Rewa News: किसानों की जमीन गई, लेकिन नहीं मिल सका मुआवजा, 2015 से खा रहे ठोकरें !

Rewa News:रीवा से हनुमना मार्ग पर किसानों के घर एवं जमीन अधिग्रहित की गई थी। हनुमना तहसील अंतर्गत बिजौली गहरवारान और देवरा गांव के तकरीबन 50 लोगों को घर और जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। किसानों का कहना है कि हनुमना एसडीएम के द्वारा मुआवजा बनाकर भेजा जा चुका है, लेकिन आज तक इन लोगों को मुआवजे की राशि नहीं मिल सकी है।

Update:2023-04-27 18:16 IST

Rewa News: एमपीआरडीसी द्वारा 2015 में अधिग्रहित की गई किसानों की भूमि का आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। किसानों द्वारा विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचार पर रीवा के अधिकारी पर्दा डालने का काम कर रहे हैं। एमपीआरडीसी के दफ्तर में जब वो गए तो वहां पर उनसे मुआवजे के बदले में 10 फीसदी धनराशि मांगी गई। जो मना कर देने पर उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया और वो अब पीड़ित परिवार जगह-जगह पर शिकायत कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

मुआवजे के लिए भटक रहे किसान

रीवा से हनुमना मार्ग पर किसानों के घर एवं जमीन अधिग्रहित की गई थी। हनुमना तहसील अंतर्गत बिजौली गहरवारान और देवरा गांव के तकरीबन 50 लोगों को घर और जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। किसानों का कहना है कि हनुमना एसडीएम के द्वारा मुआवजा बनाकर भेजा जा चुका है, लेकिन आज तक इन लोगों को मुआवजे की राशि नहीं मिल सकी है। पीड़ित किसानों ने आरोप लगाया।

एमपीआरडीसी के दफ्तर में जब वो गए तो वहां पर उनसे मुआवजे के बदले में 10 फीसदी धनराशि मांगी गई। जो मना कर देने पर उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया और वो अब पीड़ित परिवार जगह-जगह पर शिकायत कर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इस पूरे मामले की शिकायत अनु तहसील के पीड़ित किसान रीवा कलेक्टर से लिखित तौर से कर चुके हैं।

अपर जिलाधिकारी ने बयान देने से किया इनकार

रीवा कलेक्टर के भ्रमण में होने के बाद मीडिया के द्वारा पूरे मामले की जानकारी रीवा जिले के बनाए गए अपर कलेक्टर नीलमणि अग्निहोत्री से लेने का प्रयास किया गया। तो उनके द्वारा साफ-साफ मीडिया को जानकारी देने से मना कर दिया गया गया। उनके द्वारा बताया गया कि ‘ना ही मेरे पास शिकायत आई है, और ना ही मैं मौके पर था, तो मैं आपको कुछ जानकारी नहीं दे सकता हूं।

दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि अब रीवा कलेक्ट्रेट कार्यालय में रीवा कलेक्टर की गैरमौजूदगी में कलेक्ट्रेट कार्यालय के अधिकारियों की तानाशाही देखने को मिल रही है। यही वजह है कि 2015 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था और लगातार 8 साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसानों को भूमि का मुआवजा नहीं दिया गया है।

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