नई दिल्ली: देश में सेव टाइगर मुहिम का असर अब धीमा पड़ता दिख रहा है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी आफ इंडिया के मुताबिक इस साल देश में जितने बाघ अब तक मार दिए गए हैं उतने तो 2015 में पूरे साल में नहीं मारे गए थे।
क्या हैं आकंड़े?
-26 अप्रैल को जारी आंकडों के मुताबिक इस साल अब तक 28 बाघों की मौत हुई है।
-ये वो संख्या है जो शिकारियों और तस्करों ने बाघों को मारा है।
-साल 2015 में कुल 25 ऐसे बाघ मारे गए थे।
-भारत में सेव टाइगर के तहत शिकारियों पर भी लगाम लगाने की बात कही गई थी।
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क्यों होता है शिकार?
-बाघ के मांस और हड्डियों का चीनी पारंपरिक दवाओं में इस्तेमाल होता है।
-बाघों के मीट और हड्डियों के भी बहुत पैसे मिलते है।
-इसके अलावा बाघ की खाल भी तस्करों को मालामाल कर देती है।
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क्या कहते हैं सोसाइटी के अधिकारी?
वाइल्ड लाइफ सोसाइटी आफ इंडिया के प्रोजेक्ट मैनेजर टीटो जोसेफ के मुताबिक यह आंकडे तो गंभीर समस्या की तरफ इशारा कर रहे हैं। बाघों की शिकार के वजह से मौत को तभी रोका जा सकता है जब इसके लिए खुफिया एजेंसियों, सुरक्षा एजेंसियों और जनता को मिलाजुला कर कार्यक्रम बनाकर उसे लागू किया जाए।