दोनों बेटों- कार्तिकेय व कुणाल के नाम करने का नायाब करिश्मा कर दिखाया है। हद तो यह है कि इसी के साथ शिवराज ने नेहरू पार्क का भी नाम बदलने का काम किया।
बुधनी शिवराज सिंह का गृह है। यहीं से वह विधानसभा चुनाव लड़ते और जीतते आये हैं। दिलचस्प यह है कि शिवराज सिंह ने जिस पार्क का नाम अपने बड़े बेटे कर्तिकेय के नाम किया है। उसका पहले नाम जवाहरलाल नेहरू के नाम पर था। ज़ाहिर है कि मध्य प्रदेश की सरकार के लिए मुख्यमंत्री के बेटे की अहमियत भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कहीं अधिक है।
शिवराज सरकार इससे पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन को रानी कमलापति , भोपाल के मिंटो हाल का नाम कुशाभाऊ ठाकरे कंवेशन सेंटर, होशंगाबाद का नाम नर्मदा पुर, बाबई का नाम माखन नगर, बिरसिंहपुर पाली का नाम माँ बिरासिनी धाम, सिहोर ज़िले के नसरुल्लागंज का नाम भैरूंदा और भोपाल के इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुरी कर चुकी है। जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट को रानी दुर्गावती के नाम से करने का प्रस्ताव राज्य सरकार केंद्र को भेज चुकी है।
पर इस बार जब शिवराज सिंह ने नेहरू के नाम के पार्क को अपने बड़े बेटे के नाम किये जाने का एलान किया है, तब से पूरी सरकार सकते में हैं। इसे लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते नहीं बन रहा है। कांग्रेस ने भी मध्य प्रदेश में इसे मुद्दा बनाया है।इस मुद्दे पर कांग्रेस को मिल रहे जन समर्थन से भाजपाई परेशान हैं।