Maharashtra: शिंदे से नाखुश 22 विधायक BJP में जाने के लिए तैयार, उद्धव गुट का सामना के जरिए तीखा हमला
Maharashtra: सोमवार को पार्टी के मुखपत्र सामना के जरिए उद्धव गुट ने मुख्यमंत्री शिंदे पर जोरदार हमला बोला है।
Maharashtra: शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Former Chief Minister Uddhav Thackeray) और मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) के बीच तकरार जारी है। दोनों नेता एक – दूसरे पर हमला करने से कोई मौका नहीं चूकते। शिवसेना का उद्धव गुट लगातार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बीजेपी के हाथों की कठपुतली साबित करने में जुटी हुई है। इसी क्रम में सोमवार को पार्टी के मुखपत्र सामना के जरिए उद्धव गुट ने मुख्यमंत्री शिंदे पर जोरदार हमला बोला है।
भाजपा द्वारा एकनाथ शिंदे की की गई ताजपोशी अस्थायी व्यवस्था: सामना का दावा
सामना में लिखे साप्ताहित कॉलम में दावा किया गया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा द्वारा एकनाथ शिंदे की की गई ताजपोशी एक अस्थायी व्यवस्था है। बीजेपी कभी भी उनके सीएम पद की वर्दी उतार लेगी। फिर उनका हश्र रामदास अठावले जैसा होगा। लेख में कहा गया कि ये बात शिंदे गुट के नेता अच्छी तरह से समझ चुके हैं। एकनाथ शिंदे ने खूद का और महाराष्ट्र का बड़ा नुकसान किया है और राज्य उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
22 विधायक छोड़ेंगे शिंदे कैंप
सामना में एक बड़ा दावा करते हुए कहा गया कि शिंदे कैंप के 22 विधायक मुख्यमंत्री के कामकाज से नाखुश हैं और वे नए ठिकाने की तलाश में हैं। इनमें से अधिकतर का बीजेपी में जाना लगभग तय है। बीजेपी द्वार ग्राम पंचायत चुनाव और सरपंच के चुनाव में शिंदे गुट के सफलता का दावा झूठा है। सामना में बीजेपी पर एकनाथ शिंदे को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।
कॉलम में एक भाजपा नेता से बातचीत का जिक्र
साप्ताहिक सामना में एक भाजपा नेता के हवाले से कहा गया कि सरकार शिंदे गुट के 40 विधायक चला रहे हैं। मुख्यमंत्री दफ्तर पर उन्हीं का कब्जा है। अन्य विधायकों के कोई काम नहीं हो रहे। विधायकों के हठ के आगे मुख्यमंत्री भी मजबूर हैं। लेकिन सरकार के सभी बड़े फैसले उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस द्वारा लिए जाते हैं और सीएम एकनाथ शिंदे केवल उन फैसलों की घोषणा करते हैं।
सामाना के कॉलम में आगे कहा गया कि प्रदेश के विकास में मुख्यमंत्री का कोई योगदान नजर नहीं आ रहा है। देश की राजधानी में उनका कोई प्रभाव नहीं है। हर और डिप्टी सीएम देवेंद फड़नवीस दिख रहे हैं। अब तो फड़नवीस दिल्ली भी बगैर सीएम शिंदे के चले जाते हैं। लेख में भाजपा नेता के हवाले से कहा गया कि भविष्य में शिंदे को भी भाजपा में विलय करना होगा और उस समय वे नारायण राणे की भूमिका में होंगे।
बता दें कि नारायण राणे शिवसेना – बीजेपी गठबंधन की पहली सरकार में थोड़े समय के लिए मुख्यमंत्री बने थे। उन्हीं के सीएम रहने के दौरान गठबंधन चुनाव हार गई थी। इसके बाद राणे और ठाकरे परिवार के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं और अंत में 2005 में उन्होंने शिवसेना छोड़ कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। तब की विलासराव देशमुख सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी बने। उसी दौर से उनके और उद्धव ठाकरे के बीच छत्तीस आंकड़ा है। राणे बाद में बेटे के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और अब केंद्र में मंत्री है। बीजेपी को जब भी ठाकरे को घेरना होता है, वह नारायण राणे को आगे कर देती है।