Rajya Sabha Election 2022: महाराष्ट्र में छठी सीट के लिए कड़ा मुकाबला, ऊहापोह में फंसे ओवैसी, एक ओर शिवसेना तो दूसरी ओर भाजपा
Rajya Sabha Election 2022: महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में छठी सीट के लिए शिवसेना और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। वहीं दूसरी ओर असदुद्दीन ओवैसी के लिए दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है।
Rajya Sabha Election 2022: महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Chunav) में छठी सीट के लिए शिवसेना और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला (BJP vs Shiv Sena) हो रहा है। दोनों दलों ने इस सीट को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है और एक-एक वोट का हिसाब-किताब रखा जा रहा है। इस चुनाव में सबसे बड़ी दुविधा की स्थिति एआईएमआईएम (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के लिए पैदा हो गई है। एक और शिवसेना (Shiv Sena) है तो दूसरी और भाजपा (BJP)। अब ओवैसी को इनमें से समर्थन के बारे में फैसला करना है।
ओवैसी का कहना है कि अभी महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) की ओर से उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया है। यदि उन्हें हमारा समर्थन चाहिए तो उन्हें हमसे संपर्क भी कायम करना चाहिए। दूसरी ओर शिवसेना को ओवैसी के वोटों की दरकार तो है मगर पार्टी खुलकर ओवैसी से वोट मांगने में हिचक रही है।
राज्यसभा चुनाव का समीकरण
महाराष्ट्र में लंबे समय बाद राज्यसभा चुनाव को लेकर कांटे के मुकाबले की बिसात बिछ गई है। सुबह में राज्यसभा की 6 सीटों पर हो रहे चुनाव में 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं। शिवसेना ने 2 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं जबकि भाजपा ने 3 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। कांग्रेस और एनसीपी ने एक-एक सीट के लिए अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं।
विधानसभा के समीकरण को देखते हुए भाजपा की दो और शिवसेना की एक सीट पक्की मानी जा रही है। कांग्रेस और एनसीपी की एक-एक सीट पर जीत तय है। अब बाकी बची छठी सीट पर शिवसेना और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। कांटे का मुकाबला होने के कारण आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। शिवसेना का आरोप है कि भाजपा की ओर से खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है जबकि भाजपा ने इस आरोप का खंडन करते हुए अपने तीनों उम्मीदवारों के जीत का दावा किया है।
एमवीए को वोट चाहिए तो संपर्क करें
महाराष्ट्र के 288 सदस्यीय विधानसभा में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के दो सदस्य हैं। कांटे का मुकाबला होने के कारण एक-एक वोट की बड़ी कीमत मानी जा रही है। ऐसे में ओवैसी की पार्टी के दो विधायक भी काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं। ओवैसी का कहना है कि अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से राज्यसभा चुनाव के संबंध में उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि एमवीए को हमारा वोट चाहिए तो उन्हें हमसे संपर्क भी स्थापित करना चाहिए।
राज्यसभा चुनाव में समर्थन के मुद्दे पर फैसला लेने के लिए नांदेड़ में एआईएमआईएम की बैठक (AIMIM Meeting) भी बुलाई गई थी। इस बैठक के दौरान राज्यसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई मगर समर्थन के मुद्दे पर कोई आखिरी फैसला नहीं हो सका। बैठक के बाद ओवैसी ने अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि सत्तारूढ़ गठबंधन को हमारा समर्थन चाहिए तब तो ठीक है नहीं तो हम एक-दो दिनों के भीतर राज्यसभा चुनाव को लेकर अपनी पार्टी के रुख के संबंध में फैसला ले लेंगे।
सियासी मोलतोल की कोशिश
राज्यसभा चुनाव के बहाने ओवैसी की पार्टी सियासी मोलतोल में भी जुटी हुई दिख रही है। ओवैसी सत्तारूढ़ गठबंधन को समर्थन देकर उसकी कीमत भी वसूलना चाहते हैं। औरंगाबाद से चुने गए पार्टी के सांसद इम्तियाज जमील (Imtiyaz Jaleel) ने कहा कि हम अपने विधायकों के क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों का समाधान चाहते हैं। जमील ने कहा कि इन मुद्दों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। सत्तारूढ़ गठबंधन यदि भाजपा को हराने की कोशिश में जुटा हुआ है तो उसे एआईएमआईएम से खुलकर समर्थन मांगना चाहिए।
ओवैसी और शिवसेना की सियासी विचारधाराएं बिल्कुल अलग है और इसीलिए शिवसेना भी खुलकर समर्थन मांगने से बच रही है। शिवसेना के नेता और एमएलसी अंबादास दानवे ने कहा कि ओवैसी के प्रस्ताव पर एमवीए नेता जल्द ही फैसला लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया के जरिए प्रस्ताव भेजने से बेहतर यह होगा कि ओवैसी एमवीए के नेताओं से सीधे संपर्क स्थापित करें। हालांकि उन्होंने भी ओवैसी से खुलकर समर्थन मांगने से परहेज किया।
भाजपा और शिवसेना में घमासान
भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। पार्टी की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और धनंजय महादिक को प्रत्याशी बनाया गया है। शिवसेना की ओर से संजय राउत के साथ संजय पवार को पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया गया है। उधर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के नेता इमरान प्रतापगढ़ी को चुनाव मैदान में उतारा है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
भाजपा अपने बूते दो सीटें जीतने की स्थिति में है जबकि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी अपने-अपने बूते एक-एक सीट पर जीत हासिल करने में सक्षम है। ऐसी स्थिति में असली लड़ाई छठी सीट पर होगी और इसे लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच घमासान छिड़ गया है। दोनों दलों की ओर से जबर्दस्त सियासी जोड़-तोड़ की जा रही है।
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